नई दिल्ली। पिछले कई वर्षों की अटकलबाजी को विराम देते हुए केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने शनिवार को ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की सदस्यता हासिल कर ली। उन्होंने कोलकाता में टीएमसी दफ्तर में पार्टी ज्वाइन कर राजनीतिक हलके को चौका दिया। पश्चिम बंगाल चुनाव से ठीक पहले यशवंत सिन्हा का यह कदम भाजपा के लिए चिंता पैदा करने वाला है।
उल्लेखनीय है कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों के घोर आलोचक रहे हैं। उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से टिकट नहीं दिया गया था लेकिन उनके बेटे को पार्टी के टिकट दिया था और वे मोदी सरकार में वित्त राज्य मंत्री व नागरिक उड्डयन मंत्री भी बनाये गए थे।
टीएमसी जॉइन करने के बाद यशवंत सिन्हा ने कहा, ‘अटल जी के समय में भाजपा सर्वसम्मति से काम करने की नीति अपनाती थी। आज की मोदी सरकार कुचलने और जीत हासिल करने की नीति अपना रही है।
उन्होंने कहा कि अकाली दल, शिवसेना और बीजद ने भाजपा का साथ छोड़ दिया है। उन्होंने यह कहते हुए सवाल।खड़ा किया कि आज भाजपा के साथ कौन है ? देश आज अभूतपूर्व स्थिति का सामना कर रहा है। लोकतंत्र की मजबूती लोकतंत्र के संस्थानों में होती है। न्यायपालिका समेत ये सभी संस्थान अब कमजोर हो गए हैं।
गौरतलब है कि यशवंत सिन्हा मुख्य रूप से पटना के रहने वाले हैं और उनकी पढ़ाई लिखाई भी वहीं हुई। 1958 में राजनीति शास्त्र में मास्टर की डिग्री हासिल की। इसके बाद 1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्त्वपूर्ण पदों पर रहते हुए 24 साल से अधिक तक नौकरी की। उन्होंने 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया और जनता पार्टी के सदस्य के रूप में सक्रिय राजनीति से जुड़ गए। वे चंद्रशेखर सरकार में मंत्री बनाये गए थे।
चार साल बाद 1988 में वे राज्य सभा के सदस्य चुने गए थे । 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हजारीबाग सीट से हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, अगले साल ही 2005 में वे फिर संसद पहुंचे। इसके बाद साल 2009 में उन्होंने बीजेपी उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।