सी एण्ड डी वेस्ट को रिसाईकल कर पुनः उपयोग में लाना जरूरी : डा. भूरे लाल

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वायु प्रदूषण व ग्रेडिड रिस्पोंस एक्शन प्लान विषय पर गोष्ठी का आयोजन 

 
गुरुग्राम, 6 जुलाई। एनसीआर के जिलों में वायु प्रदूषण तथा ग्रेडिड रिस्पोंस एक्शन प्लान लागू करने के विषय पर आज गोष्ठी का आयोजन हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा स्थानीय जिमखाना क्लब में किया गया.  इस कार्यक्रम मुख्य अतिथि पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण ) प्राधिकरण के चेयरमैन डा. भूरेलाल थे। 
 
इस गोष्ठी में गुरुग्राम, फरीदाबाद, दिल्ली सहित पूरे एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर कम करने के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। हरियाणा सरकार के पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. के के खण्डेलवाल, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एस नारायणन के अलावा यातायात, पुलिस, नगर निगम, हुडा आदि विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस गोष्ठी में भाग लिया।
 
गोष्ठी में डा. भूरे लाल ने कहा कि निर्माण एवं मलबा़ (सी एण्ड डी वेस्ट)को इकठ्ठा करने की बजाय उसको रिसाईकल करके पुनः उपयोग में लाना चाहिए और रिसाईकल करने के बाद बनने वाले उत्पाद को सरकारी ऐजेंसियां खरीदे अन्यथा उसकी मार्केटिंग में दिक्कत आएगी। उन्होंने कहा कि सी एण्ड डी वेस्ट को इकठ्ठा करते रहे तो उसके लिए बहुत ज्यादा जमीन की आवश्यकता होगी। डा. भूरेलाल ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार एनसीआर क्षेत्र में सी एण्ड डी वेस्ट डालने के लिए 80 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की जरूरत है, इसलिए इसे पुर्न उपयोग में लाकर इसकी मात्रा घटाना जरूरी है। इस मौके पर हरियाणा पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. के के खण्डेलवाल ने कहा कि बड़ी परियोजनाओं के निर्माण स्थलों पर यदि सी एण्ड डी वेस्ट के प्रबंधन के कारगर उपाय नहीं किए जाते है तो राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी उस परियोजना के मालिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। उन्होंने यह भी कहा कि वायु अधिनियम 1981 की धारा 31ए के अंतर्गत बोर्ड द्वारा उस परियोजना के परिसर को सील करने के अधिकार भी प्राप्त हैं। 
 
नगर निगम गुरुग्राम के अधिकारियों ने बताया कि सी एण्ड डी वेस्ट  के प्रबंधन के लिए गांव बसई में एक प्लांट लगाया जाएगा, जिसकी प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। इस जगह को आर्द्रभूमि अर्थात् वेटलैंड बताते हुए नेशनल ग्रीन ट्राइब्युनल में मामला चल रहा है, जिस पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अगली सुनवाई तक शपथ पत्र देगा कि उक्त स्थान पर कोई वेटलैंड नहीं है। नगर निगम आयुक्त वी उमा शंकर ने बताया कि उनका लक्ष्य 15 अगस्त तक इस प्लांट को तैयार करने का था लेकिन अब एनजीटी में मामला जाने के बाद 15 से 20 दिन और लग सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि गुरुग्राम शहर में मलबा की मात्रा को देखते हुए इस प्रकार के चार प्लांट स्थापित करने की योजना है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि निर्माण परियोजनाओं के स्थानों से बोर्ड द्वारा लगभग डेढ़ करोड़ रूपए का जुर्माना एनसीआर क्षेत्र में वसूला गया है।
 
कचरा जलाने पर पाबंदी लगाने के उपायों के बारे में चर्चा के दौरान नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि गुरुग्राम में कचरा जलाते पाए जाने पर 5 हजार रूपए का चालान किया जाता है। पिछले महीने शहर में कुल 154 चालान किए गए।  उन्होंने बताया कि कचरा जलाने के दुष्प्रभावों के बारे में रजिडेंट वैलफेयर एसोसिएशनों को सचेत किया गया है और उनसे इस मामले में सहयोग लिया जा रहा है। नगर निगम के वरिष्ठ नगर योजनाकार सुधीर चौहान को इसके लिए नोडल अधिकारी बनाया गया है। कचरा जलाने को रोकने के लिए पूरे नगर निगम क्षेत्र को चार जॉन में बांटा गया है और प्रत्येक जॉन में मोनिटरिंग की जा रही है। इसके लिए फेसबुक पर एक पेज भी बनाया गया है और आम जनता से ट्विटर के माध्यम से भी सूचना प्राप्त की जा रही है। डा. खण्डेलवाल ने इस मौके पर कहा कि कचरा जलाने पर प्रतिबंध लगाने तथा सी एण्ड डी वेस्ट इधर-उधर डालने संबंधी सूचना प्राप्त करने तथा प्रदूषण का स्तर जांचने आदि के लिए एक सैल बनाया जाए। नगर निगम आयुक्त वी उमा शंकर ने बताया कि अलग -अलग किस्म के कचरे की छंटनी करने की प्रक्रिया लोगोंं में जागरूकता लाकर शुरू की गई है। पहले जहां केवल डेढ़ टन कचरे की छंटनी होती थी वहीं अब लोगों के सहयोग से 15 टन प्रतिदिन छंटनी अर्थात् सग्रीगेशन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बंधवाड़ी ठोस कचरा प्रबंधन सयंत्र को दोबारा चालू करने के लिए अगले 15 दिन में समझौते पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है और उसके चार महीने बाद नगर निगम क्षेत्र में घरों से कचरा  इक्क_ा करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।  
 
ईंट भट्ठे  से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए किए गए उपायों की जानकारी देते हुए खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 1 नवंबर 2017 तक जिग-जैग तकनीक या कम प्रदूषण फैलाने वाली अन्य नवीनतम तकनीक जो ईंट भट्टा मालिक नहीं अपनाएंगे, उनके भट्टे चलने नहीं दिए जाएंगे। डा. भूरेलाल ने कहा कि इसे कड़ाई से लागू किया जाए। 
 
वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के उपायों पर चर्चा करते हुए यातायात विभाग की आयुक्त सुप्रभा दहिया ने बताया कि वाहनों के पॉलुशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेशन सिस्टम की आडिटिंग तथा मापांकन के लिए यातायात विभाग एक सॉफटवेयर तैयार कर रहा है, जिसके  माध्यम से प्रदूषण नियंत्रण सर्टिफिकेट जारी करने वाले सभी केंद्रों पर  निगरानी रखी जा सके गी। इस मामले में भी डा. खण्डेलवाल ने कहा कि यातायात विभाग इसके लिए एक विशेष सैल बनाए जिसमें वाहनों का प्रदूषण स्तर जांचने के उपकरण तथा तकनीकी स्टाफ उपलब्ध हो। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वितीय मदद करने को तैयार है। डा. खण्डेलवाल ने बताया कि वायु का प्रदूषण स्तर चैक करने के लिए प्रदेश में 19 और सतत परिवेश वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। वर्तमान में हरियाणा में ऐसे चार स्टेशन संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें से एक-एक गुरुग्राम व फरीदाबाद में चल रहे हैं। एक अन्य स्टेशन मानेसर में स्थापित होगा। उन्होंने बताया कि डीजी सैट से भी भारी प्रदूषण होता है, इसलिए ऐसे प्रयास किए जाए कि बिजली की आपूर्ति पूरी हो ताकि डीजी सैटों का कम से कम प्रयोग किया जाए। वी उमा शंकर ने बताया कि गुरुग्राम में इंटर सैक्ट्रल पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम लागू किया जाएगा जिसमें सीएनजी चालित बसों के अलावा इलैक्ट्रिक बसों को भी प्रयोग के तौर पर शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह बस सेवा मार्च 2018 तक शुरू होने के आसार हैं। 
डा. भूरेलाल ने वाहन प्रदूषण कम करने के लिए एनसीआर के जिलों में सीएनजी आधारित वाहन चलाने पर जोर दिया। इस पर यातायात विभाग के अधिकारियों ने कहा कि वर्तमान में सीएनजी फिलिंग कम होने के कारण दिक्कत आ सकती है। डा भूरेलाल ने बताया कि एनसीआर क्षेत्र में 455 सीएनजी स्टेशन फिलहाल चल रहे हैं जिसमें से 16 स्टेशन अकेले गुरुग्राम में, 13 फरीदाबाद में, 1 सोनीपत में संचालित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि आईजीएल कंपनी सीएनजी उपलब्ध करवाने को तैयार है, बस राज्य सरकार सीएनजी स्टेशन लगाने के लिए जगह उपलब्ध करवाए।  इस पर डा. खण्डेलवाल ने नगर एवं ग्राम योजनाकार विभाग के अधिकारियों से कहा कि वे सीएनजी स्टेशन स्थापित हो सकने वाले स्थानों को चिन्ह्ति कर नक्शा बनाए और उन स्थानों को सरकार से अधिसूचित करवाएं।
गोष्ठी में पार्किंग पॉलिसी बनाने पर भी जोर दिया गया। डा भूरेलाल ने वाहनों की बढती संख्या पर चिंता जताते हुए कहा कि पार्किंग के लिए जमीन चिन्ह्ति करना कोई समाधान नही है। उन्होंने कहा कि सरकार को भवन निर्माण की ऐसी पॉलिसी बनानी होगी कि वाहन भवन परिसर में ही खड़ा किया जाए और पब्लिक प्लेस पर खड़ा करने की भारी फीस लगाई जाए। उन्होंने कहा कि गुरुग्राम में वाहनों की खरीद दिल्ली से चार गुना ज्यादा है। साथ ही उन्होंने कहा कि मार्किंट परिसर में लोगोंं को पैदल चलने की सुविधा मिलनी चाहिए और वाहनों की पार्किंग बहुमंजिला बनाई जाए। गोष्ठी में पुलिस के अधिकारियों ने बताया गया कि इस वर्ष गलत पार्किंग के 15 हजार चालान किए गए हैं जोकि पिछले वर्ष की तुलना में 40 से 50 प्रतिशत अधिक हैं। गोष्ठी में राष्ट्रीय राजमार्ग-8 पर बावल से लेकर धारूहेड़ा तक विशेषकर भिवाड़ी के पास जाम की स्थिति रहती है क्योंकि ‘नो एंट्री’ के समय ट्रक सर्विस लेन पर खड़े किए जा रहे हैं और मुख्य सडक़ पर वाहनों की भीड़ इतनी हो जाती है कि उनकी गति बिल्कुल धीरे रहती है। डा भूरेलाल ने इसकी पूरी प्लान तैयार करने के निर्देश पुलिस को दिए। इस पर पुलिस अधिकारियों ने कहा कि वे आज ही इसका मौका देखेंगे और ट्रको को खड़ा करने के लिए जगह की पहचान की जाएगी। 
फसल कटाई के मौसम में गेहूं और धान की पराली जलाने के मामलों में इस बार काफी कमी आई है जिसके लिए डा. भूरेलाल तथा उनकी टीम ने प्रदेश के अधिकारियों को बधाई दी। गोष्ठी में बताया गया कि इस बार प्रदेश में पराली जलाने के 1147 मामले सामने आए जिसमें सर्वाधिक 251 करनाल जिला से थे। पराली जलाने के दोषी व्यक्तियों से 7.5 लाख रूपए का जुर्माना वसूला गया। डा. खण्डेलवाल ने कहा कि नासा ने भी माना कि इस बार पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने पराली नहीं जलाने की पहल करने वाली 100 ग्राम पंचायतों को 50-50 हजार रूपए का नकद ईनाम दिया है। डा. भूरेलाल ने कहा कि गेहूं की पराली की समस्या नहीं है क्योंकि उसमें पानी देकर उसकी जुताई की जा सकती है। डा. खण्डेलवाल ने बताया कि हरियाणा सरकार धान की पराली से बिजली बनाने की योजना पर काम कर रही है। 

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