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चण्डीगढ़ । हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने कहा है कि वे किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से प्रदेश में पशुधन के विकास के लिए नईं योजनाएं क्रियान्वित की जाएं।
श्री आर्य आज राजभवन में हरियाणा पशु चिकित्सा परिषद और पशुपालन एवं डेयरी विकास विभाग, हरियाणा द्वारा प्रकाशित ‘‘प्राकृतिक पशु चिकित्सा पद्धति’’ नामक पुस्तिका का विमोचन करने पश्चात पशुपालन एवं डेयरी विकास मंत्री श्री ओ.पी. धनखड़ व विभागीय उच्च अधिकारियों से बात कर रहे थे। इस पुस्तिका में पशुओं की 16 बिमारियों के प्राकृतिक इलाज के बारे में बताया गया है।
उन्होने कहा कि हरियाणा एक ऐसा प्रदेश है जहां पशुधन विकास की अपार संभावनाएं है। इन्ही संभावनाओं को देखते हुए विभाग ने पशु नस्ल सुधार व पशु चिकित्सा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है, जिससे हरियाणा प्रति व्यक्ति दुध उपल्बद्धता में देश में दूसरे स्थान पर है। हरियाणा की मुर्रा भैंस विदेशों में चर्चित है। प्रदेश में गौ-भैंस प्रजनन व डेरी विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत 24 करोड़ 98 लाख रूपये खर्च किए जा रहे है, जिससे हरियाणा साहीवाल व गिर नस्लों के सुधार पर कार्य होगा, इससे प्रदेश के किसानों की आय भी दोगुणी हेागी। उन्होने कहा कि पशुपालन के क्षेत्र में हरियाणा का अग्रणी स्थान होने से पशु चिकित्सा के लिए विशेष कदम उठाए जा रहे है।
पशु चिकित्सा के संबन्ध में पशुपालन एवं डेयरी विकास मंत्री श्री ओम प्रकाश धनखड़ ने बताया कि हरियाणा में पशु चिकित्सा के लिए मोबाइल ‘‘वैटेनरी युनिट’’ योजना शुरू की जा रही है। इस महत्वाकंाक्षी योजना के तहत विभाग के डॉक्टरों की टीम बीमार पशु के पास जाकर पशुओं का इलाज करेगी जिस भी किसान का पशु बीमार होगा यह युनिट फोन करने पर ही किसान के घर द्वार पर पहुंचेगी। पशु चिकित्सा के क्षेत्र में यह विभाग का एक क्रान्तिकारी कदम है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में गौ-संरक्षण के लिए गौशालाओं को 30 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जा रही है। इसके साथ-साथ गौशालाओं मे 90 प्रतिशत की सब्सिडी पर सौलर सिस्टम स्थापित किए जा रहे है। उन्होने राज्यपाल श्री आर्य को विभाग का लोगो भी भेंट किया।
विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, डॉ० सुनील कुमार गुलाटी ने विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तिका ‘‘प्राकृतिक पशु चिकित्सा पद्धति’’ के बारे में बताया कि इस पुस्तक में पशुओं की 16 बिमारियों का प्राकृतिक चिकित्सा से इलाज के बारे में बताया गया है, जिनमें थनैला रोग, मुंहखुर रोग, दस्त, कृमि रोग, थन में पानी उतरना एवं सोजिश, थन के चेचक, चिचड़, बुखार, जेर नहीं गिरना, बांझपन की समस्या आदि रोगों का इलाज बताया गया है।
इस मौके पर किसान कल्याण आयोग के चेयरमैंन डॉ० रमेश यादव, सदस्य सचिव डॉ० राजेन्द्र बाल्याण तथा डेयरी विकास विभाग के महा निदेशक डॉ० हरदीप सिंह भी उपस्थित थे।