नई दिल्ली। केन्द्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री, अनुराग ठाकुर ने आगामी आम बजट 2019-20 के संबंध में डिजिटल अर्थव्यवस्था और स्टार्ट-अप्स के प्रतिनिधियों के साथ बजट पूर्व विचार-विमर्श किया।
इस बैठक के दौरान बड़े डेटा सेटों का विश्लेषण करते हुए आर्थिक, वित्तीय, जलवायु आदि के पूर्वानुमानों में सुधार लाने के लिए लघु, मध्यम उद्यम क्षेत्र के लिए बड़ा डेटा प्रौद्योगिकी का उपयोग, लोक प्रशासन के लिए बड़े डेटा की शक्ति को उन्मुक्त करना, जैसे मुख्य क्षेत्रों के बारे में विचार विमर्श किया गया। जिन अन्य मुद्दों पर प्रमुख रूप से चर्चा की उनमें डिजिटल बुनियादी ढांचा और सरकार की भूमिका, विशेष रूप से गोपनीयता, उपभोक्ता संरक्षण और वित्तीय विनियमन तथा सेवा के रूप में सॉफ्टवेयर जैसे मुद्दे शामिल रहे।
वित्त और कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री के साथ इस बैठक में वित्त सचिव सुभाष सी. गर्ग, व्यय सचिव गिरीश चंद्र मुर्मू, राजस्व सचिव अजय भूषण पांडे, डीआईपीएएम सचिव अतनु चक्रवर्ती, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव अजय प्रकाश साहनी, दूर संचार विभाग की सचिव अरुणा सुंदरराजन, सीबीडीटी के अध्यक्ष प्रमोद चंद्र मोदी, सीबीआईसी के अध्यक्ष पी. के दास प्रमुख आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल और वित्त मंत्रालय के कई अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
डिजिटल अर्थव्यवस्था और स्टार्ट-अप्स के प्रतिनिधियों ने बड़े डेटा, डेटा माइनिंग, भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने बड़ी चुनौती के रूप में डिजिटल बुनियादी ढांचे का निर्माण, और भारत में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा और प्रोत्साहन देने के बारे में अपने विचार और सुझाव साझे किए। विशेषज्ञों ने अपने-अपने संबंधित क्षेत्रों के बारे में विचार विमर्श करने के अलावा क्षेत्र विशेष समस्याओं के अनेक समाधानों के बारे में भी सुझाव दिए। स्टार्ट-अप विभाग और देश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम प्रास्थितिकी के बारे में भी विभिन्न सुझाव आए।
विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों ने डेटा विश्लेषण के माध्यम से सार्वजनिक सेवाओं को बढ़ाने, सार्वजनिक सेवाओं के अनुप्रयोगों के विकास द्वारा कुशल नागरिक-सरकार संपर्क के विकास, एमएसएमई क्षेत्र के लिए बड़ा डेटा क्षमता बनाने, सरकार और निजी क्षेत्रों में अंतर-संबंध और डेटा साझा करना, एंजल टेक्स से संबंधित सुझाव, सीमा पार डिजिटल, धोखाधड़ी और भ्रम फैलाने वाली प्रक्रियाओं से निपटने और आकलन की जरूरत तथा इनकी रोकथाम के लिए एक एजेंसी की स्थापना, भारतीय आईपी उत्पादों और ओपन सोर्स नवाचार के वित्त पोषण, असेम्बल की गई और विनिर्मित वस्तुओं के लिए अलग-अलग कर ढांचा, उन्नत मोबाइल संचार स्थापित करना व्यापार और मनोरंजन के लिए अलग-अलग मोबाइल और निश्चित लैंडलाइन बैंडविड्थ की आवश्यकता, स्पेक्ट्रम नीलामी मानदंडों की उद्योग के अनुकूल समीक्षा, अंतर्राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर सेवा प्रदाताओं पर निर्भरता कम करना, घरेलू सॉफ्टवेयर सेवा प्रदाताओं की सहायता में वृद्धि, डिजिटल कंपनियों के लिए मौजूदा कर लाभ जारी रखना, कॉरपोरेट टैक्स में कमी, स्वास्थ्य सेवाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में बढ़ोतरी, डेटा शासन के लिए कानून का विकास और भारतीय बौद्धिक संपदा पेशेवरों को प्रोत्साहित करने के बारे में सुझाव दिये।
इस बैठक में श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति राज नेहरू, फेडरेशन ऑफ कर्नाटक चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के महासचिव एच.ए.सी प्रसाद, आईआईएम, रोहतक के निदेशक धीरज शर्मा, नासकॉम की अध्यक्ष देबजानी घोष, टीसीएस के उपाध्यक्ष उज्ज्वल माथुर, टेलीकॉम इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष राजीव मेहरोत्रा, इलेक्ट्रॉनिक और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष मंदीप सिंह पुरी, इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ सुभो रे तथा अन्य कई हस्तियों ने हिस्सा लिया।