भारतीय सांख्यिकी सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारियों ने राष्ट्रपति से की मुलाकात

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नई दिल्ली। भारतीय सांख्यिकी सेवा (आईएसएस) के परिवीक्षार्थियों (2024 बैच) के एक समूह ने आज (14 जनवरी, 2025) राष्ट्रपति भवन में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।

राष्ट्रपति ने परिवीक्षार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि सांख्यिकी उपकरण और मात्रात्मक तकनीक नीतिगत निर्णयों के लिए अनुभवजन्य आधार प्रदान करके प्रभावी प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सरकारें स्वास्थ्य, शिक्षा, जनसंख्या आकार और रोजगार आदि क्षेत्र के आंकड़े एकत्र करने के लिए राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणालियों पर निर्भर हैं। ये आंकड़े नीति-निर्माण का आधार होते हैं। सांख्यिकी विश्लेषण प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का एक उपकरण है। सांख्यिकी न केवल कुशल प्रशासन के लिए महत्‍वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक-आर्थिक विकास का उपकरण भी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार को नीतियां बनाने, उन्‍हें लागू करने और निगरानी करने के साथ-साथ नीति समीक्षा और प्रभाव का आकलन करने के लिए आंकड़ों की आवश्यकता होती है। नागरिकों को सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के आकलन और उनके बारे में निष्पक्ष समझ बनाने के लिए डेटा की आवश्यकता होती है। डेटा और सूचना के आधार पर देश की आवश्यकताओं के समाधान के लिए आईएसएस अधिकारियों को सांख्यिकीय पद्धतियों में उच्च दक्षता की आवश्यकता होती है।

उन्होंने आईएसएस अधिकारियों से डेटा एकत्र करते समय आम लोगों खासकर गरीबों और वंचितों की आवश्‍यकताओं के प्रति संवेदनशील रहने का आग्रह किया। राष्‍ट्रपति ने कहा कि उनके द्वारा एकत्र किए गए सभी आंकड़ों को संसाधित और विश्लेषित किया जाएगा और अंततः लोगों की जरूरतों को पूरा करने और उनके सपनों को पूरा करने में मदद करने के लिए उपयोग किया जाएगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि जैसे-जैसे भारत समावेशी और सतत विकास की ओर बढ़ रहा है, पर्यावरणीय प्रभावों और जलवायु परिवर्तन की निगरानी में सांख्यिकीय अनुसंधान एक बड़ी भूमिका निभाएगा। ऊर्जा खपत और कार्बन उत्सर्जन से सम्‍बंधित संकेतकों पर नज़र रखने के लिए आईएसएस अधिकारियों द्वारा किए गए शोध से भारत सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिए डेटा-संचालित रणनीति बनाने में सक्षम बन सकता है। ये रणनीतियां भारत को संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने में और मदद करेंगी।

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