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: लोहे के खंबों में बिजली का करंट आने से आठ भैंसों की हो चुकी है मौत
: बृहस्पतिवार को मजीद की 90 हजार रूपये की भैंस बिजली के करंट से मरी
: बिजली विभाग के अधिकारियों पर लगाया लापरवाही का आरोप
: पुलिस जांच में जुटी
यूनुस अलवी
मेवात: मेवात जिला के गांव दिहाना में पिछले 60 सालों से पुराने बिजली के तार और लोहे के खंबे ना बदले जाने की वजह से इसका खामयाजा गांव के लोगों को भुगतना पड रहा है। बरसात के महिने में लोहे के खंबों में बिजली का करंट नीचे उतर आने की वजह से पिछले तीन-चार सालों में आधा दर्जन से अधिक पशुओं की मौत हो चुकी है। बृहस्पतिवार को एक करीब 90 हजार रूपये कीमत की एक भैंस की बिजली का करंट लगने से मौत हो गई। लोहे के खंबों में बिजली का करंट आने की वजह से कई लोग भी चपेटे में आ गये लेकिन वे बच गये। गांव के लोगों ने बिजली का करंट लगने से हो रही मौतों के लिये बिजली विभाग को जिम्मेदार ठहराया है। पीडित परिवार ने बिजली विभाग की लापरवाही की शिकायत आकेडा पुलिस चौकी में दे दी है। वहीं पुलिस मामले की जांच कर रही है।
गांव दिहाना निवासी अबदुल मजीद ने बताया कि वह बृहस्पतिवार की सुबेह अपनी भैंसों को गांव के ही तालाब में पानी पिलाने के लिये ले जा रहा था। अचानक उनकी एक भैंस रास्ते में खडे बिजली के खंबे से छू गई जिसमें बिजली का करंट आ रहा था। बिजली के खंबे में उसकी भैंस को जकड लिया। उसे तब छोडा जब भैंस मर गई। उन्होने बताया कि वह गरीब आदमी है वह पशुओं केपालने से ही अपना गुजारा चलाता है। उसकी भैंस सात महिने की गर्भवति थी जिसकी 90 हजार से अधिक कीमत थी। मजीद का कहना है कि उनकी भैंस की मौत बिजली विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से हुई है। बिजली विभाग के लापरवाह कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाऐ और उनकी भैंस का मुआवजा दिलाया जाऐ।
गांव दिहाना निवासी हारून, नियाम मोहम्मद सरपंच, आमीन पूर्व सरपंच और जाकिर ने बताया कि पिछले तीन-चार के दौरान उनके गांव में बिजली का करंट लगने से शमशुदीन, कननी राम, वहीद, अजहरूदीन, अबदुल मजीद की एक-एक भैंस, जुनैद की दो भैंस और सारदा की एक बकरी बिजली का करंट लगने से मौत हो चुकी है। गांव के प्रमुख लोगो का कहना है कि पूरे गांव में 1962 में लोहे के खंबों लगे थे। अभी तक उनके गांव में ना तो पुराने तारों को बदला गया है और ना ही लोहे के ख्ंाबो को हटाया गया। इसके बारे में बिजली विभाग के छोटे अधिकारियों से लेकर विधायक, सांसद तक गुहार लगा चुके हैं लेकिन किसी ने गांव वालों की एक नहीं सुनी।