दिल्ली के 55 लाख मजदूरों को अब देश का सबसे ज़्यादा न्यूनतम वेतन मिलेगा
नयी दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के प्रति वचनबद्ध है और इसके तहत 29 अक्टूबर तक दिल्ली की बसों में मार्शलों की संख्या बढ़ाकर तकरीबन 13 हजार कर दी जाएगी।
केजरीवाल ने त्यागराज स्टेडियम में नवनियुक्त मार्शलों के एक एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘आज मैं आप सभी को यह सुनिश्चत करने की जिम्मेदारी सौंपना चाहता हूं कि हर सरकारी बस में महिलाएं सुरक्षित महसूस करें और पूरे आत्मविश्वास के साथ यात्रा कर सकें।’’
उन्होंने कहा कि कल से दिल्ली की हर बस में महिलाओं की सुरक्षा के लिए मार्शल लगाए जा रहे हैं कुल 13,000 मार्शल बसों में बीमार की मदद भी करेंगे एवं अन्य किसी भी आपात स्तिथि से निपटेंगे. केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली अकेला राज्य है जहां लोगों की सुरक्षा और मदद के लिए हर बस में मार्शल नियुक्त किए जा रहे हैं। केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली की बसों में मार्शलों की मौजूदा संख्या 3400 है।
उन्होंने कहा, ‘‘कल भाईदूज के पावन पर्व पर बसों में मार्शलों की संख्या बढ़ाकर लगभग 13 हजार कर दी जाएगी। हम शहर में महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मुझे लगता है कि बसों में मार्शलों की संख्या में ऐसी बढ़ोत्तरी दुनिया के किसी भी शहर में नहीं की गई होगी।’’
यह घोषणा दिल्ली विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले की गई है।
केजरीवाल ने कहा, ‘’‘दिल्ली एक बड़े परिवार जैसा है और इसका बड़ा बेटा होने के नाते मैं अपनी मांओं, बहनों और बेटियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और डीटीसी बसों में यात्रा सुविधाजनक बनाने की जिम्मेदारी निभा रहा हूं।’’
साथ ही उन्होंने कहा कि ग़रीबों के लिए दिल्ली सरकार ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है । दिल्ली आज देश में सबसे ज़्यादा न्यूनतम मज़दूरी दे रही है. ग़रीबी कम करने और आर्थिक मंदी से निपटने के लिए यह अहम क़दम है । उन्होंने कहा कि जेब में पैसा जाएगा तो वो रोज़मर्रा का सामान ख़रीदेगा। इस से डिमांड बढ़ेगी, उत्पादन बढ़ेगा, लोगों को रोज़गार मिलेगा. दिल्ली के 55 लाख मजदूरों को अब देश का सबसे ज़्यादा न्यूनतम वेतन मिलेगा . कुछ सालों से कई बड़ी ताकतों ने न्यूनतम वेतन को बढ़ने से रोकने की पूरी कोशिश की लेकिन हम संघर्ष करते रहे और गरीबों के हक की लड़ाई आखिर में सुप्रीम कोर्ट में जीत ही गए।