चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा सरकार की प्राथमिकता अब अपने नागरिकों के लिए एक उच्चतम ईज ऑफ लीविंग इंडेक्स पर फोकस किया जाना है।
नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की गवर्निंग कौंसिल की पांचवीं बैठक को संबोधित करते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि ईज ऑफ डूईंग बिजनेस की दृष्टि से हरियाणा प्रदेश चौदहवें स्थान से तीसरे स्थान पर पर पहुँचा है। हरियाणा राज्य खुले में शौचमुक्त व कैरोसिन के उपयोग से मुक्त राज्य बना है। कन्या भ्रूण हत्या को नियंत्रित किया गया है और हरियाणा में असंतुलित लिंगानुपात उल्लेखनीय रूप से संतुलित हुआ है। इन उपलब्धियों की दिशा में हरियाणा सरकार की प्राथमिकता अब अपने नागरिकों के लिए एक उच्चतम ईज ऑफ लीविंग इंडेक्स को निर्धारित किया जाना है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में नीति आयोग के साथ कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में विजन-2030 तैयार किया हुआ है। यू एन डी पी की सांझीदारी से सतत विकास लक्ष्य समन्वय केंद्र स्थापित किया गया है।स्वर्ण जयंती हरियाणा वित्त प्रबंधन संस्थान संचालित किया हुआ है। बजट आबंटन संरेखित किया हुआ है। इस दिशा में बजट 2019 -20 के अंतर्गत प्रत्येक योजना के लिए राष्ट्रीय सूचकों के अनुरूप आउटपुट-आउटकम फ्रेमवर्क भी प्रारंभ किया है। चरणबद्ध रूप से सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में सार्वजनिक खर्च को संरेखित करने के लिए एक एकीकृत ढ़ांचा प्रदान कर एक मुख्य आधार के रूप में कार्य करता है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा कृषि के साथ-साथ औद्योगिक क्षेत्र में अग्रणी राज्य है। राज्य के सभी तालाबों के विकास, सुरक्षा, सुधार, संरक्षण, निर्माण और प्रबंधन के लिए वर्ष 2017 में ‘हरियाणा तालाब और अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण’ की स्थापना की गई। प्राधिकरण ने 14000 से अधिक प्राचीन व नवीन जल निकायों के सुधार और विकास कार्यों की प्रगति की निगरानी के लिए एक ‘पोण्ड डाटा मैनेजमेंट्स सॉफ्टवेयर’ विकसित किया है। गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण वर्षा जल संचयन द्वारा इनमें से 500 से अधिक जल निकायों के सुधार पर कार्य कर रहा है। गुरुग्राम के लिए एक विस्तृत जल निकासी योजना/‘जीरो ड्रेन आउट सिस्टम’ भी शुरू किया है। इस योजना में जल संचयन संरचनाओं व तालाब क्षेत्रों का सृजन, नालियों का चैनलाइजेशन और रिचार्ज वैल का निर्माण करना शामिल है। अक्तूबर 2014 से मार्च 2019 तक अरावली में 13 और शिवालिक में 21 नई जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया गया है। इसी प्रकार, अरावली में 59 और शिवालिक में 43 जल संचयन संरचनाओं का सुधार किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विलुप्त हो चुकी नदी सरस्वती के कायाकल्प की एक प्रमुख परियोजना पर राज्य में काम चल रहा है, जिसमें बारिश के पानी का दोहन उस मार्ग पर किया जा रहा है, जिस पर पहले सरस्वती नदी बहती थी। उन्होंने ‘जल जीवन मिशन-नल से जल’ की पहल का स्वागत करते हुए कहा कि हरियाणा में पाइप द्वारा जल आपूर्ति बढ़ाने के लिए इस चुनौतीपूर्ण मिशन में हरियाणा सरकार पूरी सक्रियता से हिस्सा लेगी।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा सूखे की स्थिति में किसानों को शीघ्र राहत प्रदान करने के लिए राज्य प्रशासन की तैयारियों की नियमित रूप से समीक्षा की जा रही है। उन्होंने बताया राज्य में 20 मई 2019 से सूखा और बाढ़ नियंत्रण कक्ष पहले ही सक्रिय हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में मनरेगा के तहत एक परिवार को सामान्य रूप से 100 दिन का रोजगार प्रदान किया जा रहा है, जो सूखे की स्थिति में आवश्यता पडऩे पर बढ़ाकर 150 दिन किया जाएगा। इसके अलावा, सूखे की स्थिति में जनता के लिए पेयजल आपूर्ति टैंकरों और अन्य उपायों के माध्यम से की जाएगी।
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार सभी विभागों में रिक्त पदों को भरने के लिए प्रयास कर रही है। बेहतर स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों को अनुबंध आधार पर नियुक्त करने के लिए स्वीकृति प्रदान की गई है। यह निर्णय लिया गया है कि सरकार की मंजूरी के बिना किसी भी सरकारी अधिकारी को स्थानांतरण पर जिले से कार्यभार मुक्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मेवात क्षेत्र की पेयजल जरूरतों को पूरा करने के लिए मेवात जल आपूर्ति चैनल बनाने की भी घोषणा की है। मेवात क्षेत्र एकीकृत विकास योजना के तहत विभिन्न विकासात्मक पहलों के लिए मेवात विकास बोर्ड को 30 करोड़ रुपये का बजट अलग से प्रदान किया गया है। ‘हरियाणा रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ ने नई रेलवे लाइन सोहना-नूंह-अलवर के लिए व्यवहार्यता अध्ययन किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली से सभी अपशिष्टों और औद्योगिक कचरे को बहा कर लाने वाली गुडग़ांव नहर से जिले में दिये जा रहे निम्न गुणवत्ता वाले पानी को ध्यान में रखते हुए एक कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने पर विचार कर रही है। इससे क्षेत्र में स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान करने में मदद मिलेगी और बेहतर कृषि उत्पादन तथा पेयजल भी मिलेगा, जो आगे दिल्ली और उत्तर प्रदेश में पड़ोसी जिले में भी सुधार करेगा। इस सीईटीपी की अनुमानित लागत 500 करोड़ रुपये है और इसमें भारत सरकार, दिल्ली सरकार और उत्तरप्रदेश सरकार का अंशदान महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा राज्य द्वारा जिला नूंह सहित हर जिले के लिए निष्पादन-परिणाम ढांचे सहित ‘जिला बजट’ विकसित करने की नई पहल की जा रही है। इसमें बजटीय आवंटन, ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों के बाह्य संसाधन राजस्व, जिला खनिज निधि, निगमित सामाजिक दायित्व शामिल और अन्य स्रोत शमिल हैं। यह विश्लेषण हमें विशेष रूप से अपेक्षित क्षेत्रों में आवंटन को बढ़ाने और हर विभाग में आकांक्षात्मक जिले की जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगा। जिला बजट दस्तावेज से अपेक्षा की जाती है कि यह हरियाणा के विजन 2030 को साकार करने के लिए जिला स्तर पर एसडीजी आधारित योजना, बजट, कार्यान्वयन और निश्पादन-परिणाम रूपरेखा तैयार करने में हितधारकों के लिए सुविधाजनक होगा।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुणी करने और उनके सर्वांगीण कल्याण को बढ़ावा देने के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है। कृषि को लाभकारी बनाने, कृषि उत्पादकता बढ़ाने और कृषक परिवारों तथा भूमिहीन कामगारों के भौतिक, वित्तीय और मनोवैज्ञानिक तनावों को कम करने के लिए किसान कल्याण प्राधिकरण का गठन किया गया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि घटते भूजल स्तर को रोकने और टिकाऊ कृषि के लिए नवीन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने तथा किसानों को उत्पादकता और आय बढ़ाने के लिए फसल विकल्प चुनने में सक्षम बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा एक नई ‘फसल विविधीकरण योजना’ (जल ही जीवन है) पर विचार किया जा रहा है। इस योजना के तहत गैर-बासमती क्षेत्र विषेशकर मक्का और अन्य फसलों के 50,000 हैक्टेयर क्षेत्र के विविधीकरण के लिए विभिन्न जिलों के चयनित सात खण्डों की पहचान की गई है। बुवाई के लिए मक्का बीज मुफ्त में उपलब्ध कराने और प्रति एकड़ 2,000 रुपये की सब्सिडी प्रदान करने के अलावा, राज्य सरकार फसल बीमा का खर्च भी वहन करेगी। इस योजना के तहत गैर-बासमती धान के क्षेत्र को मक्का में विविधता लाने से, पानी की कुल 0.71 करोड़ सेमी बचत होने की संभावना है।
उन्होंने बताया कि ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई एक अनूठी योजना है, जिसमें किसानों की फसलों का विवरण एक निर्दिष्ट पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन पंजीकृत किया जा सकता है। फसलों के विवरण के ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा गांवों में स्थित सामान्य सेवा केन्द्रों के ग्राम स्तरीय उद्यमियों द्वारा भी नि:शुल्क दी जाती है। यह जानकारी ई-खरीद पोर्टल से जोड़ी गई है। इसके अलावा, रबी सीजन में पंजीकृत किसानों से सरसों और गेहूं की खरीद भी इस पोर्टल के माध्यम से की जाती है ताकि किसान योजना के तहत लाभ उठा सकें। बेचे गये कृषि उत्पादों के लिए सभी भुगतान ऑनलाइन किए गए हैं। गेहूं की फसल के लिए ऑनलाइन ई-खरीद पोर्टल के माध्यम से 15,023.97 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार सरसों की फसल के लिए 2,16,846 किसानों को 2381.37 करोड़ रुपये का लाभ प्रदान किया गया है। इस समय ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से सूरजमुखी के बीज और काले चने की खरीद प्रगति पर है। उन्होंने बताया कि किसानों को थोक बाजार में उनके उत्पादों के भाव कम होने पर प्रोत्साहन देने हेतु ‘भावांतर भरपाई योजना’ शुरू की गई है। आरंभ में यह योजना चार फसलों प्याज, आलू, टमाटर और फूलगोभी के लिए शुरू की गई है। इसके तहत, 20,346 किसानों की 66,250 एकड़ जमीन पंजीकृत की गई और उन्हें योजना के लागू होने के दूसरे वर्ष में लगभग 9 करोड़ 40 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया था। हरियाणा कृषि-व्यापार एवं खाद्य प्रसंस्करण नीति, 2018 का उद्देश्य राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देना है। इसका उद्देश्य कुशल फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज की स्थापना करके संपूर्ण खाद्य मूल्य श्रृंखला में अधिक से अधिक रोजगार के अवसर सृजित करना है ताकि कृषि और ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा दिया जा सके।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने एक बागवानी विजन तैयार किया है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक राज्य में बागवानी के तहत क्षेत्र को दोगुना करके वर्तमान 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत तक करना और बागवानी उत्पादन को तीन गुना करना है। इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार ने 140 फसल समूहों में 340 ‘बागवानी गांवों’ की घोषणा की है, जिसके लिए फसल विविधिकरण और किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक फसल क्लस्टर विकास कार्यक्रम तैयार किया गया है।
राज्य में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए पुलिस विभाग में मैरिट के आधार पर 13,000 से अधिक पदों पर भर्तियां की गई हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले पौने पांच वर्षों में, हरियाणा ने राज्य के वित्त और बजट के प्रबंधन में महत्वपूर्ण बदलाव करके देश में अग्रणी स्थान प्राप्त किया है। कुछ प्रमुख पहलें हैं- राज्य के भीतर और बाहर सरकारी भूमि/संपत्तियों की पहचान करने के लिए ‘सम्पत्ति प्रबंधन प्रकोष्ठ’ का गठन। सार्वजनिक उपक्रमों, हरियाणा के स्वायत्त निकायों और अन्य राज्य संस्थाओं की अधिशेष निधियों के कुशल प्रबंधन के लिए एक इन-हाउस ट्रेजरी मैनेजर के रूप में कार्य करने हेतु एक नई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी ‘हरियाणा राज्य वित्तीय सेवाएं लिमिटेड’ की स्थापना वित्त मामलों के प्रबंधन के लिए विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों तथा एक या दो प्रमुख बैंकों का संचालन करने वाले स्वायत्त निकाय के बैंक खातों का एकीकरण।
उन्होंने बताया कि पहली बार, सहकारी संघवाद की भावना से, हरियाणा और गुजरात की सरकारों के वित्त विभागों ने वित्त प्रबंधन, वित्तीय सेवाओं और आई.टी. सहयोग के क्षेत्रों में दो राज्य सरकारों के बीच सहयोग को सुविधाजनक तथा सुदृढ़ करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किये। राज्य सरकार ने सरकारी विभागों और सार्वजनिक धनराषि प्राप्त करने वाली ऐसी सभी संस्थाओं की जवाबदेही बढ़ाने के लिए ‘हरियाणा जवाबदेही सार्वजनिक वित्त अधिनियम, 2019’ की शुरुआत की। यह अधिनियम सार्वजनिक वित्तों की जवाबदेही को सुविधाजनक बनाने के लिए एक प्रभावी और कुशल प्रणाली प्रदान करेगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री के विजन को ध्यान में रखते हुए, हरियाणा में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना शुरू की गई है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए नीति आयोग के साथ कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हमने पहले से ही विजन 2030 दस्तावेज तैयार किया है, यू.एन.डी.पी. की सांझेदारी से एसडीजी समन्वय केंद्र स्थापित किया है, स्वर्ण जयंती हरियाणा वित्त प्रबंधन संस्थान संचालित किया है तथा बजट आबंटन संरेखित किया है। इस दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए इस वर्ष राज्य सरकार ने हरियाणा के लिए बजट 2019-20 के तहत प्रत्येक योजना के लिए राष्ट्रीय (एसडीजी) सूचकों के अनुरूप ‘आउटपुट-आउटकम फ्रेमवर्क’ भी शुरू किया है।
उन्होंने बताया कि हरियाणा जीएसटी को अक्षरश: लागू करने में अग्रणी है। राज्य सरकार ने अपने अधिकारियों को ही नहीं, बल्कि विभिन्न हितधारकों जैसे कि डीलरों, उद्योगों, व्यापारिक सहयोगियों आदि को भी प्रशिक्षण प्रदान किया है ताकि वर्तमान करदाताओं को जीएसटी के सुचारू हस्तांतरण की सुविधा मिल सके। हरियाणा में पहले वैट, सेंट्रल एक्साइज और सर्विस टैक्स के तहत पंजीकृत 2.25 लाख डीलर सफलतापूर्वक जीएसटी में स्थानांतरित हो गए हैं। इसके अलावा, राज्य में 31 मार्च 2019 तक 2.29 लाख नए डीलर पंजीकृत किए गए हैं। इस प्रकार, राज्य में पंजीकृत डीलरों की कुल संख्या 4.46 लाख हो गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिसार में एक अंतर्राष्ट्रीय एविएशन हब विकसित किया जा रहा है, जिसमें रखरखाव, मरम्मत और ओवरहालिंग और फिक्स्ड बेस ऑपरेशन सुविधाएं, विमानन प्रशिक्षण केन्द्र, विमानन विश्वविद्यालय और विमानन/रक्षा विनिर्माण पार्क शामिल है तथा यह इसे तीन चरणों में पूरा करने की योजना है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन ‘सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास’ तथा न्यूनतम सरकार-अधिकतम शासन के सिद्धांतों के अनुरूप कार्य कर रही है। राज्य सरकार अपने नागरिकों के सेवा प्रदायगी तंत्र में सुधार लाने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करने में निरंतर प्रयासरत है। इस संदर्भ में कई पहल की गई हैं। राज्य में ‘एकीकृत जन्म पंजीकरण प्रणाली’ लागू की जा रही है, जिसके अंतर्गत जन्म पंजीकरण के साथ-साथ नवजात बच्चों का आधार नामांकन भी किया जाता है। हरियाणा इस तरह की नवीन प्रणाली को विकसित करने और लागू करने वाला देश का पहला राज्य है। ई-जिला परियोजना के तहत, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, गृह, कृषि एवं किसान कल्याण, शहरी स्थानीय निकायों, स्वास्थ्य और राजस्व विभागों की 79 सेवाएं पूरे राज्य में शुरू की गई हैं तथा ये सी.एस.सी., ई-दिशा केंद्रों, पी.एच.सी./सी.एच.सी. के माध्यम से सफलतापूर्वक प्रदान की जा रही हैं।
नीति आयोग की बैठक में बोले सीएम मनोहर लाल : हरियाणा में नागरिकों के लिए उच्चतम ईज ऑफ लीविंग इंडेक्स पर फोकस
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