प्रकाश जावड़ेकर के निर्णय को स्वास्थ्य मंत्रालय ने लगाया पलीता
अब फिर पुराने पैटर्न पर ही होगी मेडिकल एंट्रेंस के लिए नीट परीक्षा
सुभाष चौधरी/प्राधान सम्पादक
नई दिल्ली। मेडिकल कालेज में प्रवेश को लेकर केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच तनातनी के संकेत हैं। लगता है इस अहम निर्णय को लेकर दोनों मंत्रालयों के बीच तालमेल का अभाव ही नहीं दिखता बल्कि इस मामले पर गंभीर मतभेद भी सामने आए हैं। इसका स्पष्ट प्रमाण इस बात से मिलता है कि जिस नीट परीक्षा की एकतरफा घोषणा मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से साल में दो बार कराने की गई थी उस पर हेल्थ मंत्रालय ने आपत्ति जताते हुए इसे पुनः पुराने पैटर्न से कराने का निर्णय लिया है। यानी नीट पहले की तरह ही साल में एक बार और पेन-पेपर के जरिए होगी। इससे एच आर डी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की घोषणा को बड़ा धक्का लगा है और उन लाखों छात्रों को भी झटका लगा है जो इसी साल दोबार यह परीक्षा देने का सपना पाले हुए थे।
अब खबर है कि स्वास्थ्य मंत्रालय की कड़ी आपत्ति के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आखिरकार नीट की साल में दो बार परीक्षा कराने की अपनी योजना को फिलहाल टाल दिया है। साथ ही इसके अनुसार नीट की अगली परीक्षा का कार्यक्रम भी जारी कर दिया गया है। अगली परीक्षा अब 5 मई 2019 को होगी। इसके लिए रजिस्ट्रेशन एक नंबर 2018 से ही शुरु होगा।
मंगलवार को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने नीट, जेईई सहित कई परीक्षाओं का कार्यक्रम जारी किया है। ये परीक्षाएं अभी तक सीबीएसई आयोजित करती रही है। अब इन परीक्षाओं के आयोजन का जिम्मा एनटीए को सौंपा गया है।
गौरतलब है कि नीट के परीक्षा पैटर्न में बदलाव को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर घोषणा की थी। हालांकि इसको लेकर चर्चा ज़ोरों पर पहले से ही थी लेकिन लगता है यह फैसला लेने से पूर्व केन्द्रीय हेल्थ मंत्रालय से इस संबंध में मंतव्य नहीं लिया गया था अन्यथा केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री द्वारा घोषणा करने के बाद इस मामले में यू टर्न लेने की स्थिति पैदा नहीं होती। अब मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के निर्णय को पूरी तरह पलट दिया गया।
प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय मानक के तहत साल में दो बार परीक्षाएं होनी चाहिए। इस दौरान उन्होंने नीट और जेईई मुख्य परीक्षाओं को भी साल में दो बार कराने की घोषणा की थी। उनका कहना था कि इससे उन छात्रों के लिए आसानी होगी, जिन्हें किन्हीं कारणवश पेपर खराब होने या न दे पाने के चलते पूरे साल भर इन परीक्षाओं का इंतजार करना पड़ता है। हालांकि यह योजना लाखों छात्रों के हक में था लेकिन हेल्थ मंत्रालय की ओर से इसमें अड़ंगा लगाने फिलहाल नई व्यवस्था टाल दी गयी है। जाहिर है दो मंत्रालयों के अहम का टकराव स्पष्ट रुप से सामने आया है और इसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ेगा।