नई दिल्ली : मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (एमडीएनआईवाई) ने जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) के पूर्व प्रोफेसर एवं सम्मानित वैद्य प्रोफेसर कमलेश कुमार शर्मा द्वारा योग एवं आहार के महत्व पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया। इस व्याख्यान में एमडीएनआईवाई के निदेशक डॉ. काशीनाथ समागंडी भी उपस्थित थे।
आयुर्वेदिक चिकित्सा के प्रसिद्ध विशेषज्ञ, वैद्य प्रोफेसर शर्मा ने छांदोग्य उपनिषद का उल्लेख करते हुए कहा, “अन्न साक्षात ईश्वर है। यह ईंधन है लेकिन अन्न को लेकर हमारी दृष्टि भी महत्वपूर्ण है। जब आहार संतुलित तरीके से ग्रहण किया जाता है और आहार के लक्ष्य पूरे होते हैं तभी योग पूरा होता है।”
उन्होंने आहार से संबंधित महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे – कब भोजन करना है, भोजन में क्या लेना है, कितना खाना है और किस प्रकार खाना है, के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा, “तीन बार भोजन का आहार हमारे शरीर के लिए बेहद लाभदायक है। पहला भोजन सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच, दूसरा भोजन शाम शुरू होने से पहले और रात का भोजन रात के शुरुआती घंटों में होना चाहिए। प्रोफेसर कमलेश कुमार शर्मा ने योगाभ्यास के लाभों को बढ़ाने में संतुलित आहार के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि उचित पोषण शरीर के संतुलन को बनाए रखने और योग आसन की प्रभावशीलता को अधिकतम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अपने संबोधन में, डॉ. काशीनाथ ने आहार के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “भगवद्गीता के अनुसार, हमें योगासन के साथ-साथ अपने आहार एवं जीवनशैली पर भी ध्यान देना चाहिए क्योंकि आहार ही जीवित रहने का प्रमुख कारक है। जब हम आचार-विचार और आहार-विहार का ध्यान रखते हैं, तो हम योगासन, प्राणायाम और योग निद्रा जैसी योग क्रियाओं के माध्यम से योग के लक्ष्यों को पूरा कर सकते हैं।”
योग चिकित्सकों और विद्यार्थियों सहित सभी प्रतिभागी एक सार्थक सत्र में शामिल हुए, जहां उपस्थित लोगों ने विशेषज्ञ द्वारा साझा की गई मूल्यवान अंतर्दृष्टि और व्यावहारिक युक्तियों की सराहना की।