राहुल गाँधी को देश ने नकार दिया : रीता बहुगुणा
कांग्रेस पार्टी को ठेके पर दे दिया
नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी की उत्तर प्रदेश में पैर ज़माने की कोशिश को गुरुवार को जोरदार झटका लगा है. पार्टी की वरिष्ठ नेता रीता बहुगुणा जोशी ने कांग्रेस से नाता तोड़ कर भाजपा का दामन थाम लिया है. उन्हें भाजपा कार्यालय में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में पार्टी में शामिल करने की घोषणा की गयी.
कांग्रेस राष्ट्रीय सोच से अलग
रीता बहुगुणा जोशी के समंबंध में पिछले कुछ दिनों से चल रही चुनावी अटकलों को अब विराम लग गया है. उन्होंने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है और भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है. इस अवसर पर आयोजित पत्रकार वार्ता में रीता बहुगुणा ने राहुल गाँधी पर पार्टी को ठेके पर देने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि देश व प्रदेश ने राहुल गाँधी को पूरी तरह अस्वीकार कर दिया है. उनके नेतृत्व में पार्टी राष्ट्रीय सोच से विमुख हो गयी है.
कांग्रेस पार्टी को पोल मेनेजर के सहारे
उन्होंने हाल ही में हुए उरी हमले के मद्दे नजर की यी सर्जिकल स्ट्राइक के लिए सेना व प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी कि सराहना की.उनका कहना था कि अब देश व उत्तर प्रदेश का विकास नरेन्द्र मोदी व भाजपा के नेतृत्व में ही संभव है. कांग्रेस पार्टी को पोल मेनेजर के सहारे चलने वाली बताते हुए रीता जोशी ने कहां कि वहां अब सब कुछ पी के यानि प्रशांत किशोर की मर्जी से होता है. किसी को कुछ पता नहीं होता है. नेताओं को पी के ही डायरेक्शन देते हैं कि उन्हें सुबह कहाँ जाना है.
खून की दलाली करने का अनर्गल आरोप
पत्रकारों से मुखातिव होते हुए रीता बहुगुणा ने राहुल गाँधी के उस बयान की भी निंदा की जिसमें राहुल गाँधी ने नरेन्द्र मोदी को खून की दलाली करने का अनर्गल आरोप लगाया था. सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने के मामले की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने ऐसा कर पकिस्तान को देश के खिलाफ व सर्जिकल स्ट्राइक पर संदेह फ़ैलाने का हथियार दे दिया है. उनके अनुसार यह कांग्रेस के राष्ट्रीय सोच से अलग होने का सूचक है. सर्जिकल स्ट्राइक पर किसी भी तरह का संदेह नहीं करना चाहिए. मुद्दों पर मतभेद ठीक है लकिन राष्ट्रीय हित के ममले में मतभेद ठीक नहीं है.
विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा
उन्होंने कहा कि इन सारी परिस्थितियों पर विचार करते हुए मैनें कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है. उन्होंने घोषणा की कि विधानसभा की सदस्यता से भी उन्होंने उत्तर प्रदेश इस्तीफा विधान सभा अध्यक्ष को भेज दिया है. उल्लेखनीय है कि ईलाहाबाद यूनिवर्सिटी में इतिहास की प्रोफेसर रही रीता बहुगुणा जोशी अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश कांग्रेस की भी अध्यक्ष रही हैं.
सपा व बसपा पर प्रदेश को लूटने का आरोप
रीता बहुगुणा ने उत्तर प्रदेश की राजनीति की चर्चा करते हुए सपा व बसपा पर प्रदेश को लूटने का आरोप लगाया . उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में शिक्षा माफिया, खनन माफिया, भू माफिया का ही राज है . वहां की कानून व्यवस्था पूरी तरह ख़राब हो चुकी है. 20 वर्षों से जातिवाद का ऐसा बीज बो दिया है कि प्रदेश रसातल में जा रहा है. उन्होंने माना कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वहां की जनता ने 2014 के चुनाव में जात पात की सीमा से बाहर निकल कर वोट दिया था और 73 सीटों पर भाजपा को जिताया था.
कई कांग्रेसी छोड़ सकते हैं पार्टी
उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल के मद्देनजर कई कांग्रेसी नेताओं के पार्टी छोड़ने की अटकलें तेज हो चलीं हैं. कभी भारतीय राजनीति के दिग्गज नेता हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी रीता बहुगुणा ने भाजपा का पाला पकड़ लिया और अब कई नेता भाजपा का रुख करे सकते हैं. एक दिन पूर्व तक भी चर्चा जोरों पर थी कि पूर्व कांग्रेसी और अब भाजपा नेता विजय बहुगुणा रीता बहुगुणा से मिलने जाने वाले थे.
यूपी कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकी हैं
लेकिन वह अपने पिता जी के नाम पर बनी हेमवती नंदन बहुगुणा यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम चले गये थे. इसमें केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी शामिल होने उत्तराखंड गए थे. हालाँकि विजय बहुगुणा ने कहा था कि रीता की तबीयत खराब है. वह उनसे मिलने जाने वाले थे. उन्होंने तब दावा किया था कि ये अटकलें हैं. उन्होंने कहा था कि मेरा यह मानना है कि रीता जी को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. जाहिर है कुछ खिचड़ी पहले से पक रही थी. उल्लेखनीय है कि रीता बहुगुणा जोशी यूपी कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकी हैं. सूत्र दावा कर रहे हैं कि रीता बहुगुणा बीजेपी नेताओं से लगातार संपर्क में थीं. दूसरी तरफ कांग्रेस की ओर से इस बारे में अब तक कुछ नहीं कहा गया है.
कांग्रेस नेतृत्व से नाराज थीं.
रीता बहुगुणा वर्तमान में लखनऊ कैंटोमेंट विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की विधायक हैं लेकिन अब उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया है. समझा जाता है कि रीता, उत्तर प्रदेश में शीला दीक्षित को कांग्रेस का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाये जाने से कांग्रेस नेतृत्व से नाराज थीं. दूसरी तरफ राज बब्बर को उत्तर प्रदेश पार्टी प्रमुख बनाये जाने से वे स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहीं थीं.
सपा प्रत्याशी से कड़ी टक्कर
कहा जा रहा है कि एक ब्राह्मण मुख्यमंत्री चेहरे के तौर पर पेश करने के लिए रीता बहुगुणा स्वयं को शीला दीक्षित से अधिक मजबूत दावेदार मानती थीं. राजनितिक विश्लेषक मानते हैं कि रीता को इस बार सपा प्रत्याशी से कड़ी टक्कर मिलने वाली है इसलिए उन्हें मजबूत डाल पकड़ने की आवश्यकता थी