नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को चीन के वुहान पहुंचे. यहां वह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अनौपचारिक शिखर वार्ता में हिस्सा लेंगे. बताया जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच कम से कम 5 दौर की बातचीत होने की संभावना है. इस यात्रा के बारे में प्रधानमंत्री ने स्वयं ट्वीट कर बताया है कि इस बैठक में रणनीतिक और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष में चीन भारत संबंध संबंधों की समीक्षा होगी.
पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि राष्ट्रपति जिनपिंग और उनके साथ द्विपक्षीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के कई मुद्दों पर विचार विमर्श होगा. प्रधानमंत्री ने बताया है कि दोनों ही देशों के नेता आने वाले भविष्य की दृष्टि से अंतर्राष्ट्रीय स्थिति के परिप्रेक्ष में अपने अपने देश के विकास को ध्यान में रखते हुए अपनी प्राथमिकताओं पर चर्चा करेंगे.
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी शंघाई का दौरा किया था. उन्होंने मंत्रिस्तरीय बैठक में हिस्सा लिया था. समझा जाता है कि उन दोनों मंत्रियों का यह दौरा अंतरराष्ट्रीय संगठनों की बैठक में भाग लेने के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच होने वाली शिखर वार्ता की पृष्ठभूमि तैयार करना भी था.
खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 और 28 अप्रैल को वुहान में चीन के राष्ट्रपति के साथ बैठक करेंगे. गौरतलब है कि दोनों देशों के प्रमुखों की यह शिखर वार्ता डोकलाम विवाद के बाद हो रही है. दुनिया के देशों की नजर इन दोनों नेताओं की बैठक पर लगी हुई है. दो ध्रुवीय दुनिया में आज विकसित देशों में सर्वाधिक संख्या भारत के पक्ष में है जबकि पाकिस्तान और रूस का झुकाव चीन के साथ है. हालांकि रूस भारत का कई दशकों से मित्र राष्ट्र है. रक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच में गठबंधन है बावजूद इसके हाल के वर्षों में रूस का मूक झुकाव पाकिस्तान की ओर और चीन की ओर भी होने के संकेत मिलते रहे हैं. दोनों नेताओं की बातचीत के बाद होने वाली प्रेस ब्रीफिंग या संयुक्त प्रेस बयान में क्या निकल कर आता है इस पर दुनिया की नजरें टिकी रहेगी.