– डीसी अजय कुमार ने कहा, नशे के खिलाफ जारी लड़ाई को जीतने के लिए महत्वपूर्ण कारक हैं मजबूत पारिवारिक मूल्य
-स्कूली विद्यार्थियों में नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता लाने के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा गुरुग्राम में किया गया कार्यशाला का आयोजन
गुरुग्राम, 15 जनवरी। डीसी अजय कुमार ने कहा कि आज जब पूरी दुनिया नशीली दवाओं की लत के खतरे का सामना कर रही है जिसका व्यसनी, व्यक्ति, परिवार और समाज के एक बड़े हिस्से पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है। ऐसे में हम सभी को हमारे स्कूली विद्यार्थियों में नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता लाने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। डीसी अजय कुमार बुधवार को गुरूग्राम के सेक्टर 49 में स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा ड्रग्स और मादक द्रव्यों के सेवन के बारे में आयोजित जागरूकता कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में गुरुग्राम सहित एनसीआर के विभिन्न स्कूलों के प्रिंसिपल/प्रमुख उपस्थित रहे।
डीसी अजय कुमार ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि
हमें हमारी युवा पीढ़ी में नशे की लत को खत्म करने की चुनौती से निपटने के लिए समाज के सभी लोगों को एकजुट होकर इस सामाजिक उद्देश्य के लिए संघर्ष करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मादक पदार्थ उपयोग विकार एक ऐसा मुद्दा है, जो देश के सामाजिक ताने-बाने पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। किसी भी मादक पदार्थ पर निर्भरता न केवल व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि उसके परिवार और पूरे समाज को भी बाधित करती है।
उन्होंने कहा कि नशे की समस्या की रोकथाम में समाज व स्कूल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। समाज को आगे आकर मादक पदार्थों और इनके आपूर्तिकर्ताओं का बहिष्कार करना चाहिए। इसके लिए एक सामाजिक तंत्र विकसित किया जाना चाहिए। डीसी ने कहा कि हमें माता-पिता और अभिभावकों को भी जागरूक करना होगा ताकि वे अपने बच्चों और युवाओं के साथ कैसे व्यवहार करें और उन्हें नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरे से दूर रखने के लिए क्या उपाय करें। उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों के उपयोग के खिलाफ लड़ाई में मजबूत पारिवारिक मूल्य शक्तिशाली अस्त्र साबित हो सकते हैं।
डीसी ने कहा कि मादक पदार्थों का सेवन रोकने के साथ-साथ हमें इसके पीड़ितों के पुनर्वास के लिए भी एक संपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना होगा। उन्हें सामाजिक रूप से अलग-थलग करने के बजाय हमें उनके प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए और उनकी मदद करनी चाहिए, ताकि वे अपनी गलतियों का अहसास कर सकें और सामान्य जीवन में लौट सकें। उन्होंने कहा कि नशा मुक्ति के लिए सबसे जरूरी यह है कि हम स्वयं इसके प्रति जागरूक बनें तथा इसे अपनी जिम्मेदारी समझकर अपने तथा अपने समाज के सभी लोगों को इस समस्या से मुक्त कराएं। इस दौरान उन्होंने सभी स्कूल प्रमुख से इस अभियान में अपनी महती भूमिका निभाने का आह्वान करते हुए नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ समाज में जागरूकता पैदा करने के लिए सभी गैर-सरकारी संगठनों और आध्यात्मिक संगठनों की सराहना भी की।
कार्यक्रम में हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो से पुलिस अधीक्षक पंखुड़ी कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षण संस्थाओं के सहयोग से स्कूली विद्यार्थियों में ड्रग्स व अन्य नशों से संबंधित सामाजिक बुराइयों पर काबू पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि नशे से जुड़े किसी भी पदार्थ का उपयोग शौक के रूप में भी नहीं करना चाहिए। हमें जितना हो सके इससे दूर ही रहना चाहिए और ज्यादातर युवाओं को इसके प्रति जागरूक करना चाहिए। उन्होंने बताया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने “नशा मुक्त भारत अभियान” (एनएमबीए) के तहत देश में स्कूली विद्यार्थियों के लिए नवचेतना मॉड्यूल विकसित किया है। जो स्कूलों में विद्यार्थियों के बीच जीवन कौशल और नशीली दवाओं पर जागरूकता तथा ज्ञान बढ़ाने के उद्देश्य से शिक्षकों द्वारा प्रचारित व कार्यान्वित किए जाएंगे। उन्होंने हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो द्वारा की गई चक्रव्यूह व राम गुरूकुल गमन जैसी सार्थक पहलों का उल्लेख करते हुए बताया कि हरियाणा राज्य में अभी तक 47 प्रतिशत गांव व निकाय क्षेत्रों में 42 प्रतिशत वार्ड ड्रग्स फ्री घोषित किए गए हैं। पंखुड़ी कुमार ने इस दौरान ड्रग्स फ्री अभियान में स्कूल कैसे सहयोग करें व अपनी बात रखने के लिए वे किन फॉर्म्स में संपर्क कर सकते हैं। इस पर भी अपने विचार रखे।
कार्यशाला में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सेक्रेटरी हिमांशु गुप्ता, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के उपनिदेशक डॉ अनीश, चिन्मया इंटरनेशनल स्कूल कोयंबटूर से निदेशक शांति कृष्णमूर्ति,
डीएवी पब्लिक स्कूल सेक्टर-49 की प्रिंसिपल चारू मैनी सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।