भारतीय वैज्ञानिकों ने खोजा मंकीपॉक्स की पहचान का नया तरीका

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नई दिल्ली :  वैज्ञानिकों ने मंकी पॉक्स वायरस (एमपीवी) के विषाणु विज्ञान को समझने और संक्रमण के लिए नैदानिक उपकरण विकसित करने के साथ-साथ एक नया रास्ता खोजने के लिए एक नए मार्ग की पहचान की है।

मंकीपॉक्स वायरस (एमपीवी) का प्रकोप, जिसे एमपॉक्स वायरस भी कहा जाता है, को हाल ही में पिछले तीन वर्षों की अवधि में दो बार अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी) घोषित किया गया है। इसके प्रकोप ने विश्‍व भर में अप्रत्याशित प्रसार के बारे में गंभीर चिंता जताई है, क्योंकि संचरण के तरीकों और लक्षणों को अच्छी तरह से समझा नहीं गया है। प्रभावी निदान और उपचारात्मक रणनीतियों के तीव्र विकास के साथ-साथ विषाणु विज्ञान की व्यापक समझ अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मंकी पॉक्स वायरस एक डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए (डीएसडीएनए) वायरस है। पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर) के माध्यम से बाह्य वायरल प्रोटीन जीन का पता लगाना नैदानिक नमूनों में मंकी पॉक्स वायरस की पहचान करने के लिए एक व्यापक रूप से स्थापित तकनीक है। पीसीआर सहित सामान्य पहचान दृष्टिकोण, डीएसडीएनए के प्रवर्धन पर भरोसा करते हैं, जो प्रवर्धन को मापने के लिए फ्लोरोसेंट जांच का भी उपयोग करते हैं।

ये जांच डीएसडीएनए के प्रति संवेदनशील हैं और विशिष्ट और गैर-विशिष्ट प्रवर्धन उत्पादों के बीच अंतर करने की क्षमता का अभाव है। इसके विपरीत, डीएनए में विशिष्ट अनुक्रम अद्वितीय संरचनाओं में बदल सकते हैं जो डबल हेलिक्स से विचलित होते हैं, जिन्हें गैर-विहित न्यूक्लिक एसिड अनुरूपताओं के रूप में जाना जाता है। छोटे-अणु फ्लोरोसेंट जांच के लिए लक्ष्य के रूप में इन असामान्य डीएनए संरचनाओं की क्षमता का लाभ उठाना, अत्यधिक विश्वसनीय नैदानिक परख के विकास के लिए नए रास्ते खोल सकता है।

जी-क्वाड्रप्लेक्स (जीक्यू) एक ऐसा असामान्य गैर-विहित संरूपण है जो गुआनिन (जी)-समृद्ध न्यूक्लिक एसिड अनुक्रमों में देखा जाता है, जहां चार गुआनिन हाइड्रोजन बॉन्डिंग के माध्यम से परस्पर क्रिया करते हैं और एक प्‍लेनर जी-टेट्राड प्‍लेन बनाते हैं, और कई जी-टेट्राड के परिणामस्वरूप जीक्यू का निर्माण होता है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान जवाहर लाल नेहरू उन्‍नत वैज्ञानिक अनुसंधान केन्‍द्र (जेएनसीएएसआर) के वैज्ञानिकों ने एमपीवी जीनोम के भीतर डीएनए अनुक्रमों (चार का एक सेट) को बनाने वाले अत्यधिक संरक्षित जीक्यू की पहचान की है और विशेषता बताई है। विशेष रूप से एक अनुरूप फ्लोरोसेंट छोटे-अणु जांच का उपयोग करके एक विशिष्ट जीक्यू अनुक्रम का पता लगाया है, जिससे मंकी पॉक्स वायरस का सटीक पता लगाया जा सके। जीक्यू जैसे असामान्य न्यूक्लिक एसिड संरचनाओं की पहचान, लक्षण वर्णन और लक्ष्यीकरण में चिकित्सीय निहितार्थ हैं।

ये जीक्यू अनुक्रम स्थिर हैं, अत्यधिक संरक्षित हैं और अन्य पॉक्स वायरस, अन्य रोगजनकों और मानव जीनोम में मौजूद नहीं हैं। ये विशेषताएं नैदानिक उपकरणों और चिकित्सीय विकास के लिए जीक्यू अनुक्रमों को मूल्यवान लक्ष्य बनाती हैं।

सुमोन प्रतिहार, रामजयकुमार वेंकटेश, मोहम्मद नबील मट्ट और थिमैया गोविंदराजू द्वारा विकसित फ्लोरोजेनिक आणविक जांच (बीबीजेएल) भी एमपीवी जीक्यू (एमपी 2) के साथ बंधन पर प्रतिदीप्ति उत्पादन में 250 गुना से अधिक वृद्धि प्रदान करती है। एमपीवी जीनोम में इस अत्यधिक संरक्षित अनुक्रम का चुनिंदा रूप से पता लगाने के लिए बीबीजेएल की क्षमता गैर-विहित न्यूक्लिक एसिड को लक्षित करने वाली पहचान तकनीकों के विकास के लिए एक मिसाल कायम करती है।

आणविक जांच लक्ष्य जीक्यू-डीएनए की अनुपस्थिति में गैर-फ्लोरोसेंट है और मंकीपॉक्स वायरस (एमपीवी) का पता लगाने के लिए जीक्यू लक्षित नैदानिक रणनीति का पहला प्रेक्‍टिकल डेमोस्‍ट्रेशन है। यह उनके मॉड्यूलर डायग्नोस्टिक प्लेटफॉर्म, जीक्‍यू-लक्षित विश्वसनीय रचना बहुरूपता (जीक्‍यू-आरसीपी) के विस्तार का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे मूल रूप से एमपीवाई/एमपीओएक्स-विशिष्ट जीक्‍यू और एक नया फ्लोरोजेनिक जांच की पहचान करके एसएआरएस-सीओवी-2/कोविड-19 का पता लगाने के लिए विकसित किया गया था जो पूर्व में एसीएस सेंसर में प्रकाशित हुआ था।

संवेदनशील जांच कुशलतापूर्वक विभिन्न अन्य जीक्‍यूएस से लक्ष्य मंकी पॉक्स वायरस-व्युत्पन्न जीक्‍यू और मानव जीनोम से प्राप्त अन्य डीएनए अनुरूपताओं भेद कर सकते हैं। एमपीवी जीनोम में पहचाने गए जीक्यू संभावित एंटी-वायरल लक्ष्य के रूप में भी काम कर सकते हैं।

भविष्य के चिकित्सीय के लिए संभावित जीक्यू लक्ष्यों की पहचान करने के लिए एमपीवी जीनोम का अतिरिक्त मैपिंग किया जा रहा है। यह अध्ययन जीक्यू के आधार पर संभावित पहचान प्लेटफार्मों के विकास को बढ़ाता है। पहचाने गए जीक्यू को उनके एंटी-वायरल गुणों की जांच की जा सकती है।

न्यूक्लिक एसिड की बेहतर रचना या अनुक्रमों की विशिष्ट मान्यता के साथ इस तरह के आणविक जांच गैर-विशिष्ट प्रवर्धन से उत्पन्न होने वाले गलत और सकारात्मक परिणामों को भेदभाव करने में, मौजूदा प्रवर्धन-आधारित तकनीकों में चुनौती को कम कर सकते हैं। मंकीपॉक्स वायरस (एमपीवी) में नए जीक्यू अनुक्रमों की पहचान और उनके लक्षण वर्णन के लिए मंकी पॉक्स वायरस के वायरोलॉजी को समझने या नैदानिक और चिकित्सा विकसित करने की मांग वैज्ञानिक समुदाय की मदद कर सकता है।

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