गुरुग्राम के पेडमैन के सहयोग से स्कूलों में छात्राओं की हेल्थ पर काम करना चाहता है शिक्षा विभाग 

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गणतंत्र दिवस समारोह में निस्वार्थ कदम संस्था के अध्यक्ष  के सामने शिक्षा मंत्री रामबिलास ने रखा प्रस्ताव 

 
गुरुग्राम के पेडमैन के सहयोग से स्कूलों में छात्राओं की हेल्थ पर काम करना चाहता है शिक्षा विभाग  2गुरुग्राम : अपने लिए जिये तो क्या जिये – तू जी अ-दिल जमाने के लिए …। जीने की यही कला 16 साल अमेरिका में रहने के बाद वापिस स्वदेश लौटकर आए गुरुग्राम जिले के गांव घामडोज के प्रमोद राघव पिछले कुछ सालों से अपने देशवासियों को सिखा रहे हैं। एक हजार कर्मचारियों की कंपनी चलाने वाले प्रमोद राघव चाहते तो अमेरिका में ही रहते और अपने बिजनेस को नई ऊंचाईयों पर ले जाते, लेकिन अपने देश और यहां के जरूरतमंद लोगों के लिए कुछ करने की टीस ने उन्हें वहां रहने ही नहीं दिया। प्रमोद राघव की यह टीस ही है कि उन्होंने  नि:स्वार्थ कदम से एक सामाजिक संस्था बनाकर अन्य कार्यों के साथ साथ बड़े स्तर पर ग्रामीण महिलाओं के स्वस्थ के लिए कार्य किया।   उन्होंने पदम् श्री अरुणाचलम मुरगन (जिनपर अब पैडमैन फिल्म बन रही है ) से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की और फैसला लिया कि निस्वार्थ कदम संस्था हरियाणा के ग्रामीण महिलाओ को न केवल रोज़गार देगी बल्कि गाँव की महिलाओं को  सेनेटरी पेड के प्रति जागरूक करते हुए उन्हें ये मुहैया भी कराएगी। इसके बाद स्कूल की छात्राओं से लेकर ुरुग्राम की कम्पिनों में काम करने वाली जरुरतमंद महिलाओं को ये वितरित की जा रही है।   
 
 राष्ट्रपति द्वारा गोद लिए गांव दौहला में आपकी सखी नाम से सेनेटरी नेपकीन केन्द्र स्थापित किया गया है,  ताकि यहां कि ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मिले और महिलाएं ही सेनेटरी नेपकीन बनाकर ग्रामीण महिलाओं को उपलब्ध कराएं ताकि वे स्वस्थ्य रह सकें। इससे अनेक विधवा और गरीब ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मिला हुआ है। निःस्वार्थ कदम संस्था से जुड़ी टीम लगातार न केवल इन सेनेटरी नेपकिन्स के प्रयोग के प्रति गाँवों व कंपनियों में जागरूकता प्रोग्राम कर रही है बल्कि जरूरतमंद महिलाओं को ये निःशुल्क वितरित भी की जा रही है। संस्था के अध्यक्ष प्रमोद राघव के मुताबिक ग्रामीण महिलाओं में सेनेटरी नैपकिन के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि कुछ कम्पनियाँ सैनेटरी नैपकिन्स  अपनी महिला कर्मचारियों के लिए खरीद रही हैं उन्हें मात्र  18  रूपए में 6 पीस वाला पैकिट उपलब्ध कराया जा रहा है ,  जो की लागत रेट से भी कम है।  ये पेड बड़ी संख्या में  गरीब महिलाओं को निशुल्क उपलब्ध कराइ जा रही है।
 
इतने बड़े स्तर पर महिलाओं के हेल्थ पर काम करने  पर सरकार ने 26  जनवरी के समारोह में निस्वार्थ कदम के अध्यक्ष प्रमोद राघव और इस कार्य में उनका साथ देने वाले संस्था के महा सचिव अरविन्द सैनी को सम्मानित किया गया।  रामबिलास शर्मा ने सम्मानित करते हुए संस्था के अध्यक्ष व् महासचिव को कहा कि जल्दी ही निस्वार्थ कदम संस्था द्वारा बनाई जा रही  सेनेटरी नेपकिन  स्कूलों में छात्राओं को वितरित किये जाने की योजना पर काम करेंगे। संस्था के अध्यक्ष प्रमोद राघव ने भी शिक्षा मंत्री द्वारा स्कूलों में सेनेटरी नेपकिन बांटे जाने के कार्यक्रम में निस्वार्थ कदम संस्था को जोड़े जाने की योजना का स्वागत किया है। 
 
 

यहाँ काम करने वाली महिलाओं से बात 

 
—–पति की मौत के बाद अपने माता – पिता के पास रहने वाली रीना ने बताया कि  वह अपने माता पिता पर बोझ नहीं बनना चाहती थी , ऐसे में निस्वार्थ कदम संस्था ने उन्हें घर के पास गांव में ही सैनेटरी नैपकिन केंद्र में काम दिया।  उसे संस्था ने  न केवल रोज़गार मिला बल्कि अपने जैसी ग्रामीण महिलाओं को सैनेटरी नेपकिन का हेल्थ में महत्व बताने का समाजहित का कार्य भी संतुष्टि दे रहा है।  रीना के मुताबिक अमेरिका से आकर प्रमोद राघव ने सच में उन जैसी अनेक ग्रामीण महिलाओं में जागरूकता और समाज के लिए काम करने का जज्बा भरा है।  मैं  अपने बच्चों के साथ खुश हूं  
 
—  शादी शुदा निशा का कहना है कि गांव में सैनेटरी नैपकिन केंद्र स्थापित होने से पहले उन्हें ही नहीं पता था कि सैनेटरी नैपकिन का क्या महत्व है।  लेकिन निस्वार्थ कदम का  आपकी सखी सैनेटरी नैपकिन्स केंद्र न केवल उसे बल्कि सैंकड़ों ग्रामीण महिलाओं को मुश्किल दिनों में सैनेटरी पेड का प्रयोग करने के लिए जागरूक करने में कामयाब हुआ है।  
 
—यहाँ काम करने वाली लगभग 45 वर्षी बबिता भी अब इस बात को लेकर खुश है कि गांव में ही रोज़गार और हेल्थ मिले हैं।  उसके अनुसार उसने कभी सैनेटरी नैपकिन का नाम भी नहीं सुना था कि ऐसी चीज भी होती है।  लेकिन अब  उसे यह पता भी है और वह ये दूसरों को बता भी रही है।   

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