“बीजेपी की केंद्र सरकार और MCD जनता के पैसे से फुटबॉल खेलती रही “
दिल्ली को अब तक आवंटित 336 करोड़ में से सिर्फ़ 2.22 करोड़ खर्च हुए
आर एस चौहान
नई दिल्ली : 2 अक्टूबर 2014 को खूब धूम धाम से, गाजे बाजे के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की घोषणा की थी। बताया गया कि अभियान का मुख्य उद्देश्य शौचालय निर्माण और कूड़ा प्रबंधन के द्वारा 2 अक्टूबर 2019 तक गाँधी जी के स्वच्छ भारत के सपने को पूरा करना है। लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में ही, जहाँ देश के प्रधानमंत्री से लेकर पूरी सरकार बसती है, इस अत्यंत प्रचारित योजना की हवा निकाल दी गयी है। पांच साल के मिशन पीरियड के दौरान दिल्ली को 360.01 करोड़ रूपये मिलने थे।
उत्तरी नगर निगम 92.28 करोड़ में से एक रुपया भी खर्च नहीं कर पायी
पूर्वी निगम भी अपने हिस्से के 83.99 करोड़ में से एक पैसा नहीं खर्च पायी
वित्त वर्ष 2015 -16 में 139.60 करोड़ रूपये रिलीज़ किया गया। लेकिन आंकड़ों के हिसाब से उत्तरी नगर निगम को 2015-16 में रिलीज़ किये गए 46.28 करोड़ में से एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ। पूर्वी निगम भी अपने 41.99 करोड़ में से एक पैसा नहीं खर्च पायी। ज्ञात हो कि पूर्वी और उत्तरी नगर निगम के लोग ही हाल के सालों में कूड़े, कचरे और गंदगी की समस्या से जूझते रहे हैं।
दक्षिणी नगर निगम ने दो सालों में 66.47 करोड़ में से सिर्फ 1.86 करोड़ खर्च कर पायी
दक्षिणी नगर निगम सिर्फ1.86 करोड़ खर्च कर पायी। वित्तीय वर्ष 2016 -17 में दिल्ली को और पैसा आवंटित हुआ, लेकिन पिछले साल खर्च न होने के कारण रिलीज़ भी नहीं हो पाया है। पिछले सप्ताह की सूचना के अनुसार उत्तरी नगर निगम के पास 92.28 करोड़, पूर्वी नगर निगम के पास 83.99 करोड़ और दक्षिणी नगर निगम के पास64.61 करोड़ उपलब्ध पड़ा है।
इसी सन्दर्भ में आज नवगठित राजनीतिक पार्टी स्वराज इंडिया ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दिल्ली की स्वच्छता के सवाल पर सिर्फ़ फोटोबाज़ी करने का आरोप लगाया। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुपम ने एक प्रेस वार्ता में अफ़सोस जताते हुए कहा कि अपने पहले दो साल में स्वच्छ भारत मिशन राजधानी दिल्ली में पूर्णतयः फेल हो चुका है। इस विफलता की ज़िम्मेदारी प्रधानमंत्री मोदी पर डालते हुए अनुपम ने कहा कि अभी भी यदि समय रहते समस्या का समाधान नहीं किया गया तो इस पवित्र योजना का कोई भी फायदा दिल्ली की जनता को नहीं हो पायेगा।
प्रेस को संबोधित करते हुए स्वराज इंडिया के महासचिव अजित झा ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन में प्रावधान है कि इसके क्रियान्वयन की ज़िम्मेदारी नगर निगम की होगी, जिसे धन मुहैया राज्य सरकार के माध्यम से कराया जाएगा। लेकिन दो वर्षों से ऊपर बीत जाने के बाद भी दिल्ली नगर निगम अभियान में मिले पैसे खर्च नहीं कर पायी है। इसका असली कारण है इस योजना के लिए बनाए केंद्र सरकार के नियम जो दिल्ली के अनुरूप नहीं है।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्थानीय निकायों को कूड़ा कचरा प्रबंधन के काम के अलावा तीन तरह के शौचालय निर्माण की ज़िम्मेदारी होती है – घर में शौचालय, सामुदायिक शौचालय और सार्वजनिक शौचालय। दिल्ली में घर के अंदर शौचालय बनवाने की आवश्यकता मुख्यतः जेजे क्लस्टर में है, जोकि नगर निगम के अंतर्गत आता ही नहीं। दिल्ली के जेजे क्लस्टर dusib के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। इतना ही नहीं नियमों के अनुसार dusib को सिर्फ़ सामुदायिक शौचालय के निर्माण का अधिकार है, व्यक्तिगत घरों में शौचालय निर्माण का नहीं। इसका परिणाम यह हुआ है कि दिल्ली में व्यक्तिगत घरों में एक भी शौचालय नहीं बन पाया।
रही बात सार्वजनिक शौचालयों की तो इनके निर्माण के लिए नगर निगम को निजी संस्थानों से फंड इक्कट्ठा करने को कहा गया है। ये बात किसीसे छुपी नहीं है कि दिल्ली नगर निगम हमेशा ही फंड की कमी में रहते हैं। यदि नगर निगम कुछ पैसे इक्कट्ठा कर भी ले तो अपने कर्मचारियों को बकाया वेतन देने में ही खर्च कर देगी। तो पब्लिक टॉयलेट्स के लिए पैसा कहां से आयेगा।
इन परिस्थितियों के कारण मोदी जी का स्वच्छ भारत मिशन देश की राजधानी में एक मज़ाक बन कर रह गया है। किसी अन्य राज्य के नगर निगमों के पास इतना अधिकार होता है कि वो अभियान के पैसों को खर्च कर सके। लेकिन दिल्ली नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में वो इलाके आते ही नहीं जहाँ सबसे अधिक काम की ज़रूरत है। अगर कहीं शौचालय निर्माण हो भी जाए तो सीवर का प्रबंध घरवाले को अपने पैसे से करना पड़ेगा क्योंकि जिस दिल्ली जल बोर्ड की ज़िम्मेदारी सीवर की है उसे स्वच्छ भारत मिशन के अंदर नहीं रखा गया है, क्यूँकि dusib की ही तरह ये भी राज्य सरकार का एक विभाग है।
अनुपम ने भारतीय जनता पार्टी की स्वच्छ भारत मिशन के लिए प्रतिबद्धता पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा, “इन पेंचीदगियों के कारण राजधानी दिल्ली में स्वच्छ भारत मिशन का ढेले भर का काम नहीं हुआ है। हाँ, बीजेपी के आम कार्यकर्ता से लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक ने फोटोबाज़ी और भाषणबाज़ी में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी है।
जिस अभियान का नरेंद्र मोदी पूरी दुनिया में ढिंढोरा पीटते हैं उसका हाल उसी दिल्ली में इतना बुरा है जहाँ प्रधानमंत्री से लेकर पूरी केंद्र सरकार बसती है। आज सफ़ाई दिल्ली का सबसे बड़ा मुद्दा है। हर साल डेंगू चिकुनगुनिया की महामारी फैलती है। कूड़े कचरे की समस्या है। हर तरह के प्रदूषण से लोग त्रस्त हैं। ऐसे में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर हर पार्टी को दिल्ली की स्वच्छता के प्रति गंभीर होने की ज़रूरत है।
स्वराज इंडिया इस अभियान को सफल बनाने के लिए एक ज़िम्मेदार संगठन की भूमिका निभाता रहेगा। स्वच्छ भारत अभियान की सफ़लता किसी सरकार या नेता की नहीं, पूरे देश की सफलता होगी।”
स्वराज इंडिया ने इस मामले को अत्यंत चिंताजनक बताते हुए मांग किया कि प्रधानमंत्री मोदी इस गंभीर समस्या का संज्ञान लें और जल्द से जल्द दिल्ली के लिए स्वच्छ भारत मिशन के क्रियान्वयन का सार्थक मॉडल बनाएं।