किसी जानकारी को छिपाना होगा मुश्किल
फेसबुक और ट्विटर सहित सोशल मीडिया के अकांउटों की जानकारी देना भी अनिवार्य
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने निर्वाचन नियमों में परिवर्तन का संकेत देते हुए चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिये नामांकन फॉर्म में कुछ नए सवाल जोड़े है. मिडिया की खबरों के अनुसार नामांकन नियमों में बदलाव के तहत अब उम्मीदवारों को फेसबुक और ट्विटर सहित सोशल मीडिया पर सक्रिय अपने अन्य अकांउटों की भी जानकारी चुनाव आयोग को देनी होगी. कानून मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किये गये नए नियमों को निर्वाचन संचालन (संशोधन) नियम 2017 के नाम से जाना जाएगा.
चुनाव आयोग की सलाह से केन्द्रीय कानून मंत्रालय ने नामांकन के संशोधित फॉर्म में कुछ नए सवालों को जोड़ते हुये उम्मीदवारों से सोशल मीडिया पर उसकी सक्रियता की जानकारी भी देना अनिवार्य कर दिया है.
जनप्रतिनिधित्व कानून के अंतर्गत निर्वाचन नियमावली 1961 में संशोधन करते हुए उम्मीदवारों के लिये जोड़े गये नये सवालों में लाभ के पद पर कभी तैनात रहने और आपराधिक या वित्तीय आपराधिक मामलों आदि की जानकारी भी देना अनिवार्य कर दिया है.
निर्वाचन नियमावली 1961 में संशोधन करते हुए उम्मीदवारों के लिये जोड़े गये नये सवालों में लाभ के पद पर कभी तैनात रहने और आपराधिक या वित्तीय आपराधिक मामलों की जानकारी देना भी शामिल कर दिया गया है.
खबर है कि इस नये नियम को लागू करने की अधिसूचना भी जारी की जा चुकी है. फॉर्म 26 में सोशल मीडिया संबंधी जानकारी का कॉलम जोड़ा गया है. उम्मीदवारों को अपने टेलीफोन नंबर और ईमेल आईडी के अलावा अधिकतम तीन सोशल मीडिया अकांउट की जानकरी देनी होगी.
इसी फॉर्म में ही उम्मीदवार को अपनी और जीवनसाथी की आय के स्रोतों का भी खुलासा करना होगा.
फॉर्म 2ए में बी भी आठ नए सवाल जोड़े गये है. उम्मीदवारों को राज्य या केन्द्र सरकार में लाभ के पद पर तैनात होने की जानकारी देनी होगी.
किसी अदालत में उसके खिलाफ दिवालिया होने के आरोप के सम्बन्ध में भी बताना होगा . किसी अन्य देश के साथ अपने कूटनीतिक, राजनयिक और वित्तीय संबंधों को भी स्पष्ट खुलासा करना होगा.
फॉर्म 2ए में प्रत्याशी को बताना होगा कि क्या उसे कभी जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत राष्ट्रपति या निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया गया था.
अगर कभी भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त किये गए है तो इसकी भी उम्मीदवार को जानकारी देना अनिवार्य होगा.
सरकार या सरकारी उपक्रम में बतौर साझेदार उपभोक्ता या अन्य वस्तुओं की आपूर्ति का करार करने और किसी कंपनी में प्रबंधक या सचिव पद पर तैनाती की भी जानकारी देनी होगी.
हालांकि इसमें सहकारी समितियों से इतर उन कंपनियों में तैनाती की ही जानकारी उम्मीदवारों को देनी होगी जिनमें केन्द्र या राज्य सरकार की 25 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी हो.
बताया जाता है कि संशोधित नियमावली में ये सभी सवाल भाग 3ए के अंतर्गत उम्मीदवारों द्वारा भरे जाने वाले फॉर्म 2ए, 2बी और भाग 2 के अंतर्गत फॉर्म 2सी, 2डी और 2ई में भी जोड़े गये हैं.