कोरोना को लेकर जारी दिशा-निर्देशों के साथ आज मनाया जाएगा लोहड़ी का पर्व

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लोग लोकगीत गाकर करते हैं दुल्ला भट्टी को याद, बाजारों में खरीददारों की लगी है भीड़


गुडग़ांव, 12 जनवरी : देश के कई राज्यों हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश व जम्मू-कश्मीर में आज बुधवार को लोहड़ी का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। पंजाब व हरियाणा में इस त्यौहार को लेकर अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। नई फसलों से जोड़ कर भी इस पर्व को देखा जाता है।पंडितों का कहना है कि लोहड़ी सूर्य से मकर राशि में प्रवेश करने के एक दिन पूर्व मनाई जाती है, इसलिए लोहड़ी का पर्व आज 13 जनवरी को ही मनायाजाएगा। हालांकि कोरोना महामारी का प्रकोप अभी खत्म नहीं हुआ है, लेकिन लोहड़ी पर्व को लेकर सभी उत्साहित दिखाई दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि पर्व को कोरोना को लेकर जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए ही मनाएंगे।


लोहड़ी का है यह अर्थ


लोहड़ी का अर्थ है- ल (लकड़ी), ओह (गोहा यानी सूखे उपले), ड़ी (रेवड़ी)।लोहड़ी के पावन अवसर पर लोग मूंगफली, तिल व रेवड़ी को इक_ा कर प्रसाद के रूप में इसे तैयार करते हैं और आग में अर्पित करने के बाद आपस मे प्रसादके रुप में वितरित कर देते हैं। जिस घर में नई शादी हुई हो या फिर बच्चे का जन्म हुआ हो वहां यह पर्व काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है।

लोग करते हैं लोहड़ी की पूजा


लोहड़ी पर्व की रात को परिवार व आस-पड़ोस के लोग इक_े होकर लकड़ी जलाते हैं। इसके बाद तिल, रेवड़ी, मूंगफली, मक्का व गुड़ अन्य चीजेेंं अग्नि को समर्पित करते हैं। परिवार के लोग आग की परिक्रमा कर सुख-शांति की कामना करते हैं।


दुल्ला भट्टी को करते हैं याद


लोकगीत गाकर लोग दुल्ला भट्टी को याद करते हैं। लोहड़ी का गीत सुंदर मुंदरिए हो, तेरा कौन विचारा हो, दुल्ला भट्टी वाला हो, दुल्ले दी धी बयाही हो गाया जाता है। बड़े बुजुर्गों का कहना है कि इस लोकगीत से एक पुरातन कहानी भी जुड़ी हुई है। दुल्ला भट्टी नाम के एक डाकू ने पुण्य का काम किया था। ऐसा कहा जाता है कि सुंदर व मुंदर नाम की 2 लड़कियां थी और वे अनाथ थीं। इन लड़कियों के चाचा ने दोनों को किसी सूबेदार को सौंप दिया था। जब डाकू दुल्ला भट्टी को इस बात का पता चला तो उसने सुंंदर व मुंदर दोनों लड़कियों को मुक्त करवाया और 2 अच्छे लडक़े ढूंढकर इनकी शादी करवा
दी। कहा जाता है कि जब इन दोनों लड़कियोंं की शादी हुई थी तो आसपास से लकडिय़ां एकत्रित कर आग जलाई गई थी और शादी में मीठे फल की जगह गुड़, रेवड़ी व मक्के जैसी चीजों का इस्तेमाल किया था। उसी समय से दुल्ला भट्टी की अच्छाई को याद करने के लिए यह पर्व मनाया जाता है।  इस पर्व को लेकर मंगलवार को शहर के मुख्य सदर बाजार, जैकबपुरा, सोहना चौक, रामलीला मैदान,
ओल्ड व न्यू रेलवे रोड स्थित बाजारों की दुकानों पर मूंगफली, रेवड़ी आदि खरीदने वालों की भारी भीड़ दिखाई दी।

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