जिला बागवानी अधिकारियों को प्रधान सचिव ने हड़काया !

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कहा दफ्तर में बैठ कर कागजी डाटा नहीं करें तैयार

किसानों का डेटाबेस तैयार करने के निर्देश 

2022 तक किसानों की आय दोगुणा करने का लक्ष्य 

चंडीगढ़ :  हरियाणा कृषि एवं कल्याण विभाग के प्रधान सचिव एवं हरियाणा राज्य बागवानी विकास एजेंसी के चैयरमेन डॉ. अभिलक्ष लिखी ने कहा कि राज्य के सभी 22 जिलों के सभी प्रगतिशील किसानों की सूची तैयार करके एक डाटावेस बनाया जाएगा ताकि उनसे विभिन्न जानकारियां हासिल करके भविष्य की नीतियों को तैयार किया जा सकें। उन्होंने राज्य के सभी जिला बागवानी अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया कि वे अपने कार्यालय से बाहर निकलकर क्षेत्र में जाएँ.  राज्य के किसानों से जाकर मिलें. उनसे जानकारियों हासिल करें.  उनकी समस्याओं इत्यादि के बारे में जानकारी मुहैया करवाएं ताकि बागवानी मिशन में उन समस्याओं के घटकों को जोडा जा सकें । उन्होंने बैठक में अधिकारियों को आगाह किया कि उनके द्वारा दिए गए सुझाव यथार्थवादी होने  चाहिए न कि दफ्तर में बैठ कर तैयार किये गए कागजी आंकड़े. 

डा. लिखी बुधवार को एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) की एक दिवसीय राज्य स्तरीय बैठक को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने बैठक राज्य के विभिन्न प्रगतिशील किसानों, हितधारकों, किसान एसोसिएशन, किसानों से जुड़ी गैर-सरकारी संस्थाओं के सदस्यों, निकायों के सदस्यों, विपणन बोर्ड, खाद्य प्रसंस्करण, खाद्य तकनीक से जुडे लोग, कृषि वैज्ञानिक व कई विशेषज्ञ उपस्थित थे।
डा. लिखी ने कहा कि हरियाणा सरकार की स्पष्ट सोच है कि वर्ष 2022 के विजन को ध्यान रखते हुए राज्य के किसानों की आय को किस प्रकार दोगुणा किया जाए. इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी का सहारा लेने के साथ-साथ किसानों के लिए एक आईटी प्लेटफार्म होना चाहिए ताकि उन्हें विभिन्न मंचों व संस्थाओं द्वारा किसानों के हितों के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी जल्द से जल्द मुहैया हो सके।
बैठक में हरियाणा राज्य बागवानी विकास एजेंसी के मिशन निदेशक डा. बी.एस. सहरावत ने मिशन के विजन और रोडमैप के बारे में प्रस्तुति दी. उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 तक 6 लाख हैक्टेयर क्षेत्र को कवर करके 150 लाख मिट्रिक टन उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा, प्रति हैक्टेयर 25 मिट्रिक टन का उत्पादन, दस हजार हैक्टेयर सरंक्षित खेती , जल संसाधनों का सृजन, 25 हजार हैक्टेयर में जैविक खेती , मधु मक्खी पालन को बढावा, मानव संसाधन के साथ-साथ कौशल  विकास  कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगें।
आज की बैठक में कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर गंभीरता से विचार किया गया. इनमें सर्वाधिक फोकस  वर्ष 2022 तक राज्य के किसानों की आय को दोगुणी करने जैसे विषय पर रहा.  कम क्षेत्र में ज्यादा उत्पादन कैसे लिया जा सकें इस पर भी विशेषज्ञों की राय ली गयी. आगामी पांच वर्ष की योजनाओं को तैयार करने के लिए भी बैठक में विचार किया गया । डॉ लिखी के अनुसार राष्ट्रिय बागवानी मिशन का नाम अब समेकित बागवानी विकास मिशन रखा गया है. इसमें केन्द्र सरकार का 60 प्रतिशत और राज्य सरकार का 40 प्रतिशत हिस्सा कर दिया गया है. यह किसानों के लिए सुनहरा मौक़ा है.
डा. सहराबत ने बताया कि वर्ष 2015-16 में हरियाणा में बागवानी के अंतर्गत सब्जियों का उत्पादन 61.46 लाख मिट्रिक टन, फलों का उत्पादन 7.37 लाख मिट्रिक टन, मसालों का उत्पादन 81,280 मिट्रिक टन, फूलों का उत्पादन 63,030 मिट्रिक टन, चिकित्सीय दवाओं का उत्पादन 1058 मिट्रिक टन और मशरुम का उत्पादन 10,500 मिट्रिक टन किया गया है। उन्होंने बताया कि मिशन का मुख्य उदेश्य बागवानी उत्पादन और किसान की आय को बढाना है। बागवानी क्षेत्र में समग्र विकास को बढावा, पोस्ट-हारवेस्ट प्रबंधन, प्रसंस्करण और विपणन इन्फ्रास्ट्रकचर को बढावा, रोजगार सृजन, जैविक खेती को बढावा देने के साथ-साथ मानव संसाधन विकास पर बल देना है।

 

उन्होंने बताया कि मिशन का उदेश्य उत्कृष्टता केन्द्रों की स्थापना, संरक्षित खेती, जल संसाधनों को प्रबंधन, बागवानी फसलों को के क्षेत्र में विस्तार, पौधारोपण में गुणवत्ता सुधार, मधु मक्खी पालन इत्यादि शामिल है। उन्होंने कहा कि किसानों को ज्यादा से ज्यादा पोलीहाऊस, सब्सिडी को बढाना, किसानों को पोस्ट-हारवेस्ट की तरफ प्रोत्साहित करना, कोल्ड स्टोरेज को अधिक से अधिक से बढाना तथा उसमें दिए जा रहे सहयोग को बढावा देना, उत्पादन के इन्फ्रास्ट्रक्चर, मार्किटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढावा देना भी शामिल है।
डा. सहराबत ने बताया कि हरियाणा होरटनेट पेमेंट गेटवे के माध्यम से सब्सिडी देने के लिए देश में प्रथम स्थान पर है और 30 दिसंबर, 2016 तक इस पेमेंट गेटवेके माध्यम से 23.50 करोड़ रुपए की राशि डीबीटी के माध्यम से 4328 लाभार्थियों को उपलब्ध करवाई गई है। उन्होंने बताया कि बागवानी मिशन के शुरूआत होने के बाद 155 प्रतिशत क्षेत्र में बढोतरी हुई है और 3503 पानी के टेंकों किसानों के खेतों में बनाया गया है जिसकी वजह से फलों के पौधों में सिंचाई सुनिश्चित हुई है। उन्होंने बताया कि बागवानी मिशन के तहत 1.2 लाख किसानों को लाभ दिया गया है। इसके अलावा, पानी स्टोरेज टेंक, सरंक्षित खेती, पोस्ट-हारवेस्ट आपरेशन और इकाईयों के निर्माण से ज्यादा रोजगार सृजित हुआ है। वहीं, पोलीहाऊस खेती के माध्यम से किसानों ने पांच लाख प्रति एकड़ की आय की है।
उन्होंने प्रस्तुति के माध्यम से सुझाव देते हुए बताया कि वर्तमान दरों का संशोधन, वर्तमान सहायता राशि में संशोधन, वर्टिकल खेती को बढावा, अतिरिक्त क्षेत्रों में निवेश जो मिशन में अब तक नहीं लिए गए हैं।
मिशन निदेशक की प्रस्तुति के उपरान्त डा0 अभिलक्ष लिखि द्वारा सैशन में उपस्थित सभी प्रतिभागियों से मिशन को और सकारात्मक रूप देने के लिए और अगली पंचवर्शीय योजना के अन्त तक किसानों की आय को दोगुने स्तर तक पहुंचानेे हेतू सुझाव मांगे और बताया कि भारत सरकार भिन्न भिन्न क्षेत्रों से इस बारे में फीडबैक लेने हेतू भिन्न भिन्न स्तर पर ऐसे सैशनों का आयोजन कर रही है। ये आज का सैशन राज्य स्तरीय सैशन है और इसके बाद जोनल स्तर का सैशन और इसके उपरान्त राष्ट्रीय स्तर का सैशन बुलाया जायेगा ताकि भिन्न भिन्न क्षेत्रों से सुझाव लेकर पंचवर्शीय योजना के स्वरूप में शामिल करते हुए आने वाले समय में इस मिशन को और मजबूत करते हुए किसानों की आय को बढाया जा सके।
बैठक में राज्यभर से आए किसानों, प्रगतिशील किसानों, हितधारकों, किसान एसोसिएशन सदस्यों, किसानों से जुड़ी गैर-सरकारी संस्थाओं के सदस्यों, निकायों के सदस्यों, विपणन बोर्ड, खाद्य प्रसंस्करण, खाद्य तकनीक से जुडे लोगों, कृषि वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों ने भी अपने-अपने सुझाव व अनुभव सांझा किए।

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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