— बुद्धिज्म के सहारे दुनिया को दिशा दिखाने की कर रहे वकालत
मुजफ्फरपुर। एक छोटी सी कम्पनी से परवाज शुरू करने वाले औराई प्रखंड के मीनापुर निवासी मेकेनिकल इंजीनियर राजेश कुमार शाही शिपिंग व्यवसाय के क्षेत्र में आज बड़ी हस्ती है। ग्रामीण परिवेश में पले बढ़े व शिक्षा पाए उनकी सोच दिल व दिमाग दोनों से व्यापक है। वे अनुशासन को सर्वोपरि मानते हैं। वे कहते हैं कि अनुशासन मन से, कर्म से ,वचन से व व्यवहार से स्वयं के लिए एवम दूसरों के लिए भी नितांत आवश्यक है। किसी भी कार्य के लिए वह चाहे व्यवसाय हो या फिर शिक्षा ,बिना अनुशासन कोई भी मोर्चा फतह नहीं हो सकता।
उनकी सोच भी समय के हिसाब से ग्लोबल है। वे बुद्धिज्म के हिमायती हैं।उनका साफ मानना है कि सिर्फ दक्षिण पूर्व एशिया के तकरीबन 120 करोड़ बुद्ध के अनुयायी अगर एक साथ मिलजुलकर कार्य करे तो ऐसे में ये लोग विश्व के बांकी देशों को रास्ता दिखा सकते हैं।वर्मा, बैंगकॉक व चीन को ही लें तो इन देशों की विकास दर हमसे कहीं आगे है।उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि बुद्ध को असली ज्ञान अपने यहां मिला लेकिन हमसभी उनके आदर्शों को मूलतः नहीं अपना सके लेकिन अन्य देश बुद्धिज्म को लेकर काफी विकसित हो चुके हैं और हो भी रहे हैं।
दर्जनों देशों का भ्रमण कर चुके श्री शाही ने भारत के संदर्भ में कहा कि यहां अनुशासन का घोर अभाव है।विदेशों में सजा कठिन है। कानून भी सख्त है।नतीजा वहां अपराध भी कम है।
एक उदाहरण के जरिये उन्होंने खुलासा किया कि जापान में 25 मिनट विलम्ब से ट्रेन आयी तो एक बार वहां के रेल मंत्री ने आवाम से मांफी मांगी। अपने भारत में ,काश, यह दिन कब देखने को मिलेगा ?
— लीडरशिप एक्सीलेंस अवार्ड मिला
25 नवम्बर 18 को इंस्टिट्यूट ऑफ इकोनॉमिक स्टडीज ( आई ई एस ), नई दिल्ली द्वारा बैंगकॉक,थाईलैंड में आयोजित इंटरनेशनल इकोनॉमिक समिट में राजेश कुमार शाही को इंटरनेशनल लीडरशिप इनोवेशन एक्सीलेंस अवार्ड से नवाजा गया एवम गोल्ड मेडल भी दिया गया।इनकी कम्पनी ग्लोरी शिप मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड, मुम्बई को भी खिताब मिला।श्री शाही इस कम्पनी के व्यवस्थापक निदेशक हैं।
यह पुरस्कार थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री कॉर्न डब्बारान्सी ,राजकुमारी इसाबेले लफ्फोरगे एवम जेनरल ऑफ थाईलैंड जे0 फटसोरन इस्सरनगकुर ने संयुक्त रूप से उन्हें प्रदान किया।
इसके पूर्व भी इन्हें गत मई माह में भी दुबई में ग्लोबल आउटस्टेंडिंग लीडरशिप अवार्ड मिल चुका है। गत वर्ष भी विदेशों में इसी तरह के दो अन्य पुरस्कारों से शाही को सम्मानित किया जा चुका है। 28 सालों का शिपिंग के क्षेत्र में उनका बेजोड़ अनुभव है। सिंगापुर में भी उन्होंने वर्षो तक अपने ज्ञान कौशल का जौहर दिखा चुके हैं। फिलहाल वे इंडियन कोस्टल कांफ्रेंस शिपिंग एसोशिएशन ( आई सी सी एस ए ) के निर्वाचित सदस्य हैं। साथ ही आई सी सी एस ए के पोर्ट्स एन्ड ऑफशोर की उपसमिति के अध्यक्ष भी हैं।
—जनसरोकारों में भी अगुआ
ऐसा भी नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय पटल पर बुलन्दी का झंडा गाड़ चुके स्व0 रामदेवन शाही व स्व0 रामपुकारी देवी के पुत्र श्री शाही अपनी जन्मभूमि को भूल चुके हैं। तिरहुत का लाल विदर्भ से ही अपने गांव जवारी का भरपूर ख्याल रखते हैं। वे मीनापुर में अपने पैतृक आवास पर मैन-पिता की याद में एम्बुलेंस की व्यवस्था कर दिए हैं। जरूरतमंद को इसकी निःशुल्क सेवा दी जा रही है। सेवा देने के लिये 24 घण्टे चालक मुस्तैद रहते हैं।सारा खर्च श्री शाही ही अपने स्तर से वहन कर रहे हैं। इसके अलावा प्रत्येक साल वे छठ पूजा के अवसर पर पांच सौ धोती व साड़ी का वितरण करते हैं।
— बहुमुखी प्रतिभा के हैं धनी
अपने गांव मीनापुर में छठी तक पढ़ने वाले शाही ने 10वी पूसा, समस्तीपुर से की और 12वी इलाहाबाद से। एनआईटी, राउरकेला से मेकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद श्री शाही ने आई आई एम , अहमदाबाद से लॉजिस्टिक मैनेजमेंट भी किया। फेरीबी मैरीन , सिंगापुर से इंटरनेशनल सेफ्टी मैनेजमेंट करने के बाद उन्होंने इंडो यूरोपियन वर्कशॉप ऑफ मैनेजिंग स्ट्रेटेजिक अलायन्स का भी नेतृत्व किया। इसके अलावा उन्होंने ढेर सारे कोर्सेज को पूराकर अपनी माटी का नाम रौशन कर रहे हैं।