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महिला थाना नूंह की एक भी रिर्पोट नहीं है, ऑनलाइन
सुविधा के लिए सीएम द्वारा 2015 में की गई थी, हरसमय वेब पोर्टल लांच
यूनुस अलवी/ शाहिद मेवाती
मेवात। प्रदेश सरकार के पुलिस को हाईटेक करने के दावों की हवा निकलती नजर आ रहीं है। शुरू की गई पुलिस पोर्टल “हरसमय “के समय पर अपडेट नहीं होने के कारण लोगों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है। नूंह पुलिस इस मामले में फिसडी साबित हो रहीं है। जिले के विभिन्न थानों के अंतर्गत दर्ज होने वाले मामलों की एफआईआर पर समय पर अपडेट नहीं हो रही। मजबूरन लोगों को थानों में जाकर एफआईआर की कॉपी लेनी पड़ रही है। जिला मुख्यालय नूंह पर स्थित एक मात्र महिला थाने की हालत तो बेहद खराब है। थाना शुरू होने के दो साल बाद एक भी रिर्पोट आजतक ऑनलाइन नहीं हो पाई है। जिसके चलते पोर्टल हरसमय दिखावा बनकर रह गई है। लोगों ने पुलिस अधीक्षक से पोर्टल को समय पर अपडेट करने की फरियाद की है।
प्रदेश के थानों के चक्कर काटने से निजात दिलाने के लिए सीएम मनोहर लाल खटटर द्वारा जनवरी 2015 में हरसमय वेब पोर्टल लांच की गई थी। जिससे ऑनालाइन एफआइआर दर्ज करने सहित मुकदमों का रिकार्ड देखने की सुविधा प्रदान की गई थी। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता से योजना का लाभ पीड़ितों को नहीं मिल पा रहा है। एफआईआर समय पर इंटरनेट पर अपलोड ना होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एफआईआर की कॉपी के लिए मजबूरन लोगों को थानों में जाकर पुलिस कर्मियों की मिन्नतें करनी पड़ रहीं है। यहां बताना जरूरी है की हरसमय वेब पोर्टल पर थानों में दर्ज होने वाले मुकदमों को 24 घंटे के अंदर ऑनलाइन करना होता है। ताकि पीड़ित बिना थाने के चक्कर काटे मुकदमे की कापी ऑनलाइन प्राप्त कर सके और विभागीय उच्च अधिकारियों को समय पर क्राइम की रिर्पोट मिल सके। लेकिन सरकार की इस मंशा पर लापरवाह कर्मचारी पानी फेरने में जुटे हैं।
आनलाईन प्रक्रिया बनी दिखावाः यदि मुकदमों की बात करें तो महिला थाना नूंह में एक भी एफआईआर को अब तक आनलाइन नहीं किया गया है। नगीना व बिछोर थाने में 16 व 11 अगस्त के बाद एफ आई आर ऑन लाईन नहीं है। जबकि इसके बाद उपरोक्त थाने में कई मुकदमें दर्ज हो चुके हैं। बाकी थानों की स्थिति भी ऑनलाईन मामले में ठीक नहीं है।
अधिवक्ता नूरूदीन नूर, रमजान चौधरी, दीपक सतीजा व धर्मकिशोर का कहना है की अक्सर देखा गया है की आरोपी पक्ष को बार बार थानों के चक्कर काटने पर समय पर एफआईआर नहीं मिल पाती है। जिसके कारण वह अपनी अग्रिम जमानत तक नहीं लगा सकता है। इसके चलते उसे अपने अधिकार से वंचित होना पडता़ है। रिर्पोट ऑनलाइन नहीं होने के कारण वह भी नकल नहीं निकाल पाते है। ऐसी स्थिति में आरोपी पक्ष को परेशान होना पड़ता है।
नूंह पुलिस अधीक्षक नाजनीन भसीन का कहना है की उनके संज्ञान में अमर उजाला संवाददाता के बात करने पर यह मामला सामने आया है। इसमे कहा खामी है, उसका पता कर शीघ्र सभी थानों में दर्ज मामलों को ऑनलाइन कराया जायेगा। अगर भविष्य में कोताही पाई गई तो लापरवाही बरतने वाले कर्मचारी के विरूद्व कड़ी कार्रवाई होगी।