छुट्टी के दिन खुलती है इस बैंक की तिजोरी, क्या होता है गोरखधंधा ?

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गुरुग्राम । पिछले आठ दिनों से गुरुग्राम शहर में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक का सेक्टर 44 स्थित करेंसी चेस्ट आखिर छुट्टी के दिन अब क्यों खुल रहा है ? लोग कह रहे हैं कि अब न नोटबन्दी का दौर है और न ही देश में आर्थिक दृष्टि से कोई आकश्मिक परिस्थिति , फिर रविवार के दिन गुपचुप तरीके से चेस्ट में आखिर क्या गतिविधि होती है जबकि उस दिन इस बैंक की सभी शाखाएं बन्द रहती हैं। आम लोगों के मन में इस बात से किसी गड़बड़ी की आशंका इस लिए भी बढ़ गयी है क्योंकि छुट्टी के दिन चेस्ट में कार्यरत कुछ खास अधिकारी और कर्मचारी के सुबह लगभग 8:30 बजे ही आने और लगभग 3:30 बजे शाम को दबे पांव निकल जाने की खबर चर्चा में है। कहा यह जा रहा है कि छुट्टी के दिन इस चेस्ट के खुलने का यह सिलसिला कई माह से जारी है । मजे की बात तो यह है कि इस संबंध में न तो बैंक के बड़े अधिकारी बोलने को तैयार हैं और न ही इस बैंक के गुरुग्राम में तैनात आर ओ और चेस्ट के इंचार्ज। साथ ही आर बी आई की ओर से भी कोई स्पष्टीकरण अब तक जारी नहीं किया गया है। 
 
 
ग्रामीण बैंक के उपभोक्ता ही नहीं अन्य बैंकों के उपभोक्ता और बैंकिंग सेक्टर में कार्यरत लोग उस खास वजह को जानना चाहते हैं कि आखिर गत 12 नवंबर, रविवार के दिन सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक का सेक्टर 44 गुरुग्राम स्थित करेंसी चेस्ट किस कारण से खुला ? वैसे तो गुरुग्राम, हरियाणा की व्यावसायिक राजधानी है और यहां औद्योगिक एवं व्यावसायिक गतिविधियां भी चरम पर हैं लेकिन कुछ खास समय जिनमें नोटबन्दी 2016 शामिल है को छोड़ कर ऐसा न तो कभी देखने को मिला और न ही सुनने को मिला कि रविवार के दिन किसी बैंक के करेंसी चेस्ट खुले हों और उनकी शाखाएं बन्द हों। लेकिन सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक के गुरुग्राम स्थित कर्रेंसी चेस्ट के गत 12 नवंबर 2017 को खुलने से यह रिकार्ड जरूर टूटा है और लोगों के लिए यह घटना कोतुहल का विषय बन गई है। लोगों में व्यग्रता है कि आखिर इस बैंक में ऐसी क्या आपात स्थिति आ गयी ही जिससे चेस्ट को अक्सर अवकाश के दिनों में खोला जा रहा है।
 
अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बैंकिंग सेक्टर में कार्यरत अधिकारी ने बताया कि नोटबन्दी के निर्णय से देश में आकश्मिक परिस्थिति उत्पन्न हो गयी थी। इसलिए रिज़र्व बैंक के आदेश के तहत सभी बैंकों की शाखाएं और यहां तक कि चेस्ट भी कुछ अवकाश के दिवसों में खोले गए थे। अब तो सामान्य परिस्थिति है और जब बैंक की सभी शाखाएं बन्द हों तो उस दिन चेस्ट खोलने का कोई व्याहारिक या तकनीकि औचित्य नहीं दिखता है। उनके अनुसार किसी भी बैंक का करेंसी चेस्ट रिज़र्व बैंक की अनुमति से ही स्थापित किया जाता हैं और उनकी देखरेख में ही काम करता है। कहने का मतलब साफ है कि करेंसी चेस्ट रिज़र्व बैंक के अधीन होता है और उसके खुलने और बन्द होने के साथ ही उनकी हर गतिविधियों की मोनिटरिंग भी इसी के माध्यम से की जाती है।
 
उनका साफ कहना है कि चेस्ट अगर छुट्टी के दिन खोला गया तो इसकी अनुमति चेस्ट के आर ओ या इंचार्ज जो भी संबंधित अधिकारी हैं उन्हें रिज़र्व बैंक से लेनी होती है। यह विशेषाधिकार रिज़र्व बैंक के पास सुरक्षित है। 
 
यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक के इस चेस्ट के छुट्टी के दिन खुलने के संबंध में बैंक के कोई भी अधिकारी खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं। the public world.com ने इस अप्रत्याशित घटना के सम्बंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए उक्त बैंक के चेयरमैन डॉक्टर मानवेन्द्र प्रताप सिंह से फोन पर सम्पर्क किया लेकिन उनका कोई जवाब नहीं मिला। फिर उन्हें घटना की चर्चा की जानकारी एस एम एस से दी गयी और उनका मंतव्य जानने की कोशिश की गई, परंतु उनकी ओर से कोई स्पष्टीकरण अब तक नहीं दिया गया। उनके बदले बैंक के रोहतक मुख्यालय स्थित कार्यरत जीएम शैलेश रंजन ने फोन पर सम्पर्क कर किया। उन्होंने रविवार 12 नवंबर 2017 को  या इससे पूर्व किसी अन्य अवकाश के दिन सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक के सेक्टर 44 ,गुरुग्राम स्थित करेंसी चेस्ट के खुलने की जानकारी से इनकार किया। उनका कहना था कि अगर ऐसा हुआ है तो रिज़र्व बैंक की अनुमति से ही हुआ होगा। लेकिन जब उनसे यह पूछा गया कि क्या रिज़र्व बैंक से इस संबंध में अधिकृत अनुमति लेने या जानकारी देने की सूचना आपके पास है ? तो उन्होंने साफ कहा कि “अभी तक मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है, हैं अब आपने बताया है तो मैं पता करूँगा।” एक सवाल के जवाब में श्री रंजन ने कहा कि मैंने उक्त रविवार ,12 नवंबर को चेस्ट खोलने का कोई आदेश नहीं दिया है। अलबत्ता उन्होंने यह दोहराया कि चेस्ट रिज़र्व बैंक के अधीन है और रिज़र्व बैंक चाहे तो साल के 365 दिन खोलवा सकत है। 
 
गौर करने वाली बात यह है कि करेंसी चेस्ट किसी भी बैंक का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां सभी शाखाओं से करोङो रुपये की नकदी आती है और जाती है। यहां की हर गतिविधि पर रिज़र्व बैंक की नजर रहती है। नियम यह कहता है कि यहां की हर गतिविधि सी सी टी वी की निगरानी में होनी चाहिए। ऐसे में चेस्ट को रविवार के दिन खोलने की जानकारी बैंक के जीएम को नहीं हो या चेयरमैन को नहीं हो यह भी बड़ा सवाल खड़ा करता है। इससे आशंका और प्रबल होती है कि कहीं कुछ गड़बड़ी तो नहीं हो रही है । लोग इसे नोटबन्दी के दौरान सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक पर उठे सवाल से जोड़ कर देखने लगे हैं। लोग तो यहां तक चर्चा कर रहे हैं कि चेस्ट को चुपके चुपके खोलने का यह सिलसिला पिछले कई माह से चल रहा है। कुछ लोगों के पास यहां तक जानकारी है कि सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक का यह चेस्ट 26 जनवरी 2017 ,गणतंत्र दिवस जैसे महत्वपूर्ण दिन भी खुला था। सवाल सीधा सा है कि क्या यह गतिविधि सारे नियमों को ताक पर रख कर हो रही है फिर भी बैंक के बड़े अधिकारी इन कारगुजारियों से कैसे अनभिज्ञ हैं ? 
 
सूत्र बताते हैं कि नोटबन्दी 2016 के दौरान अकेले इस बैंक की सभी शाखाओं से 3000 करोड़ के पुराने नोट इस चेस्ट में आये थे। तब इसमें गड़बड़ी की खबरें भी आई थी जिसकी पुष्टि पिछले दिनों रिज़र्व बैंक की ओर से इस चेस्ट पर गड़बड़ी की आशंका से ही मारे गए  छापे से होती है। सूत्र बताते हैं कि इनमें बड़ी मात्रा में पुराने 500 और 1000 रु के नकली नोट भी इस बैंक की अधिकतर शाखाओं से भेज दिए गए। गैरजिम्मेदारी इतनी रही कि तब इन नोटों की जांच नहीं कि गयी और बॉक्स को ज्यों के त्यों रख दिये गए। इस प्रकार की शिकायतें मिलने के बाद ही रिज़र्व बैंक की टीम को छापे के दौरान यहां तब 35 लाख रु की नकदी कम मिली थी। हालांकि बाद में 20 लाख रु रिज़र्व बैंक को अतिरिक्त भेजने की बात सामने आई और 15 लाख रु के बारे में यह दावा किया गया कि ये गलती से चेस्ट में किसी और बॉक्स में रख दिये गए थे।
 
बहरहाल चेस्ट से छन छन कर आ रही इन सूचनाओं ने लोगों के मन में इस बैंक में बड़ी अनियमितताओं की आशंका को मजबूत कर दिया है।
 
उल्लेखनीय है कि क्योंकि नोटबन्दी के दौरान देश के सभी को ऑपरेटिव बैंक में इसी प्रकार की गड़बड़ी सामने आने पर उन्हें केवल इनके अपने खाताधारकों के ही 500 और 1000 के पुराने नोट बदलने की अनुमति दी गयी थी। लेकिन तब रिज़र्व बैंक ने सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक पर यह बंदिश नहीं लगाई थी क्योंकि इस बैंक की सभी शाखाएं कंप्यूटराइज्ड थी। तब तो इन्हें आधुनिक तकनीक से लैस होने का आधार मिल गया लेकिन सूत्र बताते हैं कि अब चेस्ट के कर्मी कुछ अधिकारियों को बचाने के लिए नकली नोटों की पहचान मैन्युअल करने में जुटे हैं।
 
चेस्ट को रविवार या राष्ट्रीय अवकाश के दिन खोलने के सम्वन्ध में इस बैंक के गुरुग्राम स्थित आर ओ ने इस पर कुछ भी बोलने से इनकार किया जबकि चेस्ट के इंचार्ज ने रिज़र्व बैंक के नियमों का हवाला देते हुए कुछ भी कहने से मना कर दिया।
 
अब बैंक के इन अधिकारियों के इनकार की कोशिश का मतलब , लोग इसका अलग अलग तरीके से लगा रहे हैं और पिछले रविवार, 12 सितंबर को चेस्ट फिर खुलने की सूचना से फिर आम लोगों में चर्चा उफान पर है और बड़े पैमाने पर नकली नोट मिलने की आशंका जता रहे हैं।
 
इस खबर की पड़ताल जारी है। जल्द ही पढ़िए इस घटना का बड़ा खुलासा  ————–

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