केबिनेट मंत्री की डिग्री में विरोधाभास : अदालत ने जांच कराने के दिए आदेश

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 डीसीपी स्तर के अधिकारी करेंगे जांच , अगली सुनवाई 29 को
आरटीआई कार्यकर्ता ने सीआरपीसी की धारा 202 के तहत दायर की हुई है याचिका

गुडग़ांव : आरटीआई कार्यकर्ता हरींद्र ढींगरा द्वारा प्रदेश के लोकनिर्माण मंत्री राव नरवीर सिंह की तथाकथित शिक्षा प्रमाण  पत्र की जांच को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट नवीन कुमार की अदालत ने पुलिस आयुक्त को आदेश दिए हैं कि आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों की डीसीपी स्तर के अधिकारी से जांच करा रिपोर्ट आगामी 29 अप्रैल को अदालत में प्रस्तुत करें, ताकि याचिका का निपटारा किया जा सके।

आरटीआई कार्यकर्ता हरींद्र ढींगरा से प्राप्त जानकारी के अनुसार अदालत ने पिछली तारीख पर शिवाजी नगर पुलिस थाना प्रभारी को आदेश दिए थे कि ढींगरा द्वारा सीआरपीसी की धारा 202 के तहत दायर की गई याचिका की जांच कर अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश करें।

ढींगरा का कहना है कि थाना प्रभारी ने अदालत में गत दिवस अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसमें उन्होंने लिखा कि मामले की जांच के लिए 2 अप्रैल को राव नरवीर सिंह को जांच में शामिल होने के लिए लिखा गया था और इसकी सूचना एक अप्रैल को प्रदेश के चीफ इलेक्ट्रॉल ऑफिसर को भी दे दी गई थी, लेकिन जांच में प्रदेश के लोकनिर्माण मंत्री शामिल नहीं हुए। ढींगरा इस मामले की स्वयं ही अदालत में पैरवी कर रहे हैं। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि राव नरवीर सिंह विधायक होने के साथ-साथ प्रदेश सरकार में केबिनेट मंत्री भी हैं। वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर जांच से बच रहे हैं। इसलिए इस मामले की जांच पुलिस के उच्चाधिकारी जो डीसीपी स्तर से कम न हो, उससे कराई जाए, ताकि याचिका का निपटारा हो सके।

अदालत ने याचिकाकर्ता की गुहार को स्वीकार करते हुए पुलिस आयुक्त को आदेश दिए हैं कि याचिका में लगाए गए आरोपों की जांच डीसीपी स्तर के अधिकारी से कराई जाए और थाना प्रभारी को भी आदेश दिए हैं कि वह इस मामले से संबंधित सभी दस्तावेज और अपनी रिपोर्ट
पुलिस आयुक्त द्वारा नियुक्त जांच अधिकारी को सौंप दें, ताकि वह जांच कर अपनी रिपोर्ट अदालत में आगामी 29 अप्रैल को प्रस्तुत कर सकें। 

गौरतलब है कि आरटीआई कार्यकर्ता हरींद्र ढींगरा ने प्रदेश के लोकनिर्माण मंत्री पर तथाकथित आरोप लगाए थे कि राव नरबीर सिंह ने वर्ष 2005, 2009 और 2014 में चुनाव लड़ा और शपथ पत्र दाखिल किए। उन्होंने वर्ष 2005 में शपथपत्र दाखिल किया था कि 10वीं की पढ़ाई 1976 में उन्होंने माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश से उत्तीर्ण की है। वर्ष 2009 के चुनाव में शपथ पत्र दाखिल किया कि उन्होंने 10वीं की परीक्षा बिरला विद्या मंदिर नैनीताल से उत्तीर्ण की है तथा साथ ही वर्ष 1986 में हिंदी साहित्य में स्नातक करने का उल्लेख भी शपथ पत्र में किया था। शैक्षणिक प्रमाण पत्रों में विरोधाभास व भ्रमित जानकारी देने की शिकायत उन्होंने केंद्रीय चुनाव आयोग से भी की थी। आयोग ने उन्हें निर्देश दिए थे कि इस सब की शिकायत अदालत में याचिका के रुप में की जाए, जिस पर ढींगरा ने अदालत का दरवाजा
खटखटाया था।

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