Font Size
होली पर स्पेशल
: पुन्हाना में बृज भाषा की मधुर वाणी की मिठास झलकती है
: पुन्हाना और पिनगवां कस्बा बृज के 84 कोस में पडता है
: तीस साल पहले होली का जमकर मजा लेते थे हिंदु-मुस्लिम
: ढोल नगाडों की ताल पर रात भी होली के रसिये और चौपाईयां चलती थी
: मेव समाज के लोग अपने आप को सूर्यवंशी और कष्ण वंशी मानते है
यूनुस अलवी
मेवात : जमाना बदलता गया, इसंान एक दूसरे से दूर होता गया। ये सब हुडदंगिया और कुछ कट्टर धार्मिक लोगों की वजह से हुआ है। वर्ना एक जमा
ना ऐसा था जब मेवात के मुसलमान और हिंदु मिलकर ढोल नगाडों की ताल पर रात भर होली के रसिये और चौपाईयों का मजा लेते थे। इसलाम धर्म में होली खेलना भले ही मना हो लेकिन मेवात के मुसलमानों पर इसका कोई असर नहीं पडता था। मेवात क्षेत्र ब्रिज का इलाका होने की वजह से यहां के हजारों मुसलमान सदियों से होली खेलते आ रहे थे, लेकिन करीब 25-30 सालों से दोनो समाजों के बीच कट्टर धार्मिक लोगों ने ऐसा जहर घोल कर रख दिया कि अब होली तो मनाते हैं लेकिन जमकर इसका लुत्फ नहीं उठा पाते हैं। वैसे मेवात में हिंदु-मुस्लिम एक दूसरे के धर्माे को मिलकर मनाते हैं पर वो मजा नहीं जो आज से 25-30 साल पहले होता था। वैसे यहां के हिंदु-मुस्लिम का आपसी भाई चारा इतना मजबूत है कि राममंदिर-बाबरी मस्जिद का झगडा भी नहीं तोड पाया और ना ही 1947 का देश का बटवारा। यहां के हिन्दु-मुसलमान एक दूसरे के त्योंहारों को मिलकर मनाते हैं, लेंकिन अब पहले कि तरह होली के हुडदंग में जमकर मजा नहीं ले पाते हैं। ये सब धर्मिक कट्टरपंथियों के चलते लोग ऐसे त्योंहारों से दूर होने लगे हैं।
ना ऐसा था जब मेवात के मुसलमान और हिंदु मिलकर ढोल नगाडों की ताल पर रात भर होली के रसिये और चौपाईयों का मजा लेते थे। इसलाम धर्म में होली खेलना भले ही मना हो लेकिन मेवात के मुसलमानों पर इसका कोई असर नहीं पडता था। मेवात क्षेत्र ब्रिज का इलाका होने की वजह से यहां के हजारों मुसलमान सदियों से होली खेलते आ रहे थे, लेकिन करीब 25-30 सालों से दोनो समाजों के बीच कट्टर धार्मिक लोगों ने ऐसा जहर घोल कर रख दिया कि अब होली तो मनाते हैं लेकिन जमकर इसका लुत्फ नहीं उठा पाते हैं। वैसे मेवात में हिंदु-मुस्लिम एक दूसरे के धर्माे को मिलकर मनाते हैं पर वो मजा नहीं जो आज से 25-30 साल पहले होता था। वैसे यहां के हिंदु-मुस्लिम का आपसी भाई चारा इतना मजबूत है कि राममंदिर-बाबरी मस्जिद का झगडा भी नहीं तोड पाया और ना ही 1947 का देश का बटवारा। यहां के हिन्दु-मुसलमान एक दूसरे के त्योंहारों को मिलकर मनाते हैं, लेंकिन अब पहले कि तरह होली के हुडदंग में जमकर मजा नहीं ले पाते हैं। ये सब धर्मिक कट्टरपंथियों के चलते लोग ऐसे त्योंहारों से दूर होने लगे हैं।
मेवात जिला भले ही मुस्लिम बहुल्य क्षेत्र हो लेकिन यहां का आपसी भाई चारा सदियों पुराना है। यहां के मेव समाज के लोग अपने आप को सूर्यवंशी और कष्ण वंशी मानते हैं। इसका मुख्य कारण यह भी है कि यहां के मुसलमानों ने अंग्रेजों, मुगलो को कभी अपना नहीं माना बल्कि हिंदुस्तान के हिंदु राजाओं के साथ मिलकर उनके खिलाफ जंग लडी। मेवात में जहां फिरोजपुर झिरका रामलीला कमेठी के संरक्षक के तौर पर पूर्व डिप्टी स्पीकर आजाद मोहम्म्द कई वर्षो से विराजमान हैं वहीं मुस्लिम समाज के लोग होली मिलन और हिंदु समाज के लोगग ईद मिलन समारोह कर मेवात की संस्कृति को अभी भी संजोगेे हुऐ हैं।
मेवात जिला के पुन्हाना और पिनगवंा कस्बा बृज के 84 कोस में पडता है, इस इलाके की मेेवाती भाषा में बृज की मधुर वाणी की मिठास झलकती है। आज कट्टरपंथियों की वजह से होली का त्योंहार सिमट कर रह गया है। होली पर आजकल ठंडाई की जगह शराब हावी होती जा रही है जिसकी वजह से लोगों ने इससे दूरी बनानी शुरू कर दी है।
मेवात के गांव लहाबास निवासी 75 वर्षीय नूर मोहम्मद पूर्व सरपंच ने बताया कि 1970 तक मेवात के अधिक्तर मुस्लिम समाज के लोग हिंदुओं के साथ मिलकर होली खेलते थे इतना ही नहीं एक एक सप्ताह तक चौपाई गाई जाती थी। उनके पिता हाजी रसूला भी इसके बडे शैकीन थे। पिनगवां में होली की चौपाईयां उनके बगैर नही होती थी। लेकिन आज कट्टरपंथियों की वजह से होली का त्योंहार सिमट कर रह गया है। होली पर आजकल ठंडाई की जगह शराब हावी होती जा रही है जिसकी वजह से लोगों ने इससे दूरी बनानी शुरू कर दी है।
कस्बा पिनगवां निवासी पंडित डालचंद, सरपंच संजय सिंगला का कहना है कि मेवात क्षेत्र ब्रिज के 84 कौस एरिया की परीधि में आता है, जिसकी वजह से यहां के सभी धर्मों के लोगों पर बृज रंग चढ जाता है और होली के रंग में रंग जाते हैं। उन्होने माना कि कुछ हुडदंगियो की वजह से इस त्योंहार की लोकप्रियता मेवात में केवल हिंदु समाज तक ही सिमट कर रह गई है। लोग अब गुलाल की जगह ज्यादा कीचड से होली खेलते हैं जिसकी वजह से लोग इसे सामुहिक तौर से मनाने की बजाये अब अपने घरों में होली की रस्म अदायगी करने लगे हैं।