महाराष्ट्र में भी दो नेता हुए भाजपा में शामिल
सुभाष चौधरी
नयी दिल्ली । लोकसभा चुनाव का चुनाव प्रचार अब शुरू ही होने वाला है और सभी राजनीतिक दल एक दूसरे का घर तोड़ने में पूरी ताकत से जुट गए हैं । कभी कांग्रेस के लोग भाजपा के नेताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल हो रहे हैं तो कभी भाजपा कांग्रेस के किसी नेता को तोड़कर अपने खूटे से जोड़ने में कामयाब हो रहे हैं। यह सिलसिला पिछले कई दिनों से लगातार जारी है। शुक्रवार का दिन भाजपा के नाम रहा क्योंकि एक पूर्व क्रिकेटर जबकि कांग्रेस व एनसीपी से एक एक नेता ने कमल का फूल अपने अपने सिर पर बांध लिया।
आज एक पूर्व क्रिकेटर ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली जबकि महाराष्ट्र में भी दो नेताओं ने कांग्रेस का साथ छोड़ कर भाजपा की राह पकड़ने की कसम खा ली। एक दूसरे के का घर तोड़ने का यह फॉर्मूला उन्हें कितनी कामयाबी दिलाएगा यह तो 23 मई को पता चल जाएगा लेकिन राजनीतिक दलों ने सारी नैतिकता को बेरहमी से कुचलने का कुचक्र चल दिया है। मतदाता चुप है, इन गतिविधियों पर उनकी नजर लगी हुई है और आने वाली तिथियों को अपने अपने क्षेत्र में ईवीएम का बटन दबाकर अपना फैसला सुना देगी।
पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर गौतम गंभीर आज भाजपा से जुड़ गए और संभावना जताई जा रही है कि राजधानी की एक लोकसभा सीट से वे आगामी लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार हो सकते हैं। उन्होंने कहा है कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन से काफी प्रभावित हुआ हूं। पूर्व सलामी बल्लेबाज यहां केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और रवि शंकर प्रसाद की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए। गंभीर 2011 विश्व कप और 2007 टी20 विश्व कप में भारत की जीत के सूत्रधार रहे थे और देश में जबरदस्त शोहरत पाई थी । संभव है उन्हें ही नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी के पैरोंकारो को इस बात की उम्मीद लग रही हो कि गौतम गंभीर की शोहरत अब उनके काम आएगी। राजनीतिक गलियारे में चर्चा इस बात की जोरों पर है कि पूर्व क्रिकेटर गंभीर नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र की पिच पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में बैटिंग करेंगे। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि उन्हें हाल ही में पद्मश्री से नवाजा गया है।
अब जबकि गौतम गंभीर खेल की दुनिया से बाहर आकर राजनीतिक दुनिया के राही बनने को तैयार हैं तब विपक्ष की ओर से उन पर हमले होने लाजमी है। संभव है अब यह सवाल भी खड़ा किया जाए कि गौतम गंभीर को वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार ने पद्म पुरस्कार से नवाजा और उसके पीछे खेल की दुनिया में उनका योगदान नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी के साथ अंदर की सांठगांठ का नतीजा था। आने वाले समय में चर्चा के अनुसार गौतम गंभीर अगर नई दिल्ली संसद क्षेत्र या फिर किसी अन्य संसदीय क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरते हैं तो उन्हें विपक्ष के इस आरोप का निशाना भी बनना पड़ेगा। यह सुनने को मिल सकता है कि मोदी सरकार ने गौतम गंभीर को पुरस्कृत कर उन पर अपनी नैया पार कराने के लिए डोरे डाले। आरोपी अभी लगाया जा सकता है कि पुरस्कृत करने के पीछे राजनीतिक डील हुई थी।
भाजपा सूत्रों के अनुसार गंभीर को नयी दिल्ली सीट से उतारा जा सकता है जहां से फिलहाल मीनाक्षी लेखी भाजपा की सांसद है। हालांकि उन्होंने कहा कि अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। माना जा रहा है कि भाजपा नेतृत्व को लगता है कि गौतम गंभीर खिलाड़ी के रूप में नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए परिचित हैं जबकि उनका निवास स्थान भी नई दिल्ली क्षेत्र के तहत राजेंद्र नगर विधानसभा क्षेत्र में अवस्थित है। इसके अलावा गौतम गंभीर पंजाबी समुदाय से आते हैं। पंजाबी समुदाय के मतदाताओं की संख्या नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र में बहुतायत में है। इसलिए उनके पक्ष में हवा बह सकती है जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपनी छवि भी उनके लिए मददगार साबित हो सकती है।भाजपा को उम्मीद है कि गंभीर सिक्सर मारेंगे जबकि क्रिकेट और राजीनीति दोनों ही अनिश्चतता का खेल माना जाता है। दोनों प्रकार के खेलों में रन आउट होने की आशंका प्रबल रहती है।
कहा जा रहा है कि गौतम गंभीर अब तक राजनीतिक जीवन से जुड़े हुए नहीं थे इसलिए उनके साथ कोई एंटी इनकंबेंसी फैक्टर भी काम नहीं करेगा । उन पर विपक्ष के लोग संभवतया यह आरोप नहीं लगा पाएंगे कि उन्होंने फला क्षेत्र में विकास का काम नहीं कराया जबकि भाजपा के पास यह कहने को होगा कि इससे पहले मीनाक्षी लेखी जो भाजपा की यहां से सांसद हैं का टिकट काटकर उन्होंने एक युवा प्रतिभावान और खेल की दुनिया के चमकते सितारे को अपना प्रत्याशी बनाया है । उनका तर्क यह भी हो सकता है कि भारतीय जनता पार्टी नई पीढ़ी के योग्य लोगों को राजनीति में आगे बढ़ाने की हिमायती है।
कयास लगाए जा रहे हैं कि इस संसदीय क्षेत्र से आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के बीच अगर राजनीतिक समझौता हो जाता है तो एक संयुक्त उम्मीदवार उतारा जा सकता है । ऐसे में कांग्रेस और आप के संयुक्त उम्मीदवार को मजबूत टक्कर देने के लिए भाजपा को कोई अपनी मजबूत व्यक्तित्व वाला व्यक्ति चाहिए था जो संभवत गौतम गंभीर के रूप में उन्हें मिला है । हालांकि गौतम गंभीर इस मद में कामयाब होते हैं या नहीं यह तो आगामी 23 मई को पता चलेगा।
कांग्रेस और एनसीपी को झटका
लोकसभा चुनाव 2019 की तारीखों के नजदीक आने के साथ ही नेताओं के पालबदल का दौर बदस्तूर जारी है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को शुक्रवार को उस समय झटका लगा जब पार्टी के प्रदेश इकाई की उपाध्यक्ष भारती पवार भाजपा में शामिल हो गईं।
इसके साथ ही कांग्रेस नेता प्रवीण छेड़ा भी सत्तारूढ़ दल में वापस लौट आए हैं। दोनों नेता प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और अन्य पार्टी पदाधिकारियों की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हुए। इस मौके पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने राज्यसभा सदस्य संजय ककाड़े की कांग्रेस में शामिल होने की खबरों पर कहा कि वह पार्टी में बने रहेंगे।