हरियाणा सरकार ने डिफेंस पॉलिसी 2017 का प्रारूप जारी किया

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एयरोस्पेस और डिफेंस क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने का प्रयास 

चंडीगढ़,14 जून :  हरियाणा सरकार ने राज्य में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी और उन्नतिशील एयरोस्पेस और रक्षा (ए और डी) विनिर्माण उद्योग के सृजन के लिए निवेशकों को अपने दृष्टिïकोण, मिशन, नीतियों और प्रोत्साहनों जैसे राज्य के सहयोगी कदमों से अवगत करवाने के लिए एयरोस्पेस और डिफेंस पॉलिसी, 2017 का प्रारूप जारी किया है। 
 
         नागरिक उड्डïयन विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां जानकारी देते हुए बताया कि यह नीति अगले पांच वर्ष में हरियाणा में एयरोस्पेस और डिफेंस क्षेत्र के विकास के लिए रणनीतिक दिशा प्रदान करती है।
 
          उन्होंने बताया कि नीति का उद्देश्य हरियाणा को देश के प्रमुख एयरोस्पेस और रक्षा विनिर्माण केंद्र और एशियाई क्षेत्र के एक पसंदीदा रख-रखाव, मरम्मत एवं ओवरहाल (एमआरओ) और फिक्स्ड बेस ऑपरेटर (एफबीओ) गंतव्य के रूप में स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि हरियाणा स्वयं को देश के अग्रणी एयरोस्पेस और डिफेंस विनिर्माण हब के रूप में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है और राज्य की मान्यता प्राप्त विनिर्माण प्रवीणता और अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की भारत की महत्वपूर्ण जरूरतों को पूरा करने में मदद करेंगे। 
 
          प्रवक्ता ने कहा कि नीतिगत उद्देश्य मौजूदा सहायक आधार का लाभ उठाकर और एयरोस्पेस और डिफेंस के क्षेत्र के लिए समर्पित नए सूक्ष्म, लघु एवं माध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को बढ़ावा देकर भारत में कंपनियों द्वारा निष्पादित सभी ऑफसेट दायित्वों के कम से कम 15 प्रतिशत आदेशों को आकर्षित करना; मेगा और अल्ट्रा मेगा एंकर इकाइयां स्थापित करने के लिए निवेशकों को आकर्षित करके  भारत में रक्षा उद्योग के आदेशों के मूल्य के आधार पर 10 प्रतिशत को आकर्षित करना; अनुसंधान, डिजाइन, विकास, विनिर्माण, रखरखाव, गुणवत्ता नियंत्रण और प्रशिक्षण सहित समस्त मूल्य-श्रृंखला में 25,000 करोड़  रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित करना; 2020 तक 32,000 लोगों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार सृजित करना और एयरोस्पेस और डिफेंस क्षेत्र का लाभ उठाकर सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में उद्योग की हिस्सेदारी 27 प्रतिशत से बढ़ाकर 32 प्रतिशत करना और एमआरओ गतिविधियों के मूल्य के आधार पर 50 प्रतिशत आकर्षित करना है, जिसका भारत में बाजार आकार लगभग 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है।
          पात्रता शर्तों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जिन इकाइयों को हरियाणा औद्योगिक नीति 2011 या पहले की नीतियों के तहत कोई भी प्रोत्साहन पैकेज पहले से ही स्वीकृत किया जा चुका है, वे इस नीति के तहत लाभ प्राप्त करने की पात्र नहीं होंगी। इस नीति की अधिसूचना की तिथि के बाद वाणिज्यिक उत्पादन और ऑपरेशन शुरू करवाने वाली इकाइयां प्रोत्साहन प्राप्त करने के लिए पात्र होंगी। इसके अलावा, विद्यमान इकाइयों के विस्तार या तकनीकी उन्नयन के लिए संयंत्र और मशीनरी में मौजूदा निवेश का 50 प्रतिशत निवेश करने वाली इकाइयां, नई इकाइयों के अनुसार  प्रोत्साहन के लिए पात्र होंगी।
          उन्होंने कहा कि प्रस्तावित नीति के तहत विभिन्न रियायतें और सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी। हरियाणा राज्य औद्योगिक और आधारभूत संरचना विकास निगम, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण और राज्य सरकार द्वारा रियायती दर पर जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। मेगा इकाइयों को सरकारी भूमि आवंटन के लिए प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि गुरुग्राम जिले में भूमि के लिए 10 प्रतिशत रियायत दी जाएगी, जबकि गुरुग्राम जिले के बाहर भूमि के लिए 25 प्रतिशत रियायत दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हरियाणा राज्य औद्योगिक और आधारभूत संरचना विकास निगम, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण और राज्य सरकार द्वारा 33 वर्ष के दीर्घावधि पट्टे पर भूमि उपलब्ध करवाई जाएगी, जिसमें 33 वर्ष तक पांच प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि की जाएगी। 
          प्रवक्ता ने कहा कि एयरोस्पेस और डिफेंस इकाइयां पहले लेन-देन पर बिक्री या पट्टे पर भुगतान किए गए पंजीकरण शुल्क और स्टांप ड्यूटी की प्रतिपूर्ति के लिए पात्र होंगी और दिए गए के लिए पात्र होंगे। गुरुग्राम के बाहर अन्य जिलों में निवेश करने वाली इकाइयों के लिए 100 प्रतिशत जबकि जिला गुरुग्राम में निवेश करने वाले इकाइयों के लिए 30 प्रतिशत प्रतिपूर्ति होगी। पंजीकरण शुल्क की शतप्रतिशत प्रतिपूर्ति पूरे राज्य में लागू होगी। बिजली सब्सिडी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सभी इकाइयां पांच वर्षों तक 1.77 रुपये प्रति यूनिट तक ओपन एक्सेस शुल्क की छूट के लिए पात्र होंगे। इसके अलावा, जिला गुरुग्राम के बाहर की परियोजनाओं के लिए इस प्रयोजन के लिए निर्दिष्ट दरों पर वर्गीकृत ब्याज सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
          उन्होंने कहा कि कैप्टिव पावर उत्पन्न करने वाली इकाइयों को 10 वर्षों के लिए विद्युत शुल्क में शतप्रतिशत छूट प्रदान की जाएगी। हालांकि, छूट केवल अपने स्वयं के संचालन के लिए खपत बिजली तक ही सीमित होगी। इसके अलावा, सभी इकाइयों को 10 साल की अवधि के लिए या तय पूंजी निवेश की प्राप्ति तक, जो भी पहले हो, अदा किए गए सकल मूल्यवर्धित कर या केंद्रीय बिक्री कर या राज्य माल एवं सेवा कर की शतप्रतिशत प्रतिपूर्ति की अनुमति होगी। इसी प्रकार, निर्दिष्ट एयरोस्पेस और डिफेंस पार्क या क्लस्टर या ज़ोन में निर्मित घटकों या उत्पादों के निर्यात के लिए शतप्रतिशत माल ढुलाई सब्सिडी दी जाएगी। इसके अलावा, घटक असंतुलन को संतुलित करने के लिए राज्य के भीतर घटक निर्माता रक्षा इकाई से एंकर यूनिट तक घटक के परिवहन पर शतप्रतिशत भाड़ा सब्सिडी दी जाएगी। 
          प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास इकाइयों के लिए एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करने के लिए विश्वस्तरीय अवसंरचना सृजित करना है। हिसार एविएशन हब के हिस्से के रूप में एक विश्वस्तरीय एमआरओ स्थापित करने का प्रस्ताव है। यह समस्त विमान आधार रखरखाव सेवाएं प्रदान करने के लिए एक अत्याधुनिक सुविधा होगी जो क्षेत्रीय और वैश्विक एयरलाइन ग्राहकों की रखरखाव की आवश्यकताओं को भी पूरा करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य निर्धारित एयरोस्पेस और डिफेंस क्लस्टर या हब में परिचालन स्थापित करने वाली इकाइयों को प्रोत्साहित करेगा। 
          उन्होंने कहा कि हिसार में सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल पर स्थापित किए जा रहे एयरोस्पेस पार्क में एमआरओ और एफबीओ की सुविधाएं विकसित की जाएंगी जहां एमआरओ, एफबीओ और वेयर हाउसिंग के विशेषज्ञताओं को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 10 वर्षों के लिए एमआरओ गतिविधियों पर शून्य वैट होगा। नई उड्डयन नीति के अनुसार, पांच वर्ष की अवधि के लिए एमआरओ सेवा प्रदाताओं पर हवाई अड्डे की रॉयल्टी और अतिरिक्त शुल्क नहीं लगाए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार इस शुल्क की अगले पांच वर्षों के लिए प्रतिपूर्ति करेगी। भारत सरकार ने ड्यूटी (कस्टम) मुक्त भागों के उपयोग के लिए तीन वर्ष की विंडो प्रदान की है; राज्य सरकार इस विंडो को पांच वर्षों तक बढ़ाएगी और इसकी अतिरिक्त लागत को वहन करेगी। 
          प्रवक्ता ने कहा कि टेस्टिंग सेंटर, प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र और सांझा सुविधा केंद्र के लिए भूमि, भवन, संयंत्र और मशीनरी की लागत का 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाएगी, जिसकी अधिकतम सीमा क्रमश:25 करोड़ रुपये,30 करोड़ रुपये और 50 करोड़ रुपये होगी। 

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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