शनि जयंती पर शनि देव व वट सावित्री पूजन से मनोकामना होगी पूर्ण : ज्योतिषाचार्य वी के शास्त्री

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फरीदाबाद। शनि जयंती पर शनि देव व वट सावित्री व्रत पूजन करने से मनोकामना पूर्ण होती है। सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य वी के शास्त्री के अनूसार मनुष्य जीवन ग्रहों व नक्षत्रों पर आधारित है। ग्रह व्यक्ति के कर्मो के अनुसार फल देते हैं। शुक्रवार के दिन सौभाग्य से ज्येष्ठ अमावस होने के कारण शनि जयंती भी है। इस दिन वट वृक्ष की पूजा अर्चना कर भगवान शिव, विष्णु, ब्रह्मा और शनि देव सभी का आशिर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।


पंडित शास्त्री ने बताया कि वट के मूल में भगवान ब्रह्मा, मध्य में भगवान विष्णु तथा उपरी भाग में देवाधि देव शिव प्रतिष्ठित रहते हैं। उनके अनुसार इस दिन वट वृक्ष की पूजा से सौभाग्य व सुख की प्राप्ति के साथ ही न्याय के देवता शनिग्रह की कृपा भी बनी रहती है। ज्येष्ठ अमावस्या 22 मई, शुक्रवार को शनि जयंति भी मनाई जाएगी। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सूर्य पूत्र शनि देव को न्याय व दंड का देवता माना जाता है।


इस दिन शनि की पूजा उपासना करने से शनि की साढे साती, शनि का ढैया व शनि की दशा के अनिष्ठ प्रभाव में राहत के लिए शनि चालीसा का पाठ या ” ऊँ शनैश्चराय नमः ” मंत्र का जाप करने से सभी दुःख क्लेश दूर होते हैं। साथ ही शनि देव ,श्रमिक वर्ग व बुजुर्गों व जरुरतमंदों की सेवा से भी प्रसन्न होते हैं।

22 मई को शनि जयंती के दिन ग्रहों का दुर्लभ योग बन रहा है, जिसका प्रभाव सभी राशियों पर शुभाशुभ रूप में पड़ेगा। दरअसल शनि देव इस अपनी स्वराशि मकर राशि में स्थित है। इस राशि में शनि गुरु के साथ युति बना रहा है।

वट सावित्री की पूजा भारतीय संस्कृति में पौराणिक काल से चली आ रही है। महिलाएं अपने पति के दीर्घायु के लिए वट सावित्री की पूजा करती हैं। जैसे अपने सनातन धर्म में पीपल के पेड़ का महत्व है उसी तरह वट वृक्ष का भी आध्यात्मिक महत्व है।

इस दिन शुभ मुहूर्त ब्रह्म बेला से लेकर रात के 11 बजकर 08 मिनट तक है। अतः आप दिन में किसी समय वट देव सहित माता सावित्री की पूजा आराधना कर सकते हैं। इस साल वट सावित्री व्रत पूजा के लिए आपको चौघड़िया तिथि की जरूरत नहीं पड़ेगी।


इस व्रत में नियम निष्ठा का विशेष ख्याल रखना पड़ता है. वट सावित्री के दिन सभी सुहागन महिलाएं पूरे 16 श्रृंगार कर बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. ऐसा पति की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन ही सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्धा से यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए थे

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