जम्मू कश्मीर प्रशासन में बड़ा फेरबदल, बी वी आर सुब्रमण्यम मुख्य सचिव बनाये गए

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राज्यपाल शासन लागू होते ही भारत भूषण व्यास हटाये गए

बेहद सख्त आई ए एस अधिकारी हैं सुब्रमण्यम

छत्तीसगढ़ कैडर के अधिकारी हैं सुब्रमण्यम

केंद्र सरकार का आतंकियों के लिए सख्त रुख अपनाने का संकेत

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होने के तुरंत बाद केन्द्र सरकार ने राज्य के प्रशासन में बड़ा फेरबदल किया है। सरकार ने छत्तीसगढ़ के अतिरिक्त गृह सचिव और ‘सख्त’ आईएएस अफसर बीवीआर सुब्रह्मण्यम को जम्मू-कश्मीर को नया मुख्य सचिव नियुक्त किया है। वहीं सरकार जल्द ही कुछ और अधिकारियों की भी नियुक्ति करेगी। जम्मू कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन टूटने और राज्यपाल शासन लागू होने के तुरंत बाद केन्द्र सरकार ने वहां एक बड़ा फेरबदल किया है। सूत्रों के मुताबिक जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव भारत भूषण व्यास को तुरंत हटाया दिया गया है। जबकि उनकी जगह छत्तीसगढ़ में अतिरिक्त मुख्य सचिव रह चुके बीवीआर सुब्रह्मण्यम को राज्य का नया मुख्य सचिव बनाया गया है। सूत्रों के मिली जानकारी के अनुसार उन्हें सरकार ने डेप्यूटेशन पर जम्मू-कश्मीर भेजा है और तत्काल प्रभाव से जम्मू कश्मीर में ज्वॉइनिंग का आदेश दे दिया गया है।

सूत्रों के मुताबिक सरकार की सबसे बड़ी चिंता अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित ढंग से पूर्ण करवाना है। इसी के चलते वहां के राज्यपाल एनएन वोहरा का कार्यकाल 28 जून को समाप्त हो रहा था, जिसे सरकार अमरनाथ यात्रा पूर्ण होने तक 3 महीने के लिए बढ़ाएगी। गौरतलब है कि पिछले साल अमरनाथ यात्रा से वापस लौट रही बस पर हुए आतंकी हमले में 8 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी।

सूत्रों के मुताबिक भाजपा-पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद केन्द्र सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी राज्य में बिगड़ रही कानून व्यवस्था को संभालना है और यह सबसे बड़ी चुनौती है। जिसके चलते सरकार को एक ऐसा भरोसेमंद व्यक्ति चाहिए था, जिसे ऐसे हालातों पर काबू पाने का लंबा अनुभव हो। और यह तलाश 1987 बैच के आईएएस अधिकारी बीवीआर सुब्रह्मण्यम के नाम पर पूरी हुई। सुब्रमण्यम को आंतरिक सुरक्षा मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है।

आतंकियों के खिलाफ आक्रामक नीति

सुब्रह्मण्यम इससे पहले साल पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निजी सचिव के तौर पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं और यूपीए सरकार में केंद्र में सह सचिव भी रह चुके हैं और नरेन्द्र मोदी सरकार में पीएमओ में भी काम करने का अनुभव है। छत्तीसगढ़ के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) रहते हुए सुब्रह्मण्यम के पास नक्सल प्रभावित राज्य में माओवादियों के खिलाफ पुलिस के ‘सबसे कठिन युद्ध’ को चलाने का श्रेय जाता है।
सूत्रों का कहना है कि सुब्रह्मण्यम को आतंकवांद से प्रभावित जम्मू-कश्मीर में भेजना से साफ संकेत जाता है कि सरकार आतंकियों के खिलाफ आक्रामक नीति जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है। सूत्रों के मुताबिक आने वाले वक्त में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों को सैन्य अभियान ऑपरेशन ऑलआउट फिर से शुरू करने का निर्देश दिया जा चुका है और जिसके परिणाम आने वाले वक्त में देश के सामने होंगे।

सुत्रों का कहना है कि आने वाले वक्त में जल्द ही कुछ और अधिकारियों की भी नियुक्ति होगी। अपनी आक्रामक नीति के तहत सरकार न केवल आतंक विरोधी ऑपरेशंस चलाएगी बल्कि पत्थरबाजों और अलगाववादियों के खिलाफ भी मजबूती से निबटेगी। सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल शासन के दौरान अगर एक भी घटना होती है तो यह सरकार की नाकामी दिखाएगी।

सूत्रों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर कैडर के आईपीएस अधिकारी एसएम सहाय को भी जल्द ही वापस अपने मूल कैडर में भेजा जा सकता है। सहाय फिलहाल नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटिएट में तैनात हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बेहद करीबी भी हैं।

2016 में हिजबुल आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद बढ़ रहे प्रदर्शनों से नाराज होकर महबूबा सरकार के दबाव के बाद सहाय का ट्रांसफर कर दिया गया था। उनके ट्रांसफर से महबूबा कश्मीरियों में यह संदेश देना चाहती थीं कि वह बल प्रयोग के बजाय प्रशानिक स्तर पर निबटाने में भरोसा रखती हैं।

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