हरियाणा सरकार का जीएसटी सम्बन्धी स्पष्टीकरण ..

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चंडीगढ़, 29 सितंबर :  हरियाणा सरकार ने माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए हैं कि जीएसटी कानून के प्रावधानों के अनुसार, यदि आपूर्तिकर्ता तथा आपूर्ति का स्थान हरियाणा में है तो सरकारी विभागों, स्थानीय प्राधिकरणों और सरकारी एजेंसियों द्वारा आपूर्तिकर्ता को किए गए भुगतान से राज्य जीएसटी और केन्द्रीय जीएसटी के तहत एक-एक प्रतिशत टैक्स एट सोर्स (टीडीएस) काटा जाएगा। इसी तरह, यदि अंतरराज्य आपूर्ति के मामले में सरकारी विभागों, स्थानीय प्राधिकरणों तथा सरकारी एजेंसियों द्वारा आपूर्ति प्राप्त की जाती है तो एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) के तहत दो प्रतिशत की दर से टीडीएस काटा जाएगा।
 
आबकारी एवं कराधान विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि आपूर्तिकर्ता को किए गए भुगतान से टीडीएस उस स्थिति में काटा जाएगा जब अनुबंध के तहत ऐसी आपूर्ति का कुल मूल्य 2.5 लाख रुपये से अधिक होगा। अनुबंध के मूल्य की गणना करते समय जीएसटी के तहत कर अर्थात राज्य जीएसटी, केन्द्रीय जीएसटी और आईजीएसटी तथा सैस को बाहर रखा जाएगा। इस प्रकार, टीडीएस तभी काटा जाएगा जब व्यक्तिगत आपूर्ति ढाई लाख से कम है परन्तु अनुबंध का मूल्य ढाई लाख से अधिक है। टीडीएस की देयता के चलते सरकारी विभागों को भी पंजीकरण करवाना होगा। उन्होंने बताया कि यदि सरकारी विभागों, स्थानीय प्राधिकरणों और सरकारी एजेंसियों को टीडीएस काटना आवश्यक है तो उन्हें जीएसटी के तहत 20 लाख रुपये की प्रारंभिक सीमा के बावजूद पंजीकरण करवाना होगा।
 
उन्होंने बताया कि विभागों को पंजीकरण के लिए राष्टï्रीय जीएसटी पोर्टल www.gst.gov.in पर आरईजी-07 में ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन पर डिजीटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट या इलेक्ट्रोनिक वेरिफिकेशन कोड का इस्तेमाल करके डिजीटल हस्ताक्षर किए जाने चाहिए। यदि सरकारी विभाग, स्थानीय प्राधिकरण और सरकारी एजेंसियां टीडीएस काटते हैं तो उन्हें उनके लिए जीएसटी के तहत पंजीकरण करवाना अनिवार्य होगा। पंजीकरण आयकर अधिनियम, 1961 के तहत वैध स्थाई खाता नंबर (पैन) या कर-कटौती तथा संग्रहण खाता नंबर (टैन) देकर प्राप्त किया जा सकता है। टीडीएस काटने वाले विभाग को कटौती के महीने के अंतिम 10 दिनों के अंदर फार्म जीएसटीआर-7 में मासिक रिटर्न भरना होगा। यदि विभागों तथा एजेंसियों ने किसी विशिष्टï माह में टीडीएस नहीं काटा है तो भी उन्हें रिटर्न भरना होगा।
 
उन्होंने बताया कि टीडीएस काटने वाले विभाग को सरकार को टीडीएस की राशि जमा करवाने के पांच दिन के अंदर आपूर्तिकर्ता को फार्म जीएसटीआर-7ए में ऑनलाइन सर्टिफिकेट देना होगा। इस सर्टिफिकेट में अनुबंध मूल्य, कटौती की दर, काटी गई राशि, सरकार को अदा की गई राशि इत्यादि विवरण निहित होगा। इस प्रकार काटे गए टीडीएस की राशि कटौती के माह की 10 तारीख तक राज्य जीएसटी खाते, केन्द्रीय जीएसटी खाते या आईजीएसटी खाते में जमा करवानी होगी। टीडीएस की राशि जमा न करवाने की स्थिति में वसूली प्रावधान के तहत 18 प्रतिशत की दर से ब्याज तथा जुर्माने की वसूली की जाएगी। इसी तरह, देरी से जमा करवाने की स्थिति में जुर्माने के अतिरिक्त विलंब अवधि के लिए 18 प्रतिशत की दर से ब्याज की वसूली की जाएगी।
 
प्रवक्ता ने बताया कि यदि आपूर्तिकर्ता को किए जाने वाले भुगतान के लिए टीडीएस काटा जाता है तो विभाग का वितरण एवं आहरण अधिकारी (डीडीओ) दो प्रतिशत की दर से जीएसटी काटेगा। डीडीओ द्वारा इस आशय का बिल तैयार किया जाएगा कि बिल की 98 प्रतिशत  राशि आपूर्तिकर्ता को भुगतान योग्य है। शेष 2 प्रतिशत टीडीएस के लिए डीडीओ को जीएसटी पोर्टल पर जाकर जीएसटी पीएमटी-06 के फार्म में चालान जनरेट करना होगा जिसमें सीजीएसटी, एसजीएसटी या आईजीएसटी का उल्लेख किया जाएगा। भुगतान के लिए चालान जनरेट करने पर कॉमन जीएसटी पोर्टल पर कॉमन पोर्टल आइडेंटीफिकेशन नंबर उपलब्ध करवाया जाएगा। डीडीओ, सीपीआईएन, चालान की प्रति तथा टीडीएस के रूप में अदा की जाने वाली राशि के विवरण के साथ टे्रजरी को बिल भेजेगा। इसके बाद, टे्रजरी द्वारा अपूर्तिकर्ता को भुगतान किया जाएगा। 
 
उन्होंने बताया कि टीडीएस के भुगतान के लिए, टे्रजरी द्वारा चालान में वर्णित राशि के लिए डीडीओ द्वारा भेजे गए सीपीआईएम के समक्ष नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर पद्घति का इस्तेमाल करके भारतीय रिजर्व बैंक को भुगतान किया जाएगा। सफलतापूर्वक भुगतान के बाद भारतीय रिजर्व बैंक चालान आईडेंटिफिकेशन नंबर (सीआईएन) जनरेट करेगा और सीआईएन की सूचना जीएसटीएन को भेजेगा जो जीएसटीएन में कर कटौतीकर्ता (डीडीओ) के इलेक्ट्रॉनिक कैश लेजर को अद्यतन करेगा। यह सीआईएन डीडीओ को भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि जीएसटी के तहत प्रावधानों का पालन करने में विफल रहने पर संबंधित विभाग से ब्याज और जुर्माना वसूला जाएगा। टीडीएस न काटने तथा टीडीएस काटने के बाद अदा न करने या निर्धारित समय के बाद जमा करवाने पर 18 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा। भुगतान के प्रावधानों का पालन न करने पर, न काटे गए या कम काटे गए या कटौती के बाद सरकार को अदा न किए गए कर के समान राशि अथवा 10 हजार रुपये का जुर्माना वसूल किया जाएगा।
 
प्रवक्ता ने बताया कि निर्धारित समय के अंदर जीएसटीआर-7ए के रूप में टीडीएस सर्टिफिकेट जारी करने में विफल रहने वाले विभागों से 100 रुपये प्रतिदिन की दर से विलंब शुल्क लिया जाएगा जोकि अधिकतम 5 हजार रुपये होगा। निर्धारित समय के अंदर रिटर्न दाखिल करने में विफल रहने वाले विभागों पर 100 रुपये प्रतिदिन की दर से जुर्माना लगाया जाएगा, जोकि अधिकतम 5 हजार रुपये होगा। 

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