आज तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में किसने क्या कहा ?

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नई दिल्ली : देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को मुस्लिम महिलाओं द्वारा दायर तीन तलाक सम्बन्धी याचिका पर सुनवाई शुरू हुई. देश के मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ में इस मामले की सुनवाई के लिए अलग-अलग धर्मों से जुड़े जजों को रखा गया है. इसमें सिख, ईसाई, पारसी, हिंदू और मुस्लिम जज शामिल हैं. मिडिया की कहरों के अनुसार सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि तीन तलाक अगर मुस्लिम धर्म का हिस्सा है तो अदालत इसमें दखल नहीं देगी.

खबर है कि सुनवाई में जब सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद से अपना पक्ष रखने को कहा तो उन्होंने कहा कि तीन तलाक कोई मुद्दा नहीं है. क्योंकि तलाक से पहले पति और पत्नी के बीच सुलह की कोशिश जरूरी है. अगर सुलह की कोशिश नहीं हुई तो तलाक वैध नहीं माना जा सकता. उन्होने कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा कि एक बार में तीन तलाक नहीं बल्कि ये प्रक्रिया तीन महीने की होती है. इस पर जस्टिस रोहिंग्टन ने खुर्शीद से पूछा कि क्या तलाक से पहले सुलह की कोशिश की बात का कहीं जिक्र है तो खुर्शीद ने कहा, नहीं.  

मिडिया की खबर के अनुसार पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से उपस्थित वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी सलमान खुर्शीद की इस बात का समर्थन किया कि तीन तलाक कोई मुद्दा नहीं है. ज्ञातव्य है कि सलमान खुर्शीद निजी तौर पर कोर्ट की मदद कर रहे हैं. कपिल सिब्बल ने बोर्ड का पक्ष रखते हुए कहा कि ये पर्सनल लॉ का मामला है. सरकार तो कानून बना सकती है, लेकिन कोर्ट को इसमें दखल नहीं देना चाहिए.

इस पर जस्टिस कूरियन ने कहा कि ये मामला मौलिक अधिकारों से भी जुड़ा है. जस्टिस रोहिंग्टन ने जब केंद्र सरकार से पूछा कि इस मुद्दे पर आपका क्या स्टैंड है ? तो केंद्र की ओर से एएसजी पिंकी आनंद ने कहा, सरकार याचिकाकर्ता के समर्थन में है कि तीन तलाक असंवैधानिक है. उन्होंने कहा कि दुनिया के बहुत सारे देश इसे खत्म कर चुके हैं.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट अभी मुसलमानों में तीन तलाक और निकाह हलाला पर ही सुनवाई करेगा. मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर ने कहा कि बहुपत्नी प्रथा की संवैधानिक वैद्यता को चुनौती देने वाली याचिका पर अभी पीठ सुनवाई नहीं करेगा.

उल्लेखनीय है कि पांच याचिकायें मुस्लिम महिलाओं ने दायर की हैं. सभी याचिका कर्ताओं ने तीन तलाक की प्रथा को चुनौती देते हुए इसे असंवैधानिक बताया है.

सविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश के अलावा न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन, न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर शामिल हैं.

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