नई दिल्ली। संसदीय पद्धतियों से परिचय कराने के लिए नए सांसदों के प्रबोधन कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि संसद केवल राजनीति की ही जगह नहीं है, केवल राजनीतिक विरोध की जगह नहीं होती, संसदीय व्यवस्था में पार्टी की विचारधारा के आधार पर ही अपनी बात रखी जाये, हमें राजनीतिक बातें भी जरूर करनी चाहिए किंतु सदैव याद रखना चाहिए कि कानून बनाने वाली यह सर्वोच्च संस्था है जो देश के प्रत्येक नागरिक के लिए कानून बनाती है।
अमित शाह ने कहा कि प्रत्येक सांसद 1500000 से ज्यादा लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं इसलिये उनकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। उनका कहना था कि दुनिया में सबसे पुराना एवं बड़ा लोकतंत्र भारत का है जो इस समय संसद के द्वारा प्रदर्शित होता है। हमें हमेशा बोध रहना चाहिए कि जो हम बोल रहे हैं और केवल हमारा क्षेत्र ही नहीं देख रहा है बल्कि हमारे वक्तव्य दुनिया के लोगों के लिए हैं। उस वक्तव्य के आधार पर भारतीय संसद की साख बनती है यह बात हमेशा हमारे संज्ञान में होनी चाहिए। श्री शाह ने सांसद निधि का खर्च सोच-समझ कर करने की बात भी कही।
उन्होंने कहा कि संसद के अध्ययन के बिना अच्छा सांसद बनना मुश्किल है और संसद की लाइब्रेरी किसी भी व्यक्ति के लिए रत्नों की खान है, इसका उपयोग हर सांसद को करना चाहिए। संविधान सभा को जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है तभी अच्छे सांसद बन सकते हैं।
उनका कहना था कि सांसद को केवल संसद से संबंधित मुद्दे उठाने चाहिए और उनके भाषण मुद्दे को समझने में मददगार होने चहिये साथ ही सांसदों द्वारा समय की सीमा का ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिये। हम अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, अपनी पार्टी की विचारधारा और जन अपेक्षा का प्रतिनिधित्व करना हमारा दायित्व है किंतु हमें देश के हितों का भी प्रतिनिधित्व करना होता है।
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अमित शाह ने कहा कि प्रसन्नता, उत्सुकता और अनुभव तीनों सांसद के लक्षण हैं। अनुभव प्राप्त करना है,प्रसन्नता अच्छे विचार से आएगी और उत्सुकता के बिना ज्ञान की वृद्धि नहीं हो सकती।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अलग-अलग संस्कृतियों,अलग-अलग बोलियों, अलग-अलग मान्यताओं को देखते हुए संविधान सभा ने तय किया कि भारतीय लोकतंत्र में मल्टी–पार्टी सिस्टम हो।
उन्होंने कहा कि संविधान में कार्यपालिका,विधायिका और न्यायपालिका से मिलकर देश का प्रशासन बनता है आज यह शिकायत है कि विधायिका निर्बल हुई है और कार्यपालिका तथा न्यायपालिका हावी हुई है। उनका कहना था कि हमारा दायित्व है कि विधायिका को मजबूत करना है।
अमित शाह ने कहा कि एक सांसद ने सवाल पूछता है तो वह सवाल संसद की प्रॉपर्टी बन जाता है इस बात का सशक्त निर्माण 1991 में हुए एक निर्णय में देखा जा सकता है जिसके अनुसार वंदे मातरम संसद के अंदर गाया जाता है। इसी प्रकार सोमनाथ चटर्जी ने नेपाली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए गैर सरकारी विधेयक प्रस्तुत किया जिसका परिणाम है कि नेपाली भाषा आज आठवीं अनुसूची में शामिल है। उन्होंने कहा कि अच्छे सांसद बनने के लिए अपने क्षेत्र में कार्यालय जरूर खोलें।
उन्होंने बताया कि बजट के माध्यम से देश का खाका खींचने का काम किया जाता है। बजट वह प्रक्रिया है जिसमें पिछड़ों के विकास के लिये रास्ता बनाने का कार्य होता है साथ ही ग्रामीण विकास, कृषि विकास और देश की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने का कार्य बजट द्वारा किया जाता है।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि लिफ्ट संख्या एक के सामने महाभारत का एक श्लोक लिखा है जिसका हिंदी में यह अर्थ है कि वह सभा नहीं है जिसमें जिसमें वृद्ध ना हो जो तीन प्रकार के होते हैं। शास्त्रों में कहा गया है वयोवृद्ध, ज्ञानवृद्ध तथा तपोवृद्ध इन तीनों का फायदा सभा को मिलना चाहिए। हम लोगों को किस दिशा में जाना है उसका पूरा दिशा दर्शन एक ही श्लोक में किया गया है। उन्होंने कहा कि आप लोगों से आग्रह है सभी श्लोकों के अर्थ पढ़ें तो किसी प्रकार के प्रबोधन की जरूरत नहीं पड़ेगी।