नई दिल्ली। प्राधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सलेक्शन कमेटी की मीटिंग के बाद सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को हटा दिया गया है। पैनल समिति ने उन्हें हटाने की सिफारिश की थी। इस संबंध में बुधवार की रात बैठक हुई थी। चर्चा है कि उस वक्त फैसला नहीं हो पाया था। गुरुवार को एक बार फिर कमेटी की बैठक हुई जिसमें उन्हें हटाने का फैसला किया गया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 48 घंटे के अंदर उन्हें हटा दिया गया।
बताया जाता है कि आलोक वर्मा को फायर सर्विसेज एवं सिविल डिफेंस का डीजी बनाया गया है। आलोक वर्मा की जगह अंतरिम निदेशक रहे एम नागेश्वर राव को दोबारा अंतरिम निदेशक बनाया गया है। सेलेक्शन कमेटी ने 2-1 से आलोक वर्मा को उन्हें पद से हटाने का फैसला किया।
दूसरी तरफ सेलेक्शन कमेटी के फैसले पर कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि ये बदले की कार्रवाई है। बताया जा रहा है कि सेलेक्शन कमेटी में शामिल लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की तरफ से विरोध नहीं जताया गया।
आलोक वर्मा को हटाए जाने के बाद कांग्रेस की तरफ से ट्वीट किया गया है। कांग्रेस का कहना है कि आलोक वर्मा को हटाए जाने से पहले उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला। इससे साफ है पीएम नरेंद्र मोदी जांच से डर चुके हैं। वो न तो स्वतंत्र एजेंसी से जांच चाहते हैं न ही जेपीसी का सामना करना चाहते हैं।
इससे पूर्व आज दिन में ही ट्वीट कर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस प्रकार के आरोप लगाते हुए कहा था कि रफेल के कारण पीएम आलोक वर्मा को हटाना चाहते हैं।
उल्लेखनीय है कि आलोक वर्मा ने अपने ही जूनियर अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया था।अस्थाना सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर हैं जिन्हें केंद्र सरकार ने छुट्टी पर भेज दिया है।
बताया जाता है कि सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि सीबीआई वसूली का अड्डा बन गयी है।
अब चर्चा इस बात की हो रही है कि आलोक वर्मा सरकार से टकरा रहे थे। उन्होंने इस बार जॉइन करते ही एक दर्जन से अधिक तबादले कर चके थे। उन सभी अधिकारियों को पुनः दिल्ली ले आये जिनका नागेश्वर राव ने तबादला कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि 48 घंटे में वर्मा को हटाया जाना अपने आप में आशंका को मजबूत करता है कि केंद्र सरकार के मुखिया इस बात से डरे हुए हैं कि वर्मा राफेल की जांच का आदेश दें सकते हैं।