: मेवात में एक पराली का ट्रेक्टर एक से दो हजार रूपये में बिक रहा है
: मेवात में पशुओं को चारे की है भारी कमी
यूनुस अलवी
मेवात: सरकार और प्रशासन प्रदेश में पराली जलाने को रोकने के लिए कडे कदम उठा रही है। पराली जलाने वाले किसानों से अब तक लाखों रूपये जुर्माना के तौर पर वसूल भी किए हैं। लेकिन प्रदेश का एक मात्र मेवात इलाका है जहां पर परालियों को जलाने की बजाऐ इसे पशुओं के चारे के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। इतना नहीं एक ट्रोली पराली एक से दो हजार रूपये में बैचकर मुनाफा भी कमा रहे हैं।
मेवात जिला में एक लाख 15 हजार 647 हैक्टियर कृषि योग्य भूमि है। जिसमें एक लाख आठ हजार 111 हैक्टियर में खेती होती है। इसबार मेवात इलाके में कुल 4600 हेक्टियर यानि 11500 एकड जमीन पर धान की बिजाई की गई थी। मेवात में नहरी पानी और जमीनी पानी की भारी कमी के चलते लोग धान की बिजाई बहुत की कम कर पाते हैं। मेवात में अधिक्तर ज्वार, बाजरा, सरसों, गेंहू की अधिक खेती की जाती है। बरसात की कमी की वजह से मेवात इलाके में पशुओं के चारे के अधिक्तर तक परेशानी होती है। फिलहाल मेवात इलाके में गेंहू का भूसा करीब 300 रूपये प्रति मण यानि साडे 9 रूपये प्रति किलो बिक रहा है। ऐसे में गरीब आदमी अपने पशुओं को भूसा खरीदकर नहीं खिला सकते हैं। चारे की तंगी के चलते अधिक्तर लोग पशुओं को आजकल सस्ते दामों में बैच देते हैं।
पुन्हाना खंड के गांव पिपरौली निवासी जियाउल हक का कहना है कि चारा की कमी के चलते वह नगीना खंड के गांव हू-हूका से एक रिश्तेदार के यहां से एक ट्रेक्टर में पराली भरकर ले जा रहा हूं जिससे चारा की कमी दूर हो सके। उन्होने बताया कि मेवात में चारा की पहले की कभी है इस वजह से धानों की पराली का एक ट्रेक्टर एक से दो हजार रूपये में लोगों को खरीदना पडता हैं। उन्होने बताया कि धान की पराली में ज्वार की पूली मिलाकर भुस बनाने से पशु अच्छा दूध देते हैं।
क्या कहते हैं मेवात के डीसी ?
मेवात उपायुक्त अशोक शर्मा का कहना है कि मेवात में पराली ना जलाने को लेकर से प्यार से समझाया गया है। उसके बावजूद भी जो कानून का का उलंघन करेगा उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाऐगी। डीसी ने माना की मेवात में पराली ना के बराबर जलाते हैं अभी तक पराली जलाने की उनके पास कोई शिकायत नहीं आई है।