खेल से ही चरित्र का निर्माण तथा चरित्र से ही राष्ट्र का निर्माण संभव है : मुकेश डागर
गुरुग्राम । “स्कूल गेम फैडरेशन ऑफ़ इंडिया” के तत्वावधान में ताऊ देवी लाल स्टेडियम, गुरुग्राम में विभिन्न खेलों का आयोजन किया गया। इसमें जिले के दर्जनों सरकारी व निजी स्कूलों के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। इसमें भिन्न भिन्न प्रकार की दौड़ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आयोजित रिले रेस बालिका वर्ग अण्डर १९ ( ४ × ४०० मीटर ) में शिवानी गुप्ता, दीपिका रतूड़ी, कृतिका तथा अदिति ने जीत हासिल कर रॉकफोर्ड कान्वेंट ने राज्य स्तर पर नामांकन हासिल कर गुरुग्राम जिला का नाम रोशन किया, साथ ही अपने स्कूल की प्रतिष्ठा में चार चांद लगाया।
उल्लेखनीय है कि रोकफोर्ड कान्वेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल के बच्चे शिक्षा ही नहीं अलग अलग प्रकार की खेल प्रतियोगिता हो या कला व संगीतबका क्षेत्र नियमित रूप से प्रतिभागी बनते हैं और अपनी धाक भी जमाते रहे हैं। प्रति। वर्ष अंतर स्कूल या फिर जिला व राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में विजय हासिल करना इस स्कूल के विभिन्न वर्गों के बच्चों के लिए अनिवार्य अंग बन गया है। इसी कड़ी में स्कूल गेम फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में रिले रेस में अपना दमखम दिखाते हुए इतिहास रचा दिया। इस बात का प्रमाण इस स्कूल के रिसेप्शन और कॉरिडोर में सजे दर्जनों ट्रॉफी व शील्ड को देख कर मिलता है। इस नजारे को देख कर यहां पढ़ने वाले हर छात्र व छात्राओं को अनायास ही प्रोत्साहन मिलता है और वे अपने स्कूल व माता पिता के लिए कुछ कर गुजरने को तत्पर रहते हैं। इसका ही नतीजा है कि रिले रेस बालिका वर्ग अण्डर १९ ( ४ × ४०० मीटर ) में इस स्कूल की छात्रा शिवानी गुप्ता, दीपिका रतूड़ी, कृतिका तथा अदिति ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ दिया और स्कूल का नाम रोशन किया।
जाहिर है यह जीत स्कूल के मैनजमेंट के लिए भी एक बड़ी उपलब्द्धि है। इस जीत को निरंतर जारी रखने की मंशा से ही स्कूल के निदेशक मुकेश डागर कहते हैं कि “खेल से ही चरित्र का निर्माण तथा चरित्र से ही राष्ट्र का निर्माण संभव है” इसलिए हमारे स्कूल में इस सूत्र को आधार मान कर काम किया जाता है। इन शब्दों के साथ स्कूल के संचालक मुकेश डागर तथा प्रबंधक नीता डागर ने स्कूल के खेल अध्यापकों मंजीत भारद्वाज, मांगे राम तथा मनीषा यादव एवं उनकी टीम को इस उपलब्द्धि के लिए बधाई दी। सभी स्कूल के बच्चे की खेल प्रतिभा को उभारने व निखारने में लगे रहते हैं। उनमें खेल के प्रति जूनून है और खेल को ही अपना लक्ष्य मानते हैं।
श्री डागर ने कहा कि खेल व्यक्ति को सर्वांगीण विकास के लिए तैयार करता है। क्योंकि अनुशासन व लक्ष्य को हासिल करना खेल का मूल मंत्र है। बच्चों को इस बात को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि खेल अब केवल खेल नहीं रहा बल्कि यह एक स्थापित प्रोफेशन है जिसके सहारे आप दुनिया में स्थापित ही सकते हैं और कभी न मिटने वाला नाम भी हासिल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिये जुनून चाहिए जिससे आप अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी की श्रेणी में खड़े हो सकते हैं।
स्कूल की प्राचार्या रेनू चौहान ने भी बच्चों के जोश को देखते हुए उनका उत्साह वर्धन किया तथा अंतर्राष्ट्रीय धाविका पी. टी उषा की याद दिलाते हुए अपने कुछ अनुभव उनके साथ साझा किया । उन्होंने उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।