” 340 गांवों को बागवानी गांव बनाने की तैयारी “

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किसानों के साथ विशेषज्ञों की बैठक

510 करोड़ रुपए  का प्रावधान,140 क्लस्टर तैयार

चंडीगढ़ :  हरियाणा सरकार ने प्रदेश में बागवानी को बढावा देेने के मद्देनजर राज्य के 340 गांवों को बागवानी गांव के रूप  चिन्हित किया है. इन गांवों के लिए कार्य योजना तैयार की गई है . इस योजना को चरणबद्घ तरीके से लागू किया जाएगा। यह जानकारी बुधवार को यहां हरियाणा कृषि एवं कल्याण विभाग के प्रधान सचिव एवं हरियाणा राज्य बागवानी विकास एजेंसी के चैयरमेन डॉ. अभिलक्ष लिखी की अध्यक्षता में आयोजित एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) की एक दिवसीय राज्य स्तरीय बैठक में दी गई। बैठक में बागवानी विभाग के महानिदेशक डा. अर्जुन सिंह सैनी और हरियाणा राज्य बागवानी विकास एजेंसी के मिशन निदेशक डा. बी.एस. सहरावत भी उपस्थित थे।
इस बैठक में बागवानी विभाग के महानिदेशक डा. अर्जुन सिंह सैनी ने बताया गया कि इसमें 140 कलस्टर तैयार किए गए हैं.  प्रत्येक कलस्टर में चार से पांच गांवों को कवर किया जाएगा। इस योजना के लिए 510 करोड़ रुपए  का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि योजना के तहत इन्फ्रास्ट्रक्चर, कोल्ड स्टोरेज, ग्रेडिंग, पैकेजिंग, सोलर सिस्टम, मोबाइल वैन, मार्किटिंग इत्यादि पर बल दिया जाएगा ताकि बागवानी को बढावा दिया जा सके।
उन्होंने बागवानी को बढावा देने के लिए व  किसानों की आय को दोगुने स्तर तक पहुंचाने हेतू सुझाव दिये . उन्होंने बताया कि संरक्षित खेती व खुले में सब्जियों की खेती को बढावा देना चाहिए . उन्होनें कहा कि संरक्षित खेती में पहले से ही प्रति इकाई उत्पादकता उंचे स्तर तक पहुंची हुई है परन्तु इसके अन्तर्गत क्षेत्रफल कम है। वहीं खुले में सब्जियों की खेती के अंतर्गत क्षेत्रफल पर्याप्त मात्रा में है लेकिन प्रति इकाई उत्पादकता काफी कम है। इसे बढाने के लिए किसानों को सूक्ष्म सिंचाई, मलचिंग, हाईब्रिडबीज व घुलनषील उर्वरकों एवं कीट नाशकों  का प्रयोग करना होगा. इससे उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि होगी व किसानों की आय के अवसर बढेंगे।

 

उन्होंने मधुमक्खी पालन के अन्तर्गत शहद के भण्डारण व पैकिंग हेतू पैकिंग मैटेरियल पर भी अनुदान देने हेतू सिफारिश की .  साथ ही अनुरोध किया कि कोई भी किसान उत्पादक समूह यदि प्रसंस्करण संयत्र लगाना चाहते हैं तो उन्हें क्रेडिट लिंक्ड बैंक एंडिड सब्सीडी प्रावधान से मुक्त करते हुए लीज पर ली हुई भूमि पर लगाने की छूट होनी चाहिए। उन्होनें हाइड्रोपोनिक तकनीक से सब्जियों की खेती को भी मिशन में अनुदान हेतू शामिल करने की सिफारिश भी की।

 
बैठक में राज्यभर से आए किसानों, प्रगतिशील किसानों, हितधारकों, किसान एसोसिएशन सदस्यों, किसानों से जुड़ी गैर-सरकारी संस्थाओं के सदस्यों, निकायों के सदस्यों, विपणन बोर्ड, खाद्य प्रसंस्करण, खाद्य तकनीक से जुडे लोगों, कृषि वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों ने भी अपने-अपने सुझाव व अनुभव सांझा किए।

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