वैज्ञानिक डॉ कस्तूरीरंगन की देखरेख में होगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार

Font Size

केंद्र सरकार ने नौ सदस्यीय समिति गठित की

30 महीनों से चल रही थी समिति के सदस्यों की खोज

नई दिल्ली :  राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने के लिये सरकार ने प्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्म विभूषण डॉ के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है। समिति के अन्य सदस्यों में डॉ. वसुधा कामत , के.जे. अलफोन्से , डॉ. मंजुल भार्गवा, डॉ. राम शंकर कुरील, डॉ. टी.वी. काट्टीमानी,  कृष्ण मोहन त्रिपाठी , डॉ. मज़हर आसिफ गौहाटी एवं डॉ. एम. के. श्रीधर मनोनीत किया गे हैं. 

सभी सदस्यों के परिचय  : 

डॉ. वसुधा कामत शिक्षा तकनीक के क्षेत्र की एक सुप्रसिदध विद्वान है जिन्होंने स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक योगदान दिया है। वे एसएनडीटी विश्वविद्यालय मुंबई की कुलपति भी थीं।

 के.जे. अलफोन्से को स्कूली शिक्षा के सुधार में आने वाली व्यवहारिक चुनौतियों से निपटने का प्रशासनिक अनुभव है। केरल के कोट्टायम और अरनाकुलम जिलों में 100% साक्षरता हासिल करने में उनकी अहम भूमिका थी।

डॉ. मंजुल भार्गवा अमेरिका के पिन्सटन विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर रहे हैं। गौस नंबर सिद्धान्त के क्षेत्र में उनके योगदान के लिये उन्हें बहुत ही कम आयु में गणित का फील्ड मेडल प्रदान किया गया था।

डॉ. राम शंकर कुरील, मध्य प्रदेश के महू स्थित बाबा साहेब अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति हैं और वंचित वर्ग को शिक्षा एवं विकास की मुख्य धारा में लाने के विषय पर उनके अनेक शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हो चुके हैं।

डॉ. टी.वी. काट्टीमानी अमरकंटक स्थित आदिवासी विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। वे भाषा शिक्षा और जनसंचार क्षेत्र से हैं।

 कृष्ण मोहन त्रिपाठी को सर्व शिक्षा अभियान को लागू करने का व्यापक अनुभव है और वह उत्तर प्रदेश हाई स्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके हैं।

डॉ. मज़हर आसिफ गौहाटी विश्वविद्यालय में फारसी भाषा के प्रोफेसर हैं। उनके शोध निर्देशन में फारसी-असमी-अंग्रेजी भाषा का पहला शब्दकोष संकलित किया गया था।

डॉ. एम. के. श्रीधर कर्णाटक नवाचार परिषद और कर्णाटक ज्ञान आयोग के पूर्व सदस्य सचिव हैं। एक दिव्यांग विद्वान, डॉ. एम. के. श्रीधर, सीएबीई के सदस्य भी हैं।

मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि यह समिति तत्काल प्रभाव से काम करना शुरू कर देगी।  बताया जाता है कि पिछले 30 महीनों से चल रही समिति के सदस्यों की खोज चल रही थी. मानव विकास मंत्रालय को देश भर से शिक्षा शास्त्रियों, शिक्षकों, विशेषज्ञों, छात्रों एवं अन्य सगठनों से  हजारों सुझाव प्राप्त हुये थे। इसके लिये तहसील, जिला एवं राज्य स्तर पर चर्चा की गयी थी। राज्य सरकारों ने क्षेत्रीय स्तर पर आयोजित कार्यक्रमों में अपने व्यापक सुझाव दिये थे।

साथ ही राज्य सभा में भी इस विषय पर चर्चा की गयी और शिक्षा पर एक विशेष परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें 48 सांसदों ने भाग लिया। कई सांसदों ने अपने विचार लिखित रूप से दिये। सरकार के माय गव प्लेटफॉर्म पर 26,000 लोगों ने इंटरनेट के जरिये अपनी राय रखी। टीएसआर सुब्रमण्यिन समिति ने भी विस्तार से अपनी सिफारिशें दी। समिति इन सभी सुझावों और सिफारिशों पर विचार करेगी।

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

You cannot copy content of this page