वैज्ञानिक जी माधवन नायर ने मेहनत के दम पर तय किया सफलता का सफर

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नई दिल्ली।। देश के जाने-माने वैज्ञानिक रहे जी माधवन नायर इसरो के भूतपूर्व अध्यक्ष हैं। माधवन ऐन्ट्रिक्स कॉरपोरेशन बंगलोर के चैयरमैन भी रहे हैं। अपने जीवन में कई सफलताएं पाने वाले प्रतिभा के धनी माधवन पर भ्रष्‍टाचार के दाग भी लगे। माधवन नायर हाल ही में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं।

माधवन नायर से जुड़ीं कुछ महत्‍वपूर्ण बातें :

माधवन का जन्‍म 31 अक्तूबर, 1943 को तमिलनाडु के ट्रावनकोर स्‍टेट के कुलशेखरम में हुआ था। माधवन ने साल 1966 में केरल विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि ली थी, उसके बाद उन्होंने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई में प्रशिक्षण लिया था।

माधवन रॉकेट सिस्‍टम के क्षेत्र में एक लीडिंग टैक्‍नोलॉजिस्‍ट थे। मल्‍टी स्‍टेज सैटेलाइट लांच वेहिकल (एसएलवी) के विकास में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है।

वो करीब 6 सालों तक इसरो के अध्यक्ष पद पर रहे और इस दौरान उन्होंने कई मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा किया। इनमें इन्सैट-3 ई, रिसोर्ससैट-1, एडुसैट, कार्टोसैट-1, पीएसएलवी-सी 5, जीएसएलवी-एफ 1, पीएसएलवी-सी 6, पीएसएलवी-सी 7, पीएसएलवी-सी 8, आईएमएस-1, पीएसएलवी-सी9, चंद्रयान-1, पीएसएलवी-सी 11, पीएसएलवी-12 और पीएसएलवी-सी 14 शामिल हैं।

माधवन नायर देश के चंद्रयान-1 मिशन का अहम हिस्‍सा थे। 22 अक्‍टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा से चंद्रयान को लॉन्‍च किया गया था। पिछले वर्ष नासा ने इस बात की पुष्टि की थी कि चंद्रयान-1 अभी तक चंद्रमा की कक्षा में है।

अंतरिक्ष के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य के लिए वो पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित हो चुके हैं। इसके अलावा भी वो राजा राममोहन रॉय पुरस्कार, भारत अस्मिता श्रेष्ठत्व पुरस्कार, चाणक्य पुरस्कार, लोकमान्य तिलक पुरस्कार और भारत शिरोमणि पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किए जा चुके हैं।

माधवन नायर बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग (यूएन-कोपस) पर संयुक्त राष्ट्र समिति के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के नेता भी रहे हैं। अंतरिक्ष विभाग के भूतपूर्व सचिव तथा अंतरिक्ष आयोग के भूतपूर्व अध्यक्ष भी रहे हैं।

जी माधवन नायर ने सैटेलाइट्स की मदद से समाज के लिए उपयोगी दूर शिक्षा और दूर चिकित्‍सा जैसे कार्यक्रमों पर बहुत जोर दिया। अब तक एडुसैट नेटवर्क की मदद से लाखों कक्षाओं का संचालन किया जा चुका है। उन्‍होंने उपग्रह संयोजन के माध्‍यम से कृषि क्षेत्र का विकास करने के लिए कई योजनाएं चलाईं।

अगस्‍त 2017 में जी माधवन नायर की ऑटोबायोग्राफी ”अग्‍निपरीक्षाकाल” प्रकाशित हो चुकी है।

जी माधवन नायर के कार्यकाल में ही इसरो पर भ्रष्‍टाचार के आरोप लगे थे। इसरो में हुए उस स्कैम का नाम देवास-ऐन्ट्रिक्स स्कैम था।

घोटाले की वजह से माधवन को अपना पद छोड़ना पड़ा। इसके बाद माधवन को किसी भी सरकारी संगठन से जुड़ने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया।

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