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: दूसरे जिलों से एक-एक महिना के लिऐ उधार में कर्मचारी मंगवाकर काम चलाया जा रहा है
: मलेरिया के मामले में प्रदेश में मेवात इलाका अतिसंवेदनशील है
: मलेरिया की वजह से हर साल दर्जन भर मौत हो जाती हैं
यूनुस अलवी
मेवात: मलेरिया ने मेवात जिला में अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। जिले में 18 जुलाई तक 903 मलेरिया के मामले सामने आ चुके हैं। गत वर्ष की अपेक्षा अभी तक आधे ही मामले है लेकिन मलेरिया आगे-आगे अपना कहर बरपा सकता है। मलेरिया की चपेट में सबसे ज्यादा पुन्हाना खंड और नूंह खंड की उजीना पीएचसी क्षेत्र में अधिक मामले पाऐ जाते हैं। इसका कारण यहां से गुजरने वाले उजीना ड्रेन है। जहां पर अकसर पानी भरा रहता है।
मेवात में पहले ही स्वास्थ्य कर्मचारियों को टोटा है। भले ही कई बार स्वास्थ्य मंत्री कह चुके हैं कि मेवात में स्वास्थ्य कर्मचारी और डाक्टरों की कमी नहीं रहने दी जाऐगी। फिलहाल हालत ये हैं कि मेवात में स्वास्थ्य कर्मचारी ना होने की सूरत में रेवाडी, महेंद्रगढ, भिवानी, नारनौल सहित दूसरे जिलों से मलेरिया की रोकथाम के लिये 10-10 स्वास्थ्य कर्मचारी और दो-दो हेल्थ सुपर वाईजर एक-एक महिने के डेपूटेशन पर बुलाये जा रहे हैं। मंगलवार को भिवानी से 12 कर्मचारी मेवात पहुंचे हैं। इन सभी कर्मचारियों को पुन्हाना और उजीना इलाकों में तैनात किया गया है। मेवात जिला में अभी तक कुल 903 मलेरिया के मामले सामने आ चुके हैं जबकी गत वर्ष 18 जुलाई तक 1726 मामले सामने आऐ थे। वहीं वर्ष 2015 में मेवात जिला में कुल 6638 मलेरिया के मामले सामने आये थे। जबकि तेजबुखर, मलेरिया और अन्य बिमारियों से जिले में करीब 50 की मौत हो गई थी।
हर साल मेवात में मलेरिया की वजह से हजारों लोग गिरफ्त में आ जाते हैं। जब तक प्रसाशन चेतता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है। मेवात में डाक्टरों और कर्मचारियों की कमी का खामयाजा आम जनता को उठाना पडता है। मलेरिया, टाईफाईड आदि की जांच करने वालों का मेेेेवात में भारी तोटा है। मेवात जिला की करीब 14 लाख की आबादी पर 7 लेबटेक्निशियन (एलटी) की पोस्ट है जिनमें से एक भी कार्यत नहीं हैं। जिले में हेल्थ इंस्पेंक्टर के आठ पदों मे से तीन खाली पडे हैं, एलपीएचडब्ल्यू मेल के कुल 84 पद स्विकृत हैं, जिनमें से केवल पांच ही कर्मचारी कार्यत हैं। कर्मचारियों की कमी को देखते हुऐ स्वास्थ्य विभाग ने रेवाडी, नारनौल, महेंद्रगढ, भिवानी आदि जिलों से 10-10 स्वास्थ्य कर्मचारी व दो-दो हेल्थ इंस्पेक्टर को एक-एक डेपूटेशन पर बुलाये हैं जो मलेरिया की रोकथाम में अपना रोल अदा करते हैं।
अप्रैल महिने के बाद से ही मेवात इलाके में मलेरिया का प्रकोप शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार मेवात स्वास्थ्य विभाग ने जनवरी 2017 से ही मलेरिया से पीडित या पिछले साल मलेरिया से प्रभावित रहे लोगों की खोज शुरू कर दी थी। मेवात में पुन्हाना और उजीना के इलाकों से निकलने वाली उजीना ड्रेन के साथ-साथ बसें करीब 40 गावों में मलेरिया का अधिक प्रकोप होता है। क्यांकि इस नहर के आस-पास पूरे वर्ष पानी भरा रहता है, जहां मच्छरों की भरमार बढ जाती है। अभी तक पुन्हाना इलाके में 300, नूंह में 578 और फिरोजपुर झिरका में 25 मामलों सहित कुल 903 मलेरिया के मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें से मात्र 4 पीएफ के कैस है जबकि गत वर्ष 18 जुलाई तक पीएफ के 25 मामले सामने आ चुके थे। पीएफ मामलों में ही मृत्यु होने की संभावना अधिक होती है।
मेवात के सिविल सर्जन डाक्टर एसआर सिवाच का कहना है कि उन्होने मलेरियों को फैलने से पहले ही जनवरी से उसकी तैयारियां शुरू कर दी है। मेवात में स्वास्थ्य कर्मचारियों की काफी कमी है। दूसरे जिलों से हर महिने 40 स्वास्थ्य कर्मचारियों को डेपूटेशन पर बुलाया जाता है। उन्होने कहा कि दूसरे जिलों से आने वाले कर्मचारी काफी मेहनत करते हैं अगर मेवात में स्वास्थ्य कर्मचारी पूरे होते तो उनसे मलेरिया के साथ-साथ दूसरे भी काम लिए जा सकते हैं। मेवात में फिलहाल मलेरिया कंट्रोल में हैं, अभी तक केवल 903 ही मामले सामने आये हैं। जबकि गत वर्ष 18 जुलाई तक 1726 मामले सामने आऐ थे। अभी तक मेवात में एक भी मौत नहीं हुई है।