नई दिल्ली। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार के बीच चल रहे कथित विवाद में अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी कूद गया है। खबर है कि संघ ने यह कहते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर को सीधे-सीधे चेतावनी दे डाली है कि उन्हें सरकार के अनुरूप काम करना चाहिए नहीं तो इस्तीफा दे देना चाहिए। संघ के नेता अश्विनी महाजन ने एक पत्रकार से खास बातचीत के दौरान ये बातें कहीं। संघ की आर्थिक शाखा ‘स्वदेशी जागरण मंच’ के प्रमुख महाजन ने बल देते हुए कहा है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल को देश के आर्थिक विकास के लिए सरकार के साथ तालमेल बैठाकर काम करना चाहिए । उन्होंने दोहराया कि अगर वे ऐसा नहीं कर सकते तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।
खबर के अनुसार महाजन ने साथ में ये भी कहा कि उर्जित पटेल को विवादों को सार्वजनिक करने से अपने अधिकारियों को रोकना चाहिए। महाजन ने साफतौर पर कहा, ‘अगर वह (उर्जित पटेल) अनुशासन में नहीं रह सकते तो उनके लिए यही अच्छा है कि वह पद से इस्तीफा दे दें।’ उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार के पास रिजर्व बैंक एक्ट के तहत सभी अधिकारों के उपयोग का पूरा अधिकार है।
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक और सरकार के बीच तनाव की ख़बरों ने उस वक्त जोर पकड़ा जब पिछले हफ्ते शुक्रवार को आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्या ने एक कार्यक्रम में कहा कि केंद्रीय बैंक की आजादी की उपेक्षा करना खतरनाक हो सकता है। इसके बाद खुद गवर्नर उर्जित पटेल ने भी रिजर्व बैंक की स्वायतत्ता पर हमले को अवांछित करार दिया। यह चर्चा जोरों पर होने लगीं कि सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। कई नीतिगत मामलों को लेकर गंभीर मतभेद हैं।
इसमें आग में घी काम वित्त मंत्री अरुण जेटली के मंगलवार के बयान ने किया। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इस कथित विवाद को देश के सामने और खोल दिया जब उन्होंने रिजर्व बैंक की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि जब बड़े पैमाने पर लोन बांटे जा रहे थे तो तब क्या आरबीआइ सो रहा था। जेटली ने सार्वजनिक रूप से एनपीए समस्या के लिए रिजर्व बैंक को जिम्मेदार ठहराया। ऐसी खबरें भी सामने आईं कि पिछले कुछ महीनों में समय-समय पर कई मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक को कई पत्र भी भेजे हैं। कहा जा रहा है कि इन पत्रों को धारा 7 के तहत अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए भेजा गया, लेकिन औपचारिक रूप से इसे स्वीकार नहीं किया गया है।