केंद्रीय नवीकरणीय उर्जा विभाग सूक्ष्म जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना में करेगी मदद

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चंडीगढ़, 31 अगस्त- नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना हेतु प्रतिस्पर्धी बोली पर केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के हाल के स्पष्टीकरण से हरियाणा में नई नहरों पर अज्ञात स्थलों के लिए सूक्ष्म जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना में मदद मिलेगी।
हयिाणा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि ऐसी विद्युत परियोजनाओं की स्थापना के लिए अब प्रोजेक्ट डेवलपर उपयुक्त स्थल चिन्हित कर सकेंगे। वे हरियाणा नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (हरेडा) के पास विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के साथ प्रस्ताव जमा करवा सकते हैं और इसके बाद, इन परियोजनाओं के लिए दरें बिजली अधिनियम, 2003 की धारा 62 के तहत हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग द्वारा निर्धारित की जाएंगी।

उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि जब तक केंद्र सरकार द्वारा नेशनल टेरिफ पॉलिसी, 2016 के अनुसार बिजली की खरीद हेतु प्रतिस्पर्धी बोली के लिए दिशानिर्देश निर्धारित नहीं किए जाते तब तक नवीकरणीय विद्युत परियोजनाओं की स्थापना के लिए प्रतिस्पर्धी बोली की आवश्यकता नहीं है।

उन्होंने बताया कि राज्य नवीकरणीय ऊर्जा नीति में स्वंतत्र बिजली उत्पादकों द्वारा, उनके द्वारा चिह्निïत स्थल पर नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना का प्रावधान है। इसके लिए, वे विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के साथ हरेडा को अपने प्रस्ताव जमा करवा सकते हैं और विस्तृत परियोजाना रिपोर्ट के अनुमोदन के बाद अपनी परियोजनाओं की बिजली स्टेट ग्रिड को बेचने के लिए दरों के निर्धारण हेतु हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग के समक्ष याचिका दायर कर सकते हैं। परन्तु नेशनल टेरिफ पॉलिसी, 2016 में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से राज्यों द्वारा प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से बिजली की खरीद पर विचार किया गया है। इससे स्वतंत्र बिजली उत्पादकों में भ्रम पैदा हो गया है क्योंकि उनके द्वारा चिह्निïत स्थल पर कोई भी बोली नहीं दे सकता। इसलिए, हरेडा ने इस संबंध में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय से स्पष्टीकरण मांगा था।

प्रवक्ता ने बताया कि अब मंत्रालय से स्पष्टीकरण मिल गया है, जिसके तहत यह बताया गया है कि केंद्र सरकार द्वारा प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा की खरीद हेतु दिशा-निर्देश शीघ्र ही अधिसूचित किए जाएंगे। तब तक ऐसी परियोजनाएं बिजली अधिनियम, 2003 की धारा 62 के मौजूदा प्रावधानों के तहत स्थापित की जा सकती हैं, जिसके अंतर्गत दरों का निर्धारण राज्य विद्युत विनियामक आयोग द्वारा किया जाएगा।

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