राव इन्द्रजीत के गुरुग्राम में कार्यालय खोलने की घटना से उठे कई सवाल : भाजपाई परेशान !

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सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक 

गुरुग्राम : गुरुग्राम शहर की जनता के लिए यह अच्छी खबर है कि केन्द्रीय राज्य मंत्री एवं स्थानीय भाजपा सांसद राव इंद्रजीत सिंह अब गुरुग्राम में ही क्षेत्र की जनता से मिलेंगे और उनकी समस्याएं सुलझाएंगे। खबर है कि गुरुवार को उन्होंने अचानक ही विना किसी ढोल धमाके के अपना कार्यालय खोल लिया है। इस मौके पर दो दर्जन से अधिक उनके खास समर्थकों का समूह ही आमंत्रित था। लोगों के लिए यह बेहद चौकाने वाला निर्णय है क्योंकि अब तक के इतिहास में केन्द्रीय मंत्री ने पहली बार अपना कोई व्यक्तिगत कार्यालय गुरुग्राम में स्थापित किया है । अब तक क्षेत्र की जनता को उनसे मिलने के लिए दिल्ली का रुख ही करना पड़ता था। इस घटना ने कई सवालों को जन्म दे दिया है . 

आवश्यकता क्यों महसूस की ? 

यह चर्चा का विषय है कि चार बार सांसद रहते हुए राव साहब ने इस बार ही गुरुग्राम में अपना कार्यालय खोलने की आखिर आवश्यकता क्यों महसूस की ? वह भी संसदीय चुनाव की घोषणा से लगभग एक वर्ष पूर्व। अब तक का इतिहास बताता है कि वे इस शहर में केवल संसदीय चुनाव के समय अपना नामांकन भरने के बाद ही चुनावी कार्यालय खोलते रहे हैं। जाहिर है आज उन्होंने अचानक ही विना किसी चर्चा के मकान न. 747, सेक्टर 15 पार्ट दो ,गुरुग्राम में व्यक्तिगत कार्यालय बेहद छोटे कार्यक्रम के साथ खोल कर सबको चौका दिया है।

कौन रहे मौजूद ? 

इसमें खास बात यह रही कि अपने पहले कार्यालय के उद्घाटन के इस अवसर को भाजपाई रंग देने की बजाय व्यक्तिगत कार्यक्रम ही बनाये रखा गया। संकेत है कि इस बेहद सादा लेकिन खास कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के अलावा उनके विशसनीय कोर ग्रुप के कुछ सदस्य ही मौजूद थे। इनमें उनके कट्टर समर्थक व पटौदी की भाजपा विधायक विमला चौधरी, पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष रॉव अभय सिंह, वर्तमान मेयर मधु आजाद एवं उनके पति अशोक आज़ाद, पूर्व मेयर विमल यादव एवं उनकी पत्नी , नगर निगम के कुछ वर्तमान पार्षद, जिला परिषद के कुछ सदस्य और कुछ पूर्व पार्षद एवं उनके परिवार के सदस्य ही शामिल थे।

इस अवसर पर केवल हवन और चाय- नास्ता का कार्यक्रम ही रहा. केंद्रीय मंत्री ने अपने समर्थकों के साथ कुछ बातचीत की और आने वाले समय में इस कार्यालय की उपयोगिता क्या होगी उसका कोई ख़ास संकेत नहीं दिया . 

इस घटना का चौकाने वाला पहलु यह रहा कि इस अवसर पर केवल उनके पुराने समर्थक ही आमंत्रित थे जबकि संभवतःन तो जिला भाजपा संगठन से कोई पदाधिकारी था और न ही कोई संघ का प्रतिनिधि. मौजूद नेताओं में वही थे जो या तो राव इन्द्रजीत के साथ ही भाजपा में शामिल हुए है या फिर वे लोग थे जो हाल ही में हुए नगर निगम चुनाव के दौरान उनकी पहल पर पार्टी में शामिल हुए हैं. 

भाजपा संगठन से दूरी ? 

हालांकि पिछले चार वर्षों के दौरान भाजपा संगठन से केन्द्रीय मंत्री के सम्बन्ध कुछ ख़ास मधुर नहीं रहे हैं. कभी ऐसा भी देखने को नहीं मिला कि स्थानीय भाजपा कर्कार्ताओं के साथ इनकी बैठक हुयी हो. ऐसी खबर भी कभी सुनने को नहीं मिली है कि मंत्री जी भाजपा संगठन के राज्य स्तरीय पदाधिकारियों के पास किसी वजह से गए हों. हाँ निगम चुनाव के लिए टिकट बंटवारे की दृष्टि से भाजपा संगठन के प्रदेश नेतृत्व को अंतिम फैसले के लिए उनका इन्तजार करने की ख़बरें अवश्य आती रहीं हैं. उनके काम करने के तरीके और पिछले चार वर्षों में गुडगाँव सहित राज्य से सम्बंधित अन्य मामलों पर इनके बायांनों की बानगी से यह समझना आसान है कि दिल्ली से गुडगाँव आने के बाद उनकी सत्ता हमेशा अलग राह पर रहती रही है. उनके सुर हमेशा विद्रोही तेवर वाले और चुनौती देने वाले रहे हैं. चाहे वह जी एम् डी ए के गठन का मसला हो या उसके स्वरूप व कामकाज के तौर तरीके, चाहे मेट्रो के विस्तार की योजना का प्रस्ताव हो या फिर गुडगाँव को केंद्र सरकार की स्मार्ट शहरों वाली सूचि में स्थान नहीं मिलने का मामला, गुडगाँव नगर निगम में मेयर बनाने का विवाद हो या फिर द्वारिका एक्सप्रेस वे को नेशनल हाई वे के रूप में विस्तार देने की योजना स्वीकृत कराने का क्रेडिट लेने का विषय , राज्य सरकार के मुखिया और राव इन्द्रजीत के विचारों व वक्तव्यों में कम ही तालमेल देखने को मिले हैं.   

जनता के लिए या कोई और मकसद ? 

अब आज गुडगाँव में उनका कार्यालय खोला जाना भी इसी कड़ी का एक अहम् संकेत माना जा रहा है. आज की घटना से गुडगाँव में राजनीतिक हलचल तेज होने और राजनीतिक कयासों के बाजार गरम हो चले हैं. सवाल उठ रहे हैं कि यह जनता से संवाद के लिए है या कोई और मकसद ? हालाँकि उनके समर्थक एक नेता का कहना है कि इसमें कुछ ख़ास नहीं है, जनता से रूबरू होने के लिए इस कार्यालय की स्थापना की गयी है. उनका कहना है कि लोगों को उनसे मिलने के लिए दिल्ली जाना पड़ता था इसलिए उनकी सुविधा के लिए यह निर्णय लिया गया है. जब उनसे यह पूछा गया कि क्या मंत्री महोदय ने यहाँ जनता से मिलने का कोई दिन व समय भी तय किया है तो उनका कहना था कि अभी नहीं. संभव है उनका कोई निजी स्टाफ यहाँ बैठेगा और जनता की समस्याओं के निराकरण के लिए अधिकारियों से संवाद स्थापित करेगा. 

क्यों है आशंका ? 

लेकिन दूसरा पक्ष इससे कतई सहमत नहीं है. उनकी राजनीति को ठीक से परखने वाले लोग यह मानते हैं कि उनके क़दमों की आहट से आशंका के बादल घिरने लगे हैं. उनके बारे में अक्सर यह कयास लागए जाते हैं कि क्या राव इन्द्रजीत 2019 के लोक सभा चुनाव भी भाजपा के प्रत्याशी के रूप में लड़ेंगे या फिर घर वापसी करेंगे. इस आशंका को तब और बल मिला जब उनकी उपस्थिति में गुडगाँव नगर निगम में मेयर का चुनाव होने के बाद भाजपा प्रत्याशी सीनियर डिप्टी मेयर के पद पर नहीं बैठ पाए जबकि कांग्रेस समर्थक एक मात्र पार्षद ने बेहद आसानी से बाजी मार ली. इस ख़ास मौके पर कांग्रेस समर्थक प्रत्याशी के साथ अंदरूनी साठ गाँठ करने के आरोप भी लगे. इन घटनाओं को लोग फिर गुरुवार को उनके कार्यालय स्थापित करने की नई पहल से जोड़ कर देखने लगे हैं.

भाजपा के पदाधिकारियों के कान खड़े ? 

यह तब और आशंकित करने वाली घटना हो गयी जब इस अवसर पर कोई पुराना भाजपाई मौजूद नहीं दिखा . तर्क यह भी दिया जा रहा है कि उक्त कार्यालय के बाहर भाजपा से जुड़ाव दिखाने वाले कोई बोर्ड भी डिस्प्ले नहीं किये गए है. उद्घाटन में शरीक हुए उनके एक समर्थक ने उनका बचाव करते हुए तर्क दिया कि जब उनका नाम है और वे भाजपा सरकार में मंत्री हैं तो भाजपा से तो उनका सम्बन्ध वैसे ही स्थापित है जबकि अन्दर डिस्प्ले किए गए बोर्ड से इसका आभास अवश्य मिलता है. 

बहरहाल जनता की सुविधाओं का ख़याल रख कर यह निर्णय लिया गया हो या फिर अपनी राजनीतिक आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर लेकिन उनके संसदीय इतिहास के चौथे टर्म के अंतिम वर्ष में कार्यालय की स्थापना की घटना ने भाजपा के पदाधिकारियों के कान खड़े कर दिए हैं. लाजिमी है कि उनके अगले कदम का इन्तजार शहरवासियों को बेसब्री से रहेगा.      

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