– सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों के अनुपालन में हाई पावर कमेटी के आदेशों पर होगा अमल
— कमेटी ने 7 साल तक की सजा वाले कैदियों और विचाराधीन कैदियों की पैरोल व अंतरिम जमानत की अवधि भी बढ़ाई
— अधिवक्ता कार्यवाही करने में जुटे , जेलों में जाकर की जा रही है प्रक्रिया पूरी
गुरुग्राम , 14 मई – हाई पावर्ड कमेटी की 14 वीं बैठक न्यायमूर्ति श्री राजन गुप्ता, न्यायाधीश पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष, हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की अध्यक्षता में आयोजित की गयी। इस कमेटी द्वारा निर्धारित श्रेणियों के तहत विशेष पैरोल पर पहले छोडे गए 7 साल से अधिक की सजा वाले दोषियों की रिहाई की अनुमति दी गयी। बैठक में श्री बलदेव राज महाजन, हरियाणा के एडवोकेट जनरल, श्री राजीव अरोड़ा, अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग, हरियाणा सरकार, श्री शत्रुजीत कपूर, जेल महानिदेशक, हरियाणा और श्री प्रमोद गोयल, जिला एवं सत्र न्यायाधीश-एवं -सदस्य सचिव, हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण उपस्थित थे।
इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए गुरुग्राम के जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के अध्यक्ष एस पी सिंह ने बताया कि राज्य स्तर पर हाई पावर्ड कमेटी का गठन पैरोल/अन्तरिम जमानत पर दोषियों/विचाराधीन कैदियों की रिहाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों के तहत किया गया था। जैसा कि कारागार विभाग, हरियाणा द्वारा सूचित किया गया है कि वर्तमान में कुल 21804 (108 प्रतिशत) कैदी हरियाणा की 19 जेलों में 20,041 (100 प्रतिशत) की अधिकृत क्षमता के सापेक्ष बंद है। गत वर्ष 24 मार्च को आयोजित हाई पावर्ड कमेटी की पहली बैठक के बाद से, 07 साल से अधिक कारावास की सजा पाने वाले 2580 दोषियों को विशेष पैरोल पर रिहा किया गया। इसी प्रकार 2094 (656 +1438) दोषियों/विचाराधीन कैदी, जिन्हें 07 वर्ष तक की सजा हो/जिन्हें ऐसे अपराधों का सामना करना पड़ा, जिनमें 07 वर्ष तक की अधिकतम कारावास है, उन्हें हाई पावर्ड कमेटी के आदेशों के तहत विशेष पैरोल/अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया था। इसके बाद कोविड मामलों में कमी के साथ, हाई पावर्ड कमेटी ने उन मामलों में पैरोल पर रिहा किए गए 09 चरणों में दोषियों की वापसी का निर्देश दिया था, जहां वे 07 से अधिक वर्षों से कारावास की सजा काट रहे थे। अब तक 2170 दोषियो ने 08 चरणों में जेलों मे आत्मसमर्पण किया है और 9वे चरण में 280 दोषियों के साथ अब 14 मई 2021 से शुरू होना है।
उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी किये गये निर्देशों के अनुपालन में, इस समिति ने 7 साल से अधिक कारावास की सजा वाले उन सभी दोषियों को रिहा करने के आदेश पुनः जारी किये गए हैं जिन्हें पूर्व में विशेष पैरोल पर रिहा किया गया था। इस पैरोल की अवधि 31-08-2021 तक रहेगी। दिनांक 14-05-2021 से शुरू होने वाले 9 वें चरण में आत्मसमर्पण करने वाले दोषियों को दी गयी विशेष पैरोल को भी 31-08-2021 तक बढ़ा दिया गया है। हालांकि, ऐेसे अपराधी जो तय तारीख पर आत्मसमर्पण करने में विफल रहे हैं, या फरार हैं, या जिनके खिलाफ नए मामले दर्ज किए गए थे, विशेष पैरोल के हकदार नहीं हैं। तद्नुसार सक्षम अधिकारियों को विशेष पैरोल के लिए सभी कैदियों पर फिर से विचार करने के लिए निर्देशित किया गया है, जो हाई पावर्ड कमेटी द्वारा निर्धारित श्रेणियों के अन्तर्गत आते हैं। हालांकि, कोई विशेष पैरोल उन पर लागू नहीं होगी, जो इसकी पिछली बैठकों में हाई पावर्ड कमेटी द्वारा अनुमोदित श्रेणियों से आच्छादित नहीं है। कुछ कैदी अपनी सामाजिक पृष्ठभूमि और घातक वायरस का शिकार होने की आशंका के मद्देनजर रिहाई के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं। सक्षम अधिकारियों को ऐसे कैदियों पर विचार करने के लिए निर्देशित किया गया है और उक्त कैदियो से लिखित घोषणा लेने के बाद जेल में रहने की अनुमति दे सकते हैं।
- कमेटी ने राज्य और जेल विभाग से बंदियों के सभी श्रेणियों की समीक्षा करने को कहा
कमेटी ने 2017 दोषियों/विचाराधीन कैदियों की पैरोल/अन्तरिम जमानत भी 31-08-2021 तक बढ़ा दी है, जो 07 साल की सजा पाए हो या 07 साल तक के अधिकतम कारावास के अपराधों के ट्रायल का सामना कर रहे हो। राज्य और जेल अधिकारियों को पैरोल/अन्तरिम जमानत के ऐसे सभी दोषियों/विचाराधीन कैदियों के मामलों पर विचार करने के लिए कहा गया है और यदि कोई अन्य दोषी/विचाराधीन कैदी हाई पावर्ड कमेटी द्वारा निर्धारित श्रेणियों से आच्छादित पाया जाता है। पैरोल/अन्तरिम जमानत का लाभ ऐसे व्यक्तियो को 31-08-2021 तक सम्बन्धित न्यायालयों/सक्षम प्राधिकारी द्वारा हाई पावर्ड कमेटी के निर्देशों के अनुसार विस्तारित करने का आदेश दिया गया है।
कमेटी ने यह भी फैसला लिया कि जिन कैदियों में कोरोना मामले की पुष्टि होती है या फिर वो संक्रमण के संदिग्ध हैं अथवा जिन्हें निगरानी में रखा गया है या उनके संक्रमण होने की अधिक संभावना है, ऐसे में जेल प्रशासन उन कैदियों के कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद मेडिकल रिकाॅर्ड के आधार पर स्पेशल पैरोल देने संबंधी विचार-विमर्श कर सकता है।
इसके अलावा, कमेटी ने राज्य और जेल विभाग से बंदियों के सभी श्रेणियों की समीक्षा करने को कहा है। कमेटी मुताबिक किसी अन्य श्रेणी में पैरोल /अंतरिम जमानत की अनुमति या व्यवस्था बनती हो, तो इस संबंधी हाई पावर्ड कमेटी के समक्ष प्रस्ताव, विचार करने बाबत रखा जा सकता है।
पारदर्शी प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए राज्य को अपनी वेबसाइट पर जेलों में मौजूद कैदियों की सही संख्या को दर्शाने व कमेटी की कार्रवाई आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं। इसी के साथ ही हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को भी प्राधिकरण की वेबसाइट पर हाई पावर्ड कमेटी के सभी निर्णयों को प्रकाशित करने के लिए कहा गया है।
यह भी निर्णित किया गया है कि जेल प्रशासन की सहभागिता से सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जेल कर्मियों व कैदियों में आपसी व्यवहार, मास्क शिष्टाचार संबंधी जागरूकता, पर्याप्त चिकित्सक व परीक्षण संबंधी सुविधाएं प्रदान करने के अलावा ज्यादा से ज्यादा टीकाकरण करने की तरफ बल देंगे।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्षों/जिला एवं सत्र न्यायाधीशों, जो अन्डरट्रायल रिव्यू कमेटी के पदेन अध्यक्ष हैं, को निर्देशित किया गया है कि वे राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा बनाई विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (एस0ओ0पी0) के अनुसार विचाराधीन कैदियों की रिहाई के लिए अन्डरट्रायल रिव्यू कमेटियों की नियमित बैठक सुनिश्चित करें।
हाई पावर्ड कमेटी ने संबंधित अधिकारियों को शीर्ष न्यायालय द्वारा अर्नेश कुमार बनाम बिहार मामले में दिए गए जरूरी दिशा-निर्देशों का पालन करने को भी कहा है। यह भी आदेश दिया गया कि इन निर्देशों के आवश्यक अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए जिला न्यायालयों एवं पुलिस विभाग, हरियाणा के संज्ञान में लाया जाए ताकि जेलों में भीड़भाड़ से बचने व कैदियों के बीच संक्रमण के जोखिम को कम किया जा सके।
कोरोना की दूसरी लहर में उछाल को देखते हुए, समिति ने फिलहाल अदालतों में विचाराधीन कैदियों के आने पर रोक संबंधी फैसला किया है। यह निर्देश भी दिया गया है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुओ मोटो रिट-पैटीशन (सिविल) नंबर 5/2020 में दिए गए निर्देशों को ध्यान में रखते हुए अदालती कार्रवाई के दौरान वीडियो काॅन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से आरोपियों को पेश किया जाए।
- कोविड संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए परिवारिक सदस्यों के साथ कैदियों के मेल-मिलाप पर भी रोक लगाई
समिति ने कैदियों और जेल कर्मचारियों के बीच कोविड संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए उनके परिवारिक सदस्यों के साथ कैदियों के मेल-मिलाप पर भी रोक लगा दी है। लेकिन, जेल प्रशासन को पारदर्शी और व्यवस्थित तरीके से वीडियो काॅन्फ्रेन्सिंग या अन्य किसी माध्यम से बातचीत आयोजित करने की अनुमति दी है।
संक्रमण के जोखिम को कम करने व टीकाकरण अभियान को बढ़ावा देने के लिए, समिति ने विधिक सेवा प्राधिकरणों को निर्देश दिया है कि जेल और स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से सभी जेलों में कोविड बाबत उचित व्यवहार, वैक्सीन के महत्व बारे जागरूकता शिविर आयोजित करें। कैदियों का टीकाकरण स्वैच्छिक आधार पर किया जाए। इसके अलावा सरकार को निर्देश दिया गया है कि सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए टीकाकरण अनिवार्य करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं और कर्मचारियों व कैदियों के शत-प्रतिशत टीकाकरण के लिए प्रयास हों। बैठक में जेल महानिदेशक, हरियाणा ने सूचित किया कि कुल 2560 जेल कैदियों में से 1828 (71 प्रतिशत) बंदियों की उम्र 45 साल से ऊपर है। इसी के साथ ही 2685 (82.2 प्रतिशत) जेल कर्मियों का टीकाकरण हो चुका है।