बाजार तक पहुंच बढ़ाने की योजना में ट्राईफेड

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नई दिल्ली : जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम ट्राईफेड जनजातीय कला और शिल्प को प्रोत्साहन देता है तथा देश के जनजातीय शिल्पकारों के कल्याण का काम करता है।इस दिशा में ट्राईफेड ने जनजातीय उत्पादों की बिक्री बढ़ाने की योजना तैयार की है, जिसके तहत कई कदम उठाए जा रहे हैं। ट्राईफेड हस्तनिर्मित उत्पादों को बेचने के लिए आउटलेट खोलने की दिशा में काम कर रहा है। उसने नई दिल्ली के 9, महादेव रोड पर ‘ट्राइब्स-इंडिया’ नामक आउटलेट खोला है। यह आउटलेट अप्रैल, 1999 को खोला गया था।

इसी तरह देशभर में 42 खुदरा आउटलेट खोले गए हैं जिसमें से 29 ट्राईफेड के अपने हैं और 13 आउटलेट राजस्तरीय संगठनों के सहयोग से चलाए जा रहे हैं। इन आउटलेटों में जनजातीय धातु-शिल्प, कपड़े, जनजातीय आभूषण, जनजातीय चित्रकारी, बेंत और बांस के उत्पाद, टेराकोटा और पत्थर के बर्तन, जैविक और प्राकृतिक खाद्य उत्पाद उपलब्ध हैं।

ट्राईफेड प्रदर्शनियों और जनजातीय हस्तशिल्पी मेलों का भी आयोजन कर रहा है। इनमें आदिशिल्प और आदिचित्र प्रमुख हैं। आदिचित्र प्रदर्शनी का आयोजन 2010 से किया जा रहा है, जिनमें मध्यप्रदेश की गोंड, ओडिशा की सावरा, महाराष्ट्र की वर्ली और गुजरात की पिथोरा चित्रकारी के प्रदर्शन और बिक्री की व्यवस्था की जाती है। इसी प्रकार भारत व्यापार संवर्धन संगठन और हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद के जरिये अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भी ट्राईफेड भाग लेता है।

बाजार तक पहुंच बढ़ाने के लिए ट्राईफेड ने नए कदम उठाए हैं। इनमें फ्रेंचाइजी आउटलेट के जरिये बिक्री योजना प्रमुख रूप से शामिल है। इसके तहत ट्राईफेड फ्रेंचाइजी जरूरत के मुताबिक माल देगा और फ्रेंचाइजी ट्राईफेड द्वारा तय किए गए खुदरा मूल्य पर उत्पादों को बेचेगा। समस्त उत्पादों पर ‘ट्राइबल क्राफ्ट मार्क’ के रूप में होलोग्राम इत्यादि लगाए जायेंगे। इसी तरह ‘युवा उद्यमी विकास कार्यक्रम’ के जरिये बिक्री को प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके तहत युवा सेल्स-ब्वॉय/गर्ल्स के जरिये इन उत्पादों को घर-घर बेचा जाएगा। ई-व्यापार प्लेटफार्मों के जरिये भी जनजातीय उत्पादों को बेचने की योजना बनाई गई है।

बिक्री के लिए मोबाइल वैन भी लगाई जायेंगी, ताकि घर-घर जाकर जनजातीय उत्पादों को बेचा जा सके। इसके अलावा त्योहारों के दौरान जनजातीय उत्पादों को प्रोत्साहन देने के लिए उन्हें छूट पर उपलब्ध कराया जाएगा।

जनजातीय उत्पादों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रचार अभियान भी चलाया जाएगा। इसके तहत पोस्टर, बैनर, पर्चे, मोबाइल वैन, स्थानीय टीबी चैनलों इत्यादि की मदद ली जाएगी। यूट्यूब, फेसबुक और गुगल जैसे वेब आधारित माध्यमों का भी उपयोग किया जाएगा।

Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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