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जोधपुर : पुलिस व प्रशासन यदि पूरी दृढ़ता से जेजे एक्ट की पालना कराए तो तम्बाकू की बिक्री व सेवन पर अंकुश संभव है। इस कार्य में मीडिया की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। यह बात शनिवार को एक होटल में आयोजित मीडिया वर्कशॉप में उभर कर सामने आयी। टाटा ट्रस्ट एवं संबंध हैल्थ फाउंडेशन , गुडग़ांव की ओर से ‘टोबेको फ्री राजस्थान’ अभियान के तहत आयोजित मीडिया वर्कशॉप में वॉयस ऑफ टोबेका विक्टिम (वीओटीवी), राजस्थान के स्टेट पैटर्न व सवाई मान सिंह हस्पताल, जयपुर के हैड-नेक कैंसर विशेषज्ञ प्रोफसर डॉ. पवन सिंघल, एम्स, जोधपुर के ईएनटी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अमित गोयल, संबंध हैल्थ फाउंडेशन(एसएचएफ), गुडग़ांव के ट्रस्टी संजय सेठ, वीओटीवी की डायरेक्टर आशिमा सरीन ने तम्बाकू के दुष्प्रभावों व उनकी रोकथाम के बारे में विचार रखे।
सवाई मान सिंह हस्पताल, जयपुर के हैड-नेक कैंसर विशेषज्ञ प्रोफसर डॉ. पवन सिंघल ने गेट्स सर्वे की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि तम्बाकू जनित रोगों से भारत में हर साल करीब साढ़े 13 लाख लोगों की मौत हो जाती है। देश में 26.7 करोड़ लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं, जो कि बेहद चिंताजनक बात है। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि देश में हर रोज करीब 5500 बच्चे किसी न किसी रूप में तम्बाकू का सेवन करना शुरू करते हैं , जबकि उनमें से केवल 3 फीसदी ही इसे छोड़ पाते हैं। डॉ. पवन ने कहा कि इस बुरी लत से बच्चों को बचाया जा सकता है, बशर्ते मीडिया अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए पुलिस-प्रशासन को इसके दुष्प्रभावों को इंगित करे।
एम्स जोधपुर के ईएनटी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अमित गोयल ने कहा कि तम्बाकू में हजारों तरह के हानिकारक तत्व होते हैं, इसके बावजूद इस पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाने को लेकर पॉलिसी मेकर गंभीर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि तम्बाकू से होने वाली बीमारियों के उपचार पर देश में सालाना एक लाख चार हजार 500 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। उन्होंने धुम्रपान के दुष्प्रभाव बताते हुए कहा कि इससे पैरों की बीमारी होती है जिससे कई बार रोगी का रोगग्रस्त पैर ही काटना पड़ता है। डॉ. गोयल ने कहा कि तम्बाकू व धुम्रपान से शारीरिक नुकसान तो होता ही है, साथ ही भूमि व पर्यावरण पर भी विपरीत असर पड़ता है। जिस भूमि में तम्बाकू की खेती होती है उसमें अन्य किसी भी प्रकार की फसल नहीं हो पाती है। उन्होंने गेट्स सर्वे-2 में राजस्थान कि स्थिति को स्पष्ट करते हुए बताया कि प्रदेश में तम्बाकू के सेवन से करीब 77 हजार लोगों की मौत हो जाती है। तम्बाकू जनित रोगों के उपचार पर राजस्थान में हर साल 1165 करोड़ खर्च हो रहे हैं, ऐसे में यदि तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया जाए तो लाखों जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।
संबंध हैल्थ फाउंडेशन(एसएचएफ), गुडग़ांव के ट्रस्टी संजय सेठ ने ‘एमपावर’ व कोटपा एक्ट-2013 के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। उन्होंने कहा कि जेजे एक्ट व कोटपा एक्ट की यदि प्रभावी रूप से अनुपालना हो जाए तो तम्बाकू के सेवनकर्ताओं में कमी लायी जा सकती है। इसके लिए पुलिस, प्रशासन, शिक्षा व हैल्थ विभाग को अपनी जिम्मेदारी पूरी संजीदगी से निभानी होगी। आसिमा शरीन ने वीओटीवी की कार्ययोजना के बारे में बताया। इस दौरान तम्बाकू के सेवन से कैंसर से ग्रसित हो चुके पीडि़तों ने अपनी पीड़ा साझा की। अंत में उपस्थितजनों ने तम्बाकूमुक्त राजस्थान अभियान में अपना योगदान देने का संकल्प लिया। कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. भवानी सिंह ऐरन, डॉ. विजय कुमार ने भी अपने विचार रखे।
फैक्ट फाइल
ग्लोबल एडल्ट टोबेका सर्वे (गेट्स) 2016-17 के मुताबिक राजस्थान में 15 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के 5 करोड़ 10 लाख लोग हैं, जिनमें से 24.7 फीसदी यानी एक करोड़ 20 लाख लोग तम्बाकू जनित उत्पादों का सेवन करते हैं। इनमें 2.8 प्रतिशत अर्थात् 14 लाख लोग सिगरेट, 11.4 फीसदी यानी 58 लाख लोग बीड़ी, जबकि 14.1 फीसदी यानी 72 लाख लोग तम्बाकूजनित पदार्थों का सेवन करते हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में हर साल तम्बाकू से होने वाली बीमारियों की वजह से करीब 77 हजार लोगों की मौत हो जाती है। यदि देश व विश्व के संदर्भ में बात करें तो भारत में 13 लाख 50 हजार लोगों की तम्बाकू से होने वाले कैंसर से मौत होती है, जबकि विश्व में सालाना छह मिलियन लोगों की इस बीमारी से मौत हो जाती है।
‘प्लेज फॉर लाइफ’ कैंपेन
बच्चों को तम्बाकू की लत से बचाने के लिए ‘प्लेज फॉर लाइफ’ कैंपेन के माध्यम से देशभर में अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत स्कूली बच्चों को तम्बाकू के दुष्प्रभावों की जानकारी देकर उनसे भविष्य में किसी प्रकार के तम्बाकू उत्पादों का सेवन न करने की शपथ दिलाई जाएगी।