मेगा मोक ड्रिल से गुरुग्राम ने क्या सीखा ?

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अनुभव के आधार पर बिल्डिंग सेफ्टी असेसमेंट का प्रोजेक्ट करने का निर्णय : उपायुक्त 

ड्रिल में जो कमियां सामने आई है उन्हें भविष्य में दूर किया जाएगा : पुलिस आयुक्त 

असुरक्षित भवनो की पहचान करने का निर्णय 

डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान में निर्धारित पदों के मुताबिक काम किया : अतिरिक्त उपायुक्त 

गुरुग्राम, 21 दिसंबर। भूकंप आने की स्थिति में राहत व बचाव कार्यों से सम्बन्धित तैयारियों का आंकलन करने के लिए हरियाणा प्रदेश में आज आयोजित मेगा मॉक ड्रिल के अन्तर्गत गुरुग्राम में सात विभिन्न स्थानो पर मॉक ड्रिल आयोजित की गयी । इस ड्रिल में प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों ने आपस में सूचनाओं का आदान प्रदान वायरलैस सेटो के माध्यम से किया क्योंकि अक्सर भूकम्प जैसी त्रासदी होने पर मोबाइल नेट वर्क ठप्प हो जाता है। आज की ड्रिल में गुरूग्राम जिला में लगभग 80 वायरलैस सेट प्रयोग में लाए गए ।
 
ड्रिल के बाद लघु सचिवालय के प्रथम तल पर सभागार में बनाए गए इमरजैंसी ऑपरेशन सेंटर में मीडिया प्रतिनिधियों से बातचीत करते हुए उपायुक्त विनय प्रताप सिंह , जिन्होंने ड्रिल में रिस्पोंस ऑफि़सर की भूमिका निभाई , ने कहा कि इस मॉक एक्सरसाइज का उद्देश्य नियमो और उत्तरदायित्वों को समझना था । उन्होंने कहा कि यह ड्रिल उनके लिए तथा सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए एक सीखने का अनुभव था। उन्होंने कहा कि इस ड्रिल से मिले अनुभव के बाद जिला प्रशासन ने एनडीएमए के साथ मिलकर एक बिल्डिंग सेफ्टी असेसमेंट का प्रोजेक्ट करने का निर्णय लिया है। प्रोजेक्ट के तहत लोगों को अपने भवन भूकंप रोधी बनाने के लिए तो प्रेरित किया ही जाएगा , साथ ही असुरक्षित भवनो की पहचान करके विचार किया जाएगा कि उनकी रेट्रोफि़ट्टिंग कैसे की जा सकती है।
 
इसके अलावा, वायरलैस सैटों या वाकी-टॉकी की एक समानांतर संचार प्रणाली विकसित करने का फ़ैसला लिया गया है। गुरुग्राम जिला में बहुमंजि़ला इमारतें बहुत है और उनमे राहत व बचाव कार्यों के लिए नगर निगम के पास 42 मीटर ऊँचाई का हायड्रॉलिक प्लैटफोर्म है तथा प्राइवेट कंपनियो के पास भी एक 90 मीटर ऊँचाई का हायड्रॉलिक प्लैट्फ़ोर्म है । जिला की ज़रूरतों को देखते हुए एक 100 मीटर से अधिक ऊँचाई का तथा दो 70 मीटर ऊँचाई के हायड्रॉलिक प्लैटफ़ोर्म खऱीदे जाएँगे। यहां विभिन्न प्रकार के उद्योग होने के कारण न्यूक्लियर, बायलॉजिकल तथा कै मिकल से होने वाली आपदा से निपटने के लिए उपयुक्त इंफ्रास्टक्चर तथा पर्याप्त उपकरणो के साथ प्रशिक्षित मैन पावर जुटाई जाएगी। उपायुक्त ने कहा कि इंडस्ट्रीयल सेफ्टी एंड हैल्थ के माध्यम से आज औद्योगिक इकाईयों में भी मेगा मॉक एक्सरसाइज आयोजित की गई। इसके साथ ही जिला के सभी प्राइवेट व निजी स्कूलों में डक, कवर एंड होल्ड की एक्सरसाईज करवाई गई और उन्हे आपदा से निपटने के उपायों के बारे में बताया गया व अभ्यास करवाया गया। 
 
पुलिस आयुक्त संदीप खिरवार ने कहा कि मेगा मॉक एक्सरसाइज में पुलिस की भी क्विक रिस्पांस टीम(क्यूआरटी) बनाई गई थी जिन्होंने पूरी जिम्मेदारी से अपना काम किया। पुलिसकर्मियों ने इंसीडेंट लोकेशन्स पर लॉ एंड आर्डर तथा रिलीफ व रेस्क्यू में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, पुलिस विभाग द्वारा वायरलैस कम्युनिकेशन में भी अपना योगदान दिया गया। उन्होंने कहा कि मेगा मॉक एक्सरसाइज में सभी पुलिसकर्मियो को पहले से ही हिदायते दी गई थी वे जल्दी काम करें लेकिन किसी प्रकार की जल्दबाजी या हड़बड़ाहट में काम ना करें। उन्होंने कहा कि मेगा मॉक एक्सरसाईज में हमें काफी कुछ सीखने को मिला और ये एक तरह की रिहर्सल थी और इसमें जो भी कमियां सामने आई है उन्हें भविष्य में दूर किया जाएगा। 
 
इस अवसर पर अतिरिक्त उपायुक्त एवं इंसीडेंट कमांडर प्रदीप दहिया ने आज आयोजित मेगा मॉक एक्सरसाइज के बारे मे विस्तार से जानकारी दी और बताया कि इस एक्सरसाइज के लिए लेजरवैली ग्राऊंड में रिलीफ एवं रिहेब्लिीटेशन सैंटर भी बनाया गया था। उन्होंने बताया कि 7 इंसीडेंट लोकेशन्स से कुल 113 सांकेतिक घायल लोगों की रिपोर्ट दर्ज की गई जिसमें से 25 रैड कोडिड यानि गंभीर रूप से घायल, 19 येलो यानि घायल, 65 ग्रीन कोडिड यानि छुटपुट रूप  से घायल तथा 4 ब्लैक यानि मृतक थे। इन घायलों को इंसीडेट लोकेशन के पास स्थित पांच अस्पतालों में भर्ती करवाया गया था जिसमें से एक सरकारी व 4 प्राइवेट अस्पताल शामिल थे। आज आयोजित मेगा मॉक एक्सरसाइज में लगभग 730 पुलिसकर्मियों व अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों ने ड्रिल में भाग लिया। इस मॉक एक्सरसाइज में वे अपने पद के हिसाब से नही बल्कि डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान में निर्धारित  पदों के मुताबिक काम किया। उन्होंने कहा कि ईओसी सैंटर को पूरी तरह से सुनियोजित तैयार किया गया था जिसमें प्लानिंग सैक्शन, लोजिस्टिक, मैनेजमेंट आदि सैक्शन बनाए गए थे।  
 
संवाददाता सम्मेलन में आइआरबी भौंडसी फस्र्ट बटालियन के कमांडेंट एवं झज्जर के एसएसपी बी. सतीश बालन ने कहा कि नेशनल डिजास्ट रिलीफ फोर्स(एनडीआरएफ) की तर्ज पर हरियाणा में स्टेट डिजास्ट रिलीफ फोर्स (एसडीआरएफ)  का गठन किया गया है जिन्हें भौंडसी में प्रशिक्षण दिया जा रहा है तथा उन्हें आपदा से निपटने व बचाव उपायों के बारे में बताया जा रहा है और उन्हें अभ्यास करवाया जा रहा है।उन्होंने कहा कि राज्य में कहीं भी कोई आपदा की घटना होती है तो इस एसडीआरएफ की बटालियन को वहां भेजा जाएगा। इस बैटालियन को फलड रैस्क्यू, इंडस्ट्रीयल डिजास्टर, बिल्डिंग रैस्क्यू आदि मे प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अलावा, एनडीआरएफ के पैट्रर्न पर एसडीआरएफ का 2 स्पेशलाइज्ड बैटालियन तैयार करने का एक प्रपोजल पुलिस विभाग की ओर से बनाकर सरकार को भेजा गया है। उन्होंने बताया कि ये बैटालियन केवल आपदा प्रबंधन के लिए ही काम करेंगी। 
 
इस ड्रिल में एनएसजी, सीआरपीएफ,आर्मी तथा एनडीआरएफ के आब्र्जवरो की टीम अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे जिसका विश्लेषण कर मॉक एक्सरसाइज की कमियों को दूर किया जाएगा। 

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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