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नगर निकाय व नगर निगम अधिनियम में नए प्रावधान हुए शामिल
चुनाव परिणाम के 30 दिनों के भीतर खर्च का व्योरा देना हुआ अनिवार्य
खर्च का व्योरा नहीं देने वालों पर लग सकता है पांच साल का प्रतिबन्ध
चण्डीगढ़, 19 मई : हरियाणा राज्य चुनाव आयुक्त डा० दलीप सिंह ने कहा है कि राज्य सरकार ने हरियाणा नगर निकाय अधिनियम, 1973 और हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 में नई धाराएं इंद्राज की हैं। उन्होंने बताया कि हरियाणा मन्युनिशिपल अधिनियम की धारा 13 एफ, 13 जी और 14 तथा हरियाणा नगर निगम अधिनियम की धारा 8ई, 8एफ और 8जी को दर्ज किया गया है।
उन्होंने चुनाव खर्च के खातों से सम्बन्धित जानकारी देते हुए बताया कि यदि आयोग द्वारा निर्धारित मानदण्डों और समयावधि के भीतर चुनाव खर्च का खाता उम्मीदवार द्वारा नहीं बताया जाता है और सही कारणों की जानकारी आयोग को नहीं दी जाती है तो चुनाव आयोग अपने राजकीय गजट में उम्मीदवार को अगले पांच वर्षों की अवधि के लिए चुनाव लडऩे के लिए आयोग्य घोषित करेगा। उन्होंने बताया कि प्रत्येक चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवार या उसके एजेंट द्वारा चुनाव परिणाम की घोषणा की तिथि के 30 दिनों के भीतर सम्बन्धित जिला उपायुक्त या आयोग द्वारा प्राधिकृत अन्य अधिकारी के साथ चुनाव खर्च का खाता खोलना होगा।
उन्होंने बताया कि मूल्य सूचकांक की बढ़ोतरी और अन्य चुनाव आयोगों द्वारा खर्च सीमा की बढ़ोतरी के मद्देनजर हरियाणा राज्य चुनाव आयोग ने नगरपालिका, नगरपरिषद और नगर निगमों में चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवारों की खर्च सीमा में संशोधन किया है। उन्होंने बताया कि नगरपालिका के सदस्य की खर्च सीमा 75,000 रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये, नगरपरिषद के सदस्य की खर्च सीमा एक लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये और नगर निगम के सदस्य की खर्च सीमा 2.10 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये की गई है।
डा० दलीप सिंह ने बताया कि इस सम्बन्ध में सभी सम्बन्धित अधिकारियों व लोगों को आवश्यक दिशानिर्देश दिए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि इन दिशानिर्देशों के अनुसार चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवारों को खर्च के खातों को ब्यौरा रखना होगा और चुनाव परिणाम की घोषणा के 30 दिनों के भीतर सम्बन्धित उपायुक्त को निर्धारित प्रफोर्मा में यह जानकारी भरकर देनी होगी और उपायुक्तों को यह रिपोर्ट तुरंत आयोग को भेजनी होगी।
उन्होंने बताया कि यदि उम्मीदवार खर्च का ब्यौरा देने में असफल रहता है तो आयोग द्वारा राजकीय गजट में अगले पांच वर्षों के लिए उम्मीदवार को आदेशों की तिथि से अयोग्य घोषित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक उम्मीदवार को और उसके द्वारा प्राधिकृत चुनाव एजेंट को अपना एक अलग खर्च का खाता रखना होगा और नामांकन की तिथि से लेकर चुनाव परिणाम की घोषणा की तिथि तक की जानकारी इस खाते में दर्ज करनी होगी। उन्होंने बताया कि खर्च की सीमा निर्धारित की गई सीमा से अधिक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवार या उसके द्वारा प्राधिकृत एजेंट द्वारा खर्च में रखी गई निर्धारित सीमा से अधिक खर्च की उल्लंघना की जाती है तो अधिनियम के अन्तर्गत उसे अयोग्य घोषित किया जाएगा।