कहा मिल्क सेस 2001 में लगाया गया था
10,000 लीटर से ज्यादा दूध इकट्ठा करने वाले पर लगा था सेस
चण्डीगढ़ : हरियाणा पशुधन विकास बोर्ड के प्रबन्ध निदेशक विरेन्द्र अंतिल ने कांग्रेस विधायक करण सिंह दलाल के आरोपों का जवाब देते हुए कहा है कि मिल्क सैस 2001 में लगाया गया था. ये सैस 10,000 लीटर से ज्यादा दूध इकट्ठा करने वाले प्लांटस पर लागू किया गया था।
प्रबन्ध निदेशक ने विधायक करण सिंह दलाल द्वारा सैस के मामले में लगाए गये अरोपों को निराधार और तथ्यों से परे बताया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब सैस लगाया था तब प्रभावित प्लांटस ने पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका इसके विरूद्ध दायर की। लगभग 10 साल के अन्तराल के बाद उच्च न्यायालय ने मिल्क सैस को उचित मानते हुए सरकार के पक्ष में फैसला दिया। इस फैसले के विरूद्ध प्रभावित प्लांटोंं ने उच्चतम न्यायालय में एसएलपी दायर की। उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2012 में आन्तरिम आदेश दिया था कि प्लांटस देय सैस का 50 प्रतिशत जमा करवाएं।
उन्होंने कहा कि मामला अभी उच्चतम न्यायालय के विचाराधीन है। मूल देय सैस प्लांटस के विरूद्ध 150 करोड़ रुपये की मूल राशि है, जबकि शेष 650 करोड़ रुपये ब्याज है। उसमें से बोर्ड को अब तक 74 करोड़ की राशि प्राप्त हो चुकी है। जिसमें से 50 करोड़ रुपये की राशि वर्ष 2014 से 2016 के बीच कोर्ट के आदेश के बाद प्राप्त हुई है। अब ज्यादातर बड़े मिल्क प्लांट सैस की राशि समय पर जमा करवा रहे हैं। सैस रिकवरी के लिए प्लांटों को समय-समय पर सिमन बैंक अधिकारी नोटिस दे रहे हैं।
सम्बन्धित जिला उपायुक्तों के माध्यमों से भी सैस रिकवरी करने का प्रयास किया जा रहा है। मामला कोर्ट के विचाराधीन होने के कारण समय-समय पर बकायादारों को नोटिस देकर वसूली के लिए बोर्ड प्रयासरत है।