नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने लोकपाल पर खोजबीन समिति के लिए देश के पहले लोकपाल की नियुक्ति की खातिर नामों के पैनल की अनुशंसा करने की समय सीमा फरवरी के अंत तक निर्धारित की है. खोजबीन समिति के प्रमुख सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस (सेवानिवृत्त) रंजन प्रकाश देसाई हैं.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र को निर्देश दिया कि खोजबीन समिति को आवश्यक सुविधाएं और श्रम बल मुहैया कराया जाए ताकि वह अपना काम पूरा कर सके. पीठ में जस्टिस एल एन राव और जस्टिस एस के कौल भी शामिल थे. मामले की अगली सुनवाई सात मार्च को होगी.
इस मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने प्रशांत भूषण को सलाह दे डाली. अदालत में गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज की तरफ से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने जब वर्किग सर्च कमेटी पर शक किया तो सीजेआई गोगोई ने कहा कि वह सकारात्मक रहें. सीजेआई ने कहा कि चीजों को हमेशा नकारात्मक नजरिए से न देंखें. सकारात्मक पक्ष देखें तो दुनिया और अच्छी नजर आएगी. हम सभी यह कोशिश कर रहे हैं कि दुनिया को और अच्छी जगह बना सकें.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सीजेआई गोगोई ने वकील प्रशांत भूषण को सीख तो दी ही इसके साथ ही उन पर बरसे भी. रिपोर्ट्स के मुताबिक सीजेआई ने प्रशांत भूषण से कहा कि ऐसा लगता है कि आप न्यायाधीशों से ज्यादा जानकार हैं.
केंद्र की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि आधारभूत ढांचे की कमी और श्रम बल जैसी कुछ समस्याएं हैं जिस कारण से खोजबीन समिति मुद्दे पर विचार-विमर्श नहीं कर सकी. सुप्रीम कोर्ट ने चार जनवरी को केंद्र सरकार को लोकपाल की नियुक्ति के लिए अभी तक उठाए गए कदमों के बारे में हलफनामा देने के निर्देश दिए थे. अदालत ने इस बारे में धीमी प्रगति को लेकर नाखुशी जताई थी.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र को निर्देश दिया कि खोजबीन समिति को आवश्यक सुविधाएं और श्रम बल मुहैया कराया जाए ताकि वह अपना काम पूरा कर सके।
पीठ में न्यायमूर्ति एल एन राव और न्यायमूर्ति एस के कौल भी शामिल थे। मामले की अगली सुनवाई सात मार्च को होग।
केंद्र की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि आधारभूत ढांचे की कमी और श्रम बल जैसी कुछ समस्याएं हैं जिस कारण से खोजबीन समिति मुद्दे पर विचार-विमर्श नहीं कर सकी।
उच्चतम न्यायालय ने चार जनवरी को केंद्र सरकार को लोकपाल की नियुक्ति के लिए अभी तक उठाए गए कदमों के बारे में हलफनामा देने के निर्देश दिए थे। न्यायालय ने इस बारे में धीमी प्रगति को लेकर नाखुशी जताई थी।
गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज की तरफ से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि सरकार ने वेबसाइट पर खोजबीन समिति के सदस्यों के नाम तक उजागर नहीं किए हैं। यह संगठन लोकपाल के मुद्दे पर कानूनी लड़ाई लड़ रहा है।
खोजबीन समिति नामों को चयन समिति के पास भेजेगी जिसमें प्रधानमंत्री, सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता, लोकसभा अध्यक्ष और एक प्रमुख न्यायविद शामिल हैं।
केंद्र सरकार ने 27 सितम्बर 2018 को न्यायमूर्ति देसाई की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय खोजबीन समिति का गठन किया था ताकि समिति लोकपाल की नियुक्ति के लिए चयन समिति के पास नामों की अनुशंसा भेज सके।
खोजबीन समिति में अन्य सदस्य हैं — भारतीय स्टेट बैंक की पूर्व प्रमुख अरूंधति भट्टाचार्य, प्रसार भारती के अध्यक्ष ए. सूर्यप्रकाश, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व प्रमुख ए एस किरण कुमार, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश सखा राम सिंह यादव, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख शब्बीर हुसैन एस. खांडवावाला, राजस्थान कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ललित के पंवार और पूर्व सोलीसीटर जनरल रंजीत कुमार।