मेरे लिए पीएम बनने का सपना देखना भी दूर की बात थी ……

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नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बचपन में कभी भी प्रधानमंत्री बनने का सपना तक नहीं देखा था। उनके लिए इसके बारे में सोचना भर भी दूर की बात थी। यह अनसुनी बातें ‘हृयूमंस ऑफ बांबे’ नामक फेसबुक पेज पर प्रकाशित किए गए एक पोस्‍ट में सामने आई हैं। इसमें पीएम मोदी के बचपन की दिलचस्‍प कहानी, उन्‍हीं के जरियेे साझा की गई है।

इस पोस्‍ट के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परिवार में 8 सदस्‍य थे, जो 40*12 फीट के घर में रहते थे। उनके अनुसार यह छोटा जरूर था, लेकिन उनके लिए पर्याप्‍त था. पीएम मोदी के अनुसार ‘हमारे दिन की शुरुआत सुबह 5 बजे होती थी, जब मेरी मां नवजात और छोटे बच्‍चों को पारंपरिक इलाज मुहैया कराती थीं। मैं और मेरा भाई रात भर बारी-बारी से चूल्‍हे को तैयार करते थे, जिससे कि वो मां के उपयोग आ सके।

पीएम मोदी आगे कहते हैं ‘मेरी मां को उचित शिक्षा प्राप्‍त करने सौभाग्‍य नहीं मिला। लेकिन भगवान दयालू थे। मेरी मां के पास बीमारियों के इलाज के लिए विशेष तरीका था।’ उनके मुताबिक सुबह-सुबह ही उनके घर के बाहर मांओं की लाइन लग जाती थी। क्‍योंकि उनकी मां के पास दर्द और पीड़ा दूर करने वाला स्‍पर्श था और वह इसके लिए जानी जाती थीं। प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने सुबह की दिनचर्या बताते हुए अपने पिता की चाय की दुकान का भी जिक्र किया। उन्‍होंने कहा ‘इसके बाद मुझे रेलवे स्‍टेशन पर स्थित अपने पिता की दुकान खोलनी होती थी। उसे साफ करना होता था और उसके बाद स्‍कूल जाना होता था।

स्‍कूल जितनी जल्‍दी खत्‍म होता था, मुझे अपने पिता मदद के लिए दुकान वापस पहुंचना होता था। लेकिन वहां मुझे देशभर के लोगों से मिलने का इंतजार होता था। मैं वहां इन लोगों को चाय परोसता था और उनकी कहानियां सुनता था। इसी कारण से मुझे हिंदी बोलना आ गया।’ पीएम मोदी के मन में बचपन में मुंबई को लेकर भी बड़ी दिलचस्‍पी थी। वह इस लेख में बताते हैं ‘दुकान में मैं सुनता था कि व्‍यापारी आपस में बंबई (मुंबई) के बारे में बात करते थे और मैं चकित होता था कि क्‍या मैं भविष्‍य में कभी अपने सपनों के शहर जा पाउंगा और उसे देख पाउंगा।

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