लोकनृत्य कलाकारों के साथ दिन भर झूमते रहे हजारों लोग
हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले का अंतिम दिन
गुरुग्राम : हरियाणा में पहली बार गुडग़ांव के लेजरवैली पार्क में आयोजित हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले के अंतिम दिन देश की विभिन्न संस्कृतियों और सभ्यताओं का संगम दिखाई दिया। देश के अलग-अलग प्रदेशों से आए कलाकार अपनी-अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से दर्शकों को देश की महान संस्कृति का दर्शन करवा रहे हैं। कलाकारों की बेहतरीन व मनमोहक प्रस्तुतियों को देखकर मेले में आने वाले दर्शक खुद को लोक गीतों पर झूमने से रोक नहीं पा रहे हैं। इस चार दिवसीय मेले में दर्शकों को आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारत की महान संस्कृति व यहां की प्रकृति से रूबरू होने का अवसर मिला, जिसे मेले के आखिरी दिन कोई भी नहीं गंवाना चाहता था। रविवार होने के कारण भी हरियाणा और आसपास के प्रदेशों के लोगों का जनसमुह हिंदू अध्यात्मिक एवं सेवा मेले को देखने के लिए उमड़ा। अंतिम दिन लगभग एक लाख लोग मेले में पहुंचे।
मेले के पहले दिन दो फरवरी को पचास हजार लोग मेले में पहुंचे, लेकिन इसके बाद रोजाना लोगों का हुजूम मेला देखने पहुंचा। अंतिम दिन तो लोगों को जोश देखते ही बन रहा था। परमवीर वंदन में हजारों सैनिक, उनके परिवार के साथ-साथ विद्यार्थियों की संख्या भी काफी अच्छी रही। मेले में आने वाले दर्शकों को यहां प्राचीन गुरुकुल की शिक्षा पद्धति, देश के खान-पान, रहन-सहन, वेशभूषा, प्राचीन उपचार पद्धति, बांस पर चलने की कला से रूबरू होने का अवसर मिला।
रविवार को सबसे पहले सदभावना सम्मेलन हुआ, जिसमें सैंकड़ों साधु संतों ने हिस्सा लिया और बताया कि किस तरह देश की एकता और अखंडता के लिए समाजिक एकता जरूरी है। राजस्थान के चुरू जिले से आए जगदीश ने बताया कि रावण था राजस्थान का प्रसिद्ध संगीत है। पुराने जमाने में इस संगीत के माध्यम से राजे-महाराजाओं की पडक़थाएं सुनाई जाती थी लेकिन अब यह संगीत लुप्त होता जा रहा है लेकिन इस मेले में उनके इस संगीत को अच्छा महत्व मिल रहा है। यहां आने वाले दर्शक संगीत को सुनने के बाद खुद को झूमने से नहीं रोक पाते। वहीं कटपुतली का खेल दिखा कर लोगों का मनोरंजन कर रहे राजस्थान के सीकर निवासी मोहन भट्ट ने कहा कि कटपुतली का खेल प्राचीन खेल है और इस खेल से जहां लोगों का मनोरंजन होता है, वहीं इससे लोगों को अच्छी शिक्षा भी मिलती है।
व्हीलचेयर पर भी मेला देखने पहुंचे दिव्यांग
हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले का खुमार लोगों के सिर पर इस कदर छाया हुआ था कि वह चाह कर भी मेले में आने से अपने आपको नहीं रोक पा रहे थे। पैरों में दिक्कत होने की वजह से चलने-फिरने में असमर्थ दिव्यांगों के दिलों में भी मेले को लेकर इस कदर उत्साह भरा हुआ था कि उन्होंने अपनी परेशानियों को अनदेखा कर करते हुए व्हीलचेयर के सहारे मेला देखने के लिए पहुंचे।
मेरे यार सुदामा गीत से यू-ट्यूब पर धमाल मचाने
वाली छात्राओं ने भी किया मेले का भ्रमण
‘हो मेरे यार सुदामा रै भाई बड़े दिनैं में आया’ गीत से आजकल यू-ट्यूब पर धमाल मचाने वाली रोहतक जिले के सांघी गांव के डॉ. स्वरूप सिंह राजकीय मॉडल संस्कृति सीनियर सेकेंडरी स्कूल की छात्राएं भी अपने संगीत के अध्यापक सोमेश जांगड़ा के साथ मेले का भ्रमण करने के लिए पहुंची। छात्रा मुस्कान, रिंकू, विधि, मनीषा, ईशा व शीतल ने बताया कि आज तक उन्होंने ऐसा भव्य मेला नहीं दिखा था। इस मेले में पहुंच कर उन्होंने अपने संस्कृति, प्रकृति के दर्शन किए हैं। संगीत के अध्यापक सोमेश जांगड़ा ने बताया कि आज हमारी प्राचीन परंपराएं लुप्त होती जा रही हैं और हमारी परंपराओं को जिंदा रखने में इस तरह के मेले बहुत कारगर साबित हो रहे हैं। सोमेश ने बताया कि उन्होंने छात्राओं से मेरे यार सुदामा का जो गीत तैयार करवाया है यह हमारा लोक गीत है। आज संगीत में बढ़ती अश£ीलता के चलते हमारे लोक गीतों की तरफ लोगों का रूझान कम होता जा रहा है। अपने लोक गीतों को बढ़ावा देने के लिए ही उन्होंने यह गीत तैयार करवाया था। इस दौरान छात्राओं ने सादगी पूर्ण तरीके से गीत की प्रस्तुति देकर सभी का मन मोह लिया।
मौसम भी रहा मेहरबान
हिन्दू आध्यत्मिक एवं सेवा मेले की एक खास बात यह भी रही के चार दिनों तक चले इस मेले में मौसम भी खूब मेहरबान रहा। इन चारों दिनों तक सूर्यदेव ने भी अपनी किरणों से मेले में अपना आशीर्वाद दिया। वहीं शनिवार रात को तेज हवाएं चलने के साथ बारिश की संभावना भी बढ़ गई थी। क्योंकि मौसम विभाग ने भी 4 और 5 फरवरी को बूंदाबांदी की संभावना जताई थी लेकिन गुरुग्राम की धरा पर आयोजित इस पावन मेले ने मौसम को भी अपना मिजाज बदलने पर मजबूर कर दिया। रविवार को मेले के समापन के दिन पूरा दिन मौसम साफ रहा और सूर्यदेव आकाश में चमकते रहे। इससे लोगों को सर्दी का भी ऐहसास नहीं होने दिया।